"चैती छठ व्रत 2026: तारीख, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, पौराणिक कथा और व्रत नियम"
byRanjeet Singh-
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"चैती छठ व्रत 2026 की संपूर्ण जानकारी — नहाय खाय से लेकर उगते सूर्य को अर्घ्य तक। जानिए पौराणिक कथा, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, क्या करें और क्या न करें"
🌸 "चैती छठ 2026: श्रद्धा, आस्था और सूर्य उपासना का पावन पर्व "🌸
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✅ *विस्तृत भूमिका
✅ *चार दिनी चैती छठ का महत्व
✅ *पूजा विधि (स्टेप बाय स्टेप)
✅ *शुभ मुहूर्त और दिन कैसा रहेगा (22 से 25 मार्च 2026)
✅ *पौराणिक कथा
✅ *क्या खाएं और क्या न खाएं
✅ *क्या करें और क्या न करें
✅ *भगवान के किस रूप की पूजा होती है
✅ *किस पर सोना चाहिए
✅ *अपरा एकादशी से संबंधित प्रश्नोत्तर
✅ *डिस्क्लेमर
🌞 "भूमिका"
*सनातन धर्म में छठ व्रत को आस्था, श्रद्धा और तप का प्रतीक माना गया है। साल में दो बार यह पर्व मनाया जाता है — एक बार कार्तिक मास में और दूसरी बार चैत्र मास में। चैत्र मास में होने वाला छठ पर्व “चैती छठ” कहलाता है।
*यह व्रत भगवान सूर्य नारायण और उनकी बहन छठी मैया (देवसेना) को समर्पित है।
*व्रती पुरुष और महिलाएं चार दिनों तक शुद्धता, संयम और श्रद्धा के साथ भगवान सूर्य की उपासना करते हैं।
📅 "चैती छठ 2026 की तिथि और शुभ मुहूर्त"
*दिनांक वार पर्व विशेषता शुभ मुहूर्त
*22 मार्च 2026 सोमवार नहाय-खाय आत्म-शुद्धि व सात्त्विक भोजन सुबह 05:56 बजे से दोपहर 12:10 बजे तक
*23 मार्च 2026 मंगलवार खरना (रसियाव-खीर) गुड़ की खीर का प्रसाद, निर्जला व्रत आरंभ चांद्रास्त तक जल ग्रहण की अनुमति
*24 मार्च 2026 बुधवार संध्या अर्घ्य डूबते सूर्य को अर्घ्य सूर्यास्त शाम 06:19 बजे
*25 मार्च 2026 गुरुवार उगते सूर्य को अर्घ्य व पारण व्रत समापन, ठेकुआ-चना प्रसाद सूर्योदय 05:32 बजे
🔆 इस वर्ष चैती छठ पर्व के दौरान पंचांग अनुसार “अमृत सिद्धि योग” और “शुभ नक्षत्र” का योग बन रहा है, जो व्रती के लिए अत्यंत मंगलकारी रहेगा।
🌾 *चैती छठ पूजा विधि — Step by Step
🪷* पहला दिन: नहाय-खाय (22 मार्च 2026)
*व्रती सूर्योदय से पहले स्नान करें।
*घर की पूरी साफ-सफाई करें।
*सात्त्विक भोजन ग्रहण करें — अरवा चावल, लौकी की सब्जी और चना दाल का सेवन करें।
*भोजन पकाने में लहसुन-प्याज, मांस-मदिरा का प्रयोग वर्जित है।
*शाम को पूजा सामग्री तैयार की जाती है।
🌸 "दूसरा दिन: खरना" (23 मार्च 2026)
*दिनभर व्रत रखकर शाम को गुड़ की खीर और रोटी का प्रसाद तैयार करें।
*सूर्यास्त के समय सूर्य देव और छठी मैया को अर्घ्य दें।
*प्रसाद का प्रथम अंश भगवान को अर्पित करें, फिर स्वयं ग्रहण करें।
*इसके बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत प्रारंभ होता है।
🌞 "तीसरा दिन": संध्या अर्घ्य (24 मार्च 2026)
*शाम को नदी, तालाब या जलाशय के तट पर व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं।
*अर्घ्य में दूध, गंगाजल, मौसमी फल, और दीप शामिल होते हैं।
*महिलाएं लोकगीत गाती हैं — “केलवा के पात पर उगले सूरज देव...”
