अक्षय तृतीया 2025: जानें शुभ मुहूर्त, राशि अनुसार खरीदारी, और इस दिन की महिमा!

जानें अक्षय तृतीया 2025 का शुभ मुहूर्त, राशि के अनुसार क्या खरीदें, और इस दिन की पौराणिक कथाएं। यह दिन दान, पुण्य और खरीदारी के लिए अत्यंत शुभ है।

30 अप्रैल, 2025 दिन बुधवार को मनाया जायेगा अक्षय तृतीया का पावन पर्व! यह दिन न केवल खरीदारी के लिए शुभ माना जाता है, बल्कि इसका पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व भी बहुत गहरा है। वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि अक्षय तृतीया कहलाती है। 

"अक्षय" का अर्थ है जिसका कभी क्षय न हो। मान्यता है कि इस दिन किए गए शुभ कार्य, दान, और खरीदी गई वस्तुएं अक्षय फल देती हैं। तो आइए, इस विशेष दिन के बारे में विस्तार से जानते हैं:

अक्षय तृतीया 2025: शुभ मुहूर्त

हालांकि अक्षय तृतीया का पूरा दिन ही शुभ माना जाता है, फिर भी कुछ विशेष मुहूर्त होते हैं जिनमें पूजा और खरीदारी करना और भी फलदायी होता है। 2025 के लिए संभावित शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं (पंचांग के अनुसार भिन्नता संभव है):

 * लाभ उन्नति मुहूर्त: (सुबह 05:13 बजे से लेकर 06:51 बजे तक)

 * अमृत सर्वोत्तम मुहूर्त: (सुबह 06:51 बजे से लेकर 08:28 बजे तक)

 * शुभ मुहूर्त: (जिनके 10:05 बजे से लेकर 11:45 बजे तक)

 * अभिजीत मुहूर्त: (आज अभिजीत मुहूर्त नहीं है)

 * विजय मुहूर्त: (दोपहर 01:52 बजे से लेकर 02:44 बजे तक)

 * चर सम्मान मुहूर्त: (दिन के 02:57 बजे से लेकर शाम 04:35 बजे तक)

विशेष: अक्षय तृतीया को 'अनबूझ मुहूर्त' भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि इस दिन बिना किसी विशेष लग्न या मुहूर्त के शुभ कार्य, खासकर विवाह, किए जा सकते हैं। यदि किसी कारणवश विवाह में बाधा आ रही है, तो यह दिन निर्भीक होकर परिणय सूत्र में बंधने के लिए अत्यंत शुभ है।

अक्षय तृतीया: इस दिन क्या-क्या हुआ?

यह पावन तिथि कई महत्वपूर्ण घटनाओं से जुड़ी है:

 * ब्रह्मा जी के पुत्र अक्षय कुमार का जन्म: इस दिन ब्रह्मा जी के यशस्वी पुत्र अक्षय कुमार का जन्म हुआ था।

 * भगवान हयग्रीव का अवतार: ज्ञान और विद्या के प्रतीक भगवान हयग्रीव का अवतार भी इसी दिन हुआ था।

 * बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलना: भगवान विष्णु के पवित्र धाम बद्रीनाथ के कपाट इसी शुभ दिन खुलते हैं।

 * भगवान परशुराम का जन्म: विष्णु के छठे अवतार, न्याय और शक्ति के प्रतीक भगवान परशुराम का जन्म भी अक्षय तृतीया को हुआ था।

 * महाभारत युद्ध की समाप्ति: ऐतिहासिक महाभारत का भीषण युद्ध भी इसी दिन समाप्त हुआ था।

 * द्वापर युग का अंत और त्रेता युग का आरंभ: युगों का परिवर्तन, द्वापर युग का समापन और त्रेता युग का आरंभ भी इसी तिथि को माना जाता है।

 * वृंदावन में श्री बांके बिहारी जी के चरण दर्शन: वृंदावन के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में साल में केवल एक बार, अक्षय तृतीया के दिन ही श्री विग्रह जी के चरणों के दर्शन भक्तों को प्राप्त होते हैं।अक्षय तृतीया और खरीदारी: राशि अनुसार क्या खरीदें?

अक्षय तृतीया के दिन खरीदारी करना एक पुरानी परंपरा है। मान्यता है कि इस दिन खरीदी गई वस्तुएं स्थायी समृद्धि लाती हैं। आइए जानते हैं, आपकी राशि के अनुसार इस दिन क्या खरीदना शुभ हो सकता है:

 * मेष राशि: लाल मसूर दाल खरीदें और लड्डुओं का वितरण करें।

 * वृषभ राशि: चावल या बाजरा खरीदें और मिट्टी के जल से भरे घड़े का दान करें।

 * मिथुