चैती छठ व्रत 2027: तिथि, पूजा विधि, नियम, कथा व FAQ

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Chaiti Chhath 2027: Women offering prayers to Lord Surya (Sun God)

"चैती छठ व्रत, सनातन धर्म में अद्भुत श्रद्धा, आस्था और संयम का पर्व है, जिसमें भगवती छठी मैया और भगवान सूर्य की विधि-विधान से उपासना की जाती है। यह चार दिवसीय अनुष्ठान वर्ष 2027 में 10 अप्रैल से 13 अप्रैल तक मनाया जाएगा, जिसमें हर दिन की अपनी पौराणिक और सांस्कृतिक महत्ता होती है"।

"चैती छठ 2027 की तिथियां एवं शुभ मुहूर्त"

*10 अप्रैल, शनिवार नहाय-खाय प्रातः स्नान, सात्विक भोजन

*11 अप्रैल दिन रविवार  खरना/रसियाव संध्या पूजा: लगभग 6:09 बजे से 

*12 नवंबर दिन सोमवार संध्या अर्घ्य : लगभग 6:09 बजे तक

*13 अप्रैल दिन मंगलवार प्रातः अर्घ्य, पारण सूर्योदय 5:19 बजे, पारण सूर्योदय के बाद

"मुहूर्त स्थानीय पंचांग के अनुसार परिवर्तित हो सकते हैं, स्थान विशेष पर जांच अवश्य करें।संध्या अर्घ्य का समय सूर्यास्त के ठीक पूर्व तक शुभ रहता है, प्रातः अर्घ्य सूर्योदय के साथ देना श्रेष्ठ है"।

"चैती छठ पर्व 2027 पर पढ़ें विस्तार से संपूर्ण विधि"

*सनातन धर्म में अद्भुत श्रद्धा, आस्था और संयम का पर्व है, जिसमें भगवती छठी मैया और भगवान सूर्य की विधि-विधान से उपासना की जाती है। यह चार दिवसीय अनुष्ठान वर्ष 2027 में 10 अप्रैल से 13 अप्रैल तक मनाया जाएगा, जिसमें हर दिन की अपनी पौराणिक और सांस्कृतिक महत्ता होती है।

"पौराणिक कथा" 

*छठ व्रत की महिमा अनादि काल से चली आ रही है और इसके पीछे कई गहन पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। ब्रह्म वैवर्त पुराण और अन्य ग्रंथों में छठ व्रत को सृष्टिकर्त्री देवी के षष्ठ अंग का स्वरूप बताया गया है, जिन्हें छठी मैया अथवा देवसेना भी कहते हैं। पुराणों के अनुसार छठ देवसेना उन माताओं में गिनी जाती हैं, जो बच्चों की रक्षा व लंबी आयु का आशीर्वाद देती हैं।

*लोकमान्यता है कि ब्रह्माजी की मानस पुत्री, देवी षष्ठी का जन्म सृष्टि संतुलन एवं नवजातों की रक्षा हेतु हुआ। ज्येष्ठ महाभारत में दो प्रमुख कथाएं छठ से जुड़ी हैं। पहली कथा कर्ण की है—कर्ण, सूर्य पुत्र थे। वह प्रतिदिन कमर तक जल में खड़े होकर भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते थे, जिससे उन्हें प्रताप, यश और तेज की प्राप्ति हुई। 

*माना जाता है कि छठी मैया की पूजा पद्धति, सूर्योपासना की जड़ें इसी परंपरा से निकलीं। लोग मानते हैं कि जब भी कोई श्रद्धापूर्वक सूर्य को अर्घ्य देता है, छठी मैया उस परिवार को निरोगी संतान और सुख-समृद्धि का आशीष देती हैं।दूसरी कथा महाभारत की द्रौपदी और पांडवों से संबंधित है। 

*जब पांडव विज्ञान में अपना सब कुछ हार गए, द्रौपदी ने महर्षि धौम्य से छठ व्रत करने का उपाय पूछा। उन्होंने छठी मैया के व्रत और पूजा का विधान बताया। द्रौपदी ने दृढ़ता से यह व्रत किया, जिससे पांडवों को उनका खोया राज्य फिर से प्राप्त हुआ। यह व्रत न केवल संतान सुख के लिए, बल्कि परिवार की खुशहाली, आरोग्य व समृद्धि के लिए भी विशेष है।

*एक अन्य कथा के अनुसार सूर्य की बहन छठी मैया ने अपने भाई सूर्य से निवेदन किया कि भविष्य में उनकी आराधना भक्तजन करें, जिससे पुत्र प्राप्ति व संतान रक्षा का वरदान मिले। इसी से यह व्रत सूर्य पूजन के साथ-साथ छठी मैया के प्रति आभार, आराधना और भक्ति का पर्व बन गया। 