*इस दिन सामूहिक भक्ति का वातावरण बनता है।
🌅 "चौथा दिन": उगते सूर्य को अर्घ्य और पारण (25 मार्च 2026)
*अहले सुबह पुनः घाट पर जाकर उगते सूर्य को अर्घ्य दें।
*भगवान सूर्य और छठी मैया का ध्यान करें।
*व्रत का समापन पारण से होता है — व्रती ठेकुआ, गुड़, चना और मौसमी फल ग्रहण करते हैं।
📖 "छठ व्रत की पौराणिक कथा"
*छठी मैया की कथा अत्यंत प्राचीन और भावनात्मक है। ब्रह्म वैवर्त पुराण और महाभारत में इसका उल्लेख मिलता है।
🌺 "देवसेना की उत्पत्ति"
*सृष्टि रचयिता भगवान ब्रह्मा ने जब सृष्टि का निर्माण किया, तब प्रकृति के छह भागों से छठे अंश के रूप में एक तेजस्वी देवी प्रकट हुईं — देवसेना।
*इन्हें ही “छठी मैया” कहा गया। ये बालकों की रक्षक, दीर्घायु देने वाली, और संतान-सुख प्रदायिनी देवी हैं।
🌞 "सूर्य की बहन के रूप में छठी मैया"
*पुराणों में कहा गया है कि छठी देवी, सूर्य देव की बहन हैं।
*इसी कारण व्रती सूर्य उपासना के साथ छठी मैया का आह्वान करते हैं।
*सूर्य के तेज से उत्पन्न यह देवी नारी-शक्ति और मातृत्व का प्रतीक मानी जाती हैं।
🪶 "कर्ण की कथा" (महाभारतकालीन प्रसंग)
*महाभारत में उल्लेख है कि कुंती ने जब सूर्य देव का आह्वान किया, तब उनके गर्भ से कर्ण का जन्म हुआ।
*कर्ण प्रतिदिन भोर में नदी में खड़े होकर भगवान सूर्य की आराधना करते और अर्घ्य देते थे।
*ऐसा माना जाता है कि अर्घ्य देने की परंपरा कर्ण ने ही आरंभ की थी।
👑 "द्रौपदी और पांडवों की कथा"
*जब पांडव जुए में सबकुछ हार गए, तब द्रौपदी ने अपने राज्य की पुनः प्राप्ति के लिए छठ व्रत किया।
*छठी मैया की कृपा से पांडवों को पुनः अपना राज्य प्राप्त हुआ।
*तब से यह व्रत संकट निवारण और इच्छापूर्ति के लिए किया जाने लगा।
👶 *बच्चों की रक्षा हेतु छठी मैया*
*लोककथाओं में कहा गया है कि जो माताएं श्रद्धापूर्वक छठ व्रत करती हैं, उनके घर में बाल-सुख की प्राप्ति होती है।
*छठी मैया नवजात शिशुओं की रक्षा करती हैं, इसीलिए जन्म के छठे दिन “छठिहार” मनाने की परंपरा आज भी है।
🧺 "पूजा सामग्री"
*बांस की दो टोकरी
*पीतल/तांबे का लोटा
*सूप, दीपक, धूप-अगरबत्ती
*पान, सुपारी, सिंदूर, दूध, गुड़, शहद
*गन्ना, नारियल, केले, मौसमी फल
*ठेकुआ, चना, गाजर, मूली, सुथनी
*आम की लकड़ी, कपूर, नए वस्त्र
🍚 "चैती छठ में क्या खाएं और क्या न खाएं"
✔️ *क्या खाएं
*सात्त्विक भोजन — अरवा चावल, लौकी, चना दाल
*खरना के दिन गुड़ की खीर और रोटी
*प्रसाद में ठेकुआ, फल, चना, नारियल पानी
❌ *क्या न खाएं
*लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा
*अधिक मसालेदार या तली-भुनी चीजें
*पैकेज्ड या अशुद्ध भोजन
🕉️ "क्या करें और क्या न करें"
✔️ *क्या करें
*सुबह जल्दी उठकर स्नान और सूर्य को जल अर्पण करें।
*व्रत के दौरान सत्य, संयम और शुद्धता का पालन करें।
*दूसरों की सेवा और दान करें।
❌ "क्या न करें"
*क्रोध, विवाद या निंदा से दूर रहें।