*आमजन मानते हैं कि छठ के दिन सच्चे मन से छठी मैया और भगवान भास्कर का पूजन करने, व्रत नियम का पालन करने से संतान, परिवार एवं स्वयं व्यक्ति की मनोकामना पूर्ण होती है।छठ पूजा इतनी वैज्ञानिक भी है कि इसमें शुद्धता, सूर्य के प्रकाश और जल तत्व के स्वास्थ्यवर्धक संयोग का महत्त्व रहा है। 

*व्रती नदी या जलाशय के तट पर लगातार चलकर अमृत वायु लेते हैं, पोषक प्रसाद ग्रहण करते हैं, जिससे तन–मन दोनों की शुद्धि होती है।छठ की सामाजिक महत्ता भी है—हर वर्ग, उम्र व लिंग के लोग इसमें उत्साहपूर्वक सम्मिलित होते हैं, जिससे सामाजिक समरसता और सौहार्द्र बढ़ता है।

*पूजा में इस्तेमाल होने वाली सामग्री, जैसे शकरकंद, गन्ना, केले, नींबू, ठेकुआ, आदि में स्वास्थ्यप्रद पोषक तत्व हैं।संक्षेप में, छठ व्रत पारिवारिक, सामाजिक, शास्त्रीय और वैज्ञानिक दृष्टि से अद्भुत शक्तिशाली पर्व है। इसके माध्यम से मनुष्य केवल अपने नहीं, अपनों के लिए भी मंगल, आरोग्य, समृद्धि और संतति की कामना सूर्य-छठी मैया से करता है।

"चैती छठ पूजा में क्या करें और क्या न करें क्या":

*पूर्ण साफ-सफाई का ध्यान रखें।

*उपवास व्रत के नियम संयम से निभाएं।

*पूजा के समय पारंपरिक वस्त्र धारण करें।

*घाट पर श्रद्धा, शांति और अनुशासन से अर्घ्य दें।

*प्रसाद एवं पूजा सामग्री केवल अच्छे और ताजे पदार्थ से तैयार करें।

"क्या न करें":

*झूठ, छल और किसी भी प्रकार का विवाद न करें।

*व्रत के दिनों में नशीले पदार्थ, मांसाहार का सेवन बिल्कुल न करें।

*प्रसाद, पूजा सामग्री की अपवित्रता न करें।

*पूजा स्थल/घाट पर गंदगी न फैलाएं।

*अर्घ्य के समय शोर-शराबा न करें, ध्यान व मंत्रोच्चार करें।

*चैती छठ व्रत के दिन क्या खाएं, क्या न खाएं:

*अरवा चावल, लौकी की सब्जी, चने की दाल (नहाय-खाय दिन)

*गुर की खीर, गेहूं की रोटी (खरना/रसियाव वाला दिन)

*ठेकुआ, फल, गन्ना, मौसमी फलन खाएं:

*मांसाहार (मांस, मछली, अंडा)लहसुन, प्याज, नशे के अन्य पदार्थ

*बाजार के तले-भुने, मैदा से बने खाद्य पदार्थ

"चैती छठ में भगवान के किस रूप की होती है पूजा" 

*छठ पर्व में मुख्य रूप से भगवान सूर्य (भास्कर) के प्रत्यक्ष रूप की पूजा होती है। साथ ही, सूर्य देव की बहन कही जाने वाली छठी मैया (देवसेना) या षष्ठी देवी की भी पूजा की जाती है। इन्हें संतानों की रक्षिका, आयु और आरोग्य की देवी माना जाता है।

"चैती छठ व्रत के अचूक टोटके"

*व्रत के दौरान मंत्र जाप: ऊँ सूर्याय नमः, ऊँ षष्ठी देवी नमः का जाप लाभकारी।व्रत के दिन जलाशय में दीपदान करें, दाम्पत्य सुख के लिए विशेष फलदायी।

*घर में चना छिलका, चूड़ा, गुड़, सत्तू का दान करने से घर में समृद्धि आती है।

*सूर्य को अर्घ्य देते समय कम से कम पांच बार ‘ॐ सूर्याय नमः’ बोलें।

*ठेकुआ का प्रसाद सपत्नीक ग्रहण करने से संतान संबंधी समस्याएं दूर होती हैं।

*व्रत के अंतिम दिन जरूरतमंदों को फल, वस्त्र आदि दान करने से पुण्य बढ़ता है।

"चैती छठ पर किस पर सोना चाहिए"

*परंपरा के अनुसार व्रती पूरे व्रत काल में जमीन (पुरूष या स्त्री) पर नई चादर या दरी बिछाकर ही सोते हैं, ताकि सात्विकता और व्रत की शुद्धता बनी रहे। पलंग या गद्दा पर सोना वर्जित है।

"स्टेप बाय स्टेप पूजा विधि"

*नहाय-खाय (10 अप्रैल):प्रातः स्नान करें, घर-रसोई शुद्ध रखें।अरवा चावल, लौकी की सब्जी व चना दाल से सात्विक भोजन तैयार कर ग्रहण करें।

खड़ना (11 अप्रैल):पूरे दिन निर्जला व्रत, शाम को शुद्धता से गुड़-चावल की खीर, रोटी बनाएं।छठी मैया को खीर-रोटी, गन्ना, फल आदि का भोग लगाकर अर्घ्य दें।

*इसके बाद प्रसाद व्रती स्वयं ग्रहण करें, परिवारवादी बांटें और 36 घंटे का निर्जल व्रत आरंभ करें।

*संध्या अर्घ्य (12 अप्रैल):साज-सज्जा के साथ सूप, टोकरी में पूजा सामग्री भरें।नदी/तालाब किनारे जाकर सूर्यास्त के समय (लगभग 6:09 बजे) जल में खड़े होकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें।पारंपरिक गीत/मंत्रों से छठी मैया का पूजन करें।

*प्रातः अर्घ्य व पारण (13 अप्रैल):सूर्योदय से पूर्व नदी, तालाब किनारे पहुंचें।उगते सूर्य को अर्घ्य (लगभग 5:19 बजे) दें।

*छठी मैया का पूजन, गीत गाएं।ऊनी वस्त्र पहनकर व्रत पारण करें — ठेकुआ, फल, चना, गुड़ के प्रसाद से व्रत खोलें।

"चैती छठ से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले" 

*प्रश्न (FAQs)प्रश्न 1: छठ व्रत में पानी कब तक पी सकते हैं?

*उत्तर: खरना की पूजा के बाद, चंद्रमा के दर्शन तक ही जल ग्रहण किया जाता है। उसके बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत आरंभ होता है।

*प्रश्न 2: कौन छठ व्रत रख सकता है?

उत्तर: कोई भी स्वस्थ महिला-पुरुष, बाल, वृद्ध इस व्रत को रख सकता है। मुख्य रूप से यह महिलाएं संतान प्राप्ति या उनकी सलामती हेतु करती हैं।

*प्रश्न 3: छठ व्रत में प्रसाद क्या बना सकते हैं?

*उत्तर: मुख्य प्रसाद में ठेकुआ, चना, गुड़-चावल की खीर, मौसमी फल, और गन्ना शामिल है।

*प्रश्न 4: अर्घ्य किस जल से दें?

*उत्तर: शुद्ध गंगा जल या किसी भी शुद्ध जलाशय के ताजे जल से अर्घ्य देना श्रेष्ठ होता है।

"डिस्क्लेमर" 

यह ब्लॉग केवल धार्मिक, सांस्कृतिक, और सामाजिक सूचना उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। इसमें दी गई जानकारी पुराण, ग्रंथ, ज्योतिष बताया गया पंचांग एवं सामान्य लेखकीय अनुसंधान पर आधारित है। छठ व्रत पूरी तरह आस्था, श्रद्धा और विश्वास का विषय है। इसमें उल्लिखित समय, मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत नियम स्थान-काल के अनुरूप भिन्न-भिन्न हो सकते हैं; अतः स्थानीय पंचांग या विद्वान आचार्य की सलाह अवश्य लें। 

किसी धार्मिक कृत्य करते समय संपूर्ण सतर्कता, साफ-सफाई एवं सम्मिलित व्यवस्था का पालन करें। इस व्रत से संबंधित कोई भी व्यक्तिगत परेशानी, अस्वास्थ्य या चिकित्सकीय अवस्‍था हो तो डॉक्टरी सलाह अवश्य लें — धार्मिक नियम आवेदन के पहले अपने शारीरिक सामर्थ्य, आयु, स्वास्थ्य, कार्य-परिवार-स्थिति को ध्यान में रखें। 

ब्लॉग का उद्देश्य किसी धार्मिक रीति की अनिवार्यता स्थापित करना नहीं है, बल्कि सनातन संस्कृति के प्रति श्रद्धावान समाज को पूर्ण, प्रमाणिक और संतुलित जानकारी पहुंचाना भर है। पाठकों की सुविधा के लिए पंचांग की गणना इंटरनेट, अभिग्रहित पंचांग और अनुसंधान से ली गई है, त्रुटि की संभावना हो सकती है। किसी से भी सवाल-जवाब करते समय, आपसी सम्मान और सामाजिक सौहार्द्र बनाएं रखना आवश्यक है।



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