*व्रत के दौरान झूठ न बोलें या किसी का अपमान न करें।
*धूम्रपान या मांसाहार से बचें।
🌞 "चैती छठ में भगवान के किस रूप की होती है पूजा"
*चैती छठ में भगवान सूर्य देव के “भास्कर” रूप की पूजा की जाती है।
*यह रूप तेज, ऊर्जा और जीवन दायी शक्ति का प्रतीक है।
*सूर्य देव को अर्घ्य देकर मनुष्य अपने पापों का शोधन करता है और जीवन में प्रकाश पाता है।
🌿 "चैती छठ के दिन किस पर सोना चाहिए"
*व्रती को इस दौरान भूमि पर (धरती पर) सोना चाहिए।
*यह विनम्रता और तप का प्रतीक माना जाता है।
*व्रत के दौरान बिस्तर या गद्दे का उपयोग वर्जित है।
🌺 “चैती छठ 2026” पर पूछे जाने वाले प्रमुख प्रश्न और उनके सटीक उत्तर
🌞 *चैती छठ पर पूछे जाने वाले सामान्य प्रश्न और उत्तर (FAQ on Chaiti Chhath 2026)
प्रश्न *01: चैती छठ क्या है?
*उत्तर: चैती छठ सूर्य देव और छठी मैया की उपासना का प्रमुख पर्व है। यह साल में दो बार मनाया जाता है — कार्तिक मास में और चैत्र मास में। चैत्र मास में आने वाला छठ “चैती छठ” कहलाता है। इसमें भक्त सूर्य देव को अर्घ्य देकर अपने परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की दीर्घायु की कामना करते हैं।
प्रश्न *02: चैती छठ 2026 में कब मनाई जाएगी?
*उत्तर: पंचांग के अनुसार, चैती छठ 2026 की चौथी तिथि से प्रारंभ होकर सातवीं तक रहेगी।
*संध्या अर्घ्य – 24 मार्च 2026
*प्रातः अर्घ्य – 25 मार्च 2026
प्रश्न *03: चैती छठ का महत्व क्या है?
*उत्तर: चैती छठ सूर्य उपासना का पर्व है। माना जाता है कि सूर्य देव से जीवन में ऊर्जा, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस व्रत से रोग, शोक और संतानों से संबंधित कष्ट दूर होते हैं। यह व्रत माताओं की संतान रक्षा से भी जुड़ा हुआ है।
प्रश्न -04: चैती छठ और कार्तिक छठ में क्या अंतर है?
*उत्तर: दोनों का उद्देश्य समान है — सूर्य देव की उपासना और छठी मैया की आराधना। चैती छठ चैत्र माह में कार्तिक छठ कार्तिक माह में होती है।
*लेकिन कार्तिक छठ दीपावली के बाद शीत ऋतु में होती है, जबकि चैती छठ चैत्र मास में, वसंत ऋतु में होती है।
*चैती छठ में मौसम गर्म रहता है, और यह फसल कटाई के बाद आने वाला पर्व है।
प्रश्न *05: चैती छठ की पूजा कितने दिनों की होती है?
*उत्तर: चैती छठ चार दिनों तक चलने वाला पर्व है —
*1️⃣ नहाय-खाय
*2️⃣ खरना (लघु उपवास)
*3️⃣ संध्या अर्घ्य
*4️⃣ प्रातः अर्घ्य (उदयाचल सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन)
प्रश्न *06: चैती छठ की पूजा कैसे की जाती है?
*उत्तर: व्रती सबसे पहले नदी या तालाब में स्नान कर शुद्धता का पालन करते हैं। खरना के दिन बिना नमक का प्रसाद (गुड़ और चावल की खीर) बनता है। तीसरे दिन संध्या समय अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत समाप्त किया जाता है।
प्रश्न *07: चैती छठ का प्रसाद क्या होता है?
*उत्तर: ठेकुआ (गेहूं के आटे, गुड़ और घी से बना), कद्दू-भात, चावल की खीर, फल, गन्ना, नारियल, केला आदि प्रसाद के रूप में अर्पित किए जाते हैं।
प्रश्न *08: छठी मैया कौन हैं?
*उत्तर: छठी मैया को उषा देवी और सूर्य देव की पत्नी माना जाता है। इन्हें संतान और जीवन की रक्षक देवी के रूप में पूजा जाता है। कहा जाता है कि छठी मैया की कृपा से निःसंतान दंपतियों को संतान सुख प्राप्त होता है।
प्रश्न *09: चैती छठ का वैज्ञानिक महत्व क्या है?
*उत्तर: सूर्य उपासना से शरीर में विटामिन D का निर्माण होता है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। उपवास और शुद्ध आहार शरीर को विष मुक्त करते हैं और मानसिक शांति प्रदान करते हैं।
प्रश्न *10: चैती छठ कहां सबसे अधिक मनाई जाती है?
*उत्तर: यह पर्व विशेष रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, नेपाल के तराई क्षेत्र और प्रवासी भारतीयों के बीच बड़ी श्रद्धा से मनाया जाता है।
प्रश्न *11: क्या पुरुष भी चैती छठ व्रत रख सकते हैं?
*उत्तर: हां, यह व्रत पुरुष और महिलाएं दोनों रख सकते हैं। कई पुरुष भक्त (जिन्हें “पर वैतिन” कहा जाता है) भी पूरे विधि-विधान से यह व्रत करते हैं।
प्रश्न *12: चैती छठ में कौन-कौन से नियम पालन करने चाहिए?
*उत्तर: व्रती को सात्विकता बनाए रखनी चाहिए।
*झूठ, क्रोध, और हिंसा से दूर रहना चाहिए।
*घर में शुद्धता और स्वच्छता होनी चाहिए।
*प्रसाद को बिना किसी अशुद्धता के तैयार करना चाहिए।
प्रश्न *13: चैती छठ की उत्पत्ति कब और कैसे हुई?
*उत्तर: पौराणिक कथा के अनुसार, प्रथम छठ व्रत माता सीता ने अयोध्या लौटने के बाद किया था।
*एक अन्य कथा में कहा गया है कि सूर्य पुत्र कर्ण ने सूर्य देव की आराधना कर महान योद्धा बनने का वरदान पाया था।
प्रश्न *14: चैती छठ के दौरान कौन-से गीत गाए जाते हैं?
*उत्तर: इस पर्व में पारंपरिक भोजपुरी, मगही और मैथिली गीत गाए जाते हैं, जैसे –
*👉 “केलवा जे फरेला घवद से ओ पिया...”
*👉 “उग हो सूर्य देव भइली अरघ के बेर...”
*👉 “छठी मैया तोहर बड़ा उपकार...
प्रश्न *15: चैती छठ व्रत का समापन कैसे होता है।
*उत्तर: अंतिम दिन प्रातः काल उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रती प्रसाद ग्रहण करते हैं और परिवार के सुख-समृद्धि की प्रार्थना के साथ व्रत का समापन करते हैं।
⚖️ "डिस्क्लेमर"
यह ब्लॉग “चैती छठ व्रत 2027” पर आधारित धार्मिक और सांस्कृतिक जानकारी प्रस्तुत करता है। इसमें उल्लिखित सभी तिथि, मुहूर्त और जानकारी हिंदू पंचांग, ज्योतिषीय गणना और धार्मिक ग्रंथों पर आधारित हैं। हमारा उद्देश्य केवल पाठकों को सनातन धर्म के व्रत, पर्व और परंपराओं के प्रति जागरूक करना है।
हम किसी प्रकार के अंधविश्वास या अंधश्रद्धा को बढ़ावा नहीं देते।छठ व्रत की पूजा-विधि, तिथि या मुहूर्त क्षेत्रीय पंचांग के अनुसार थोड़ा भिन्न हो सकता है।
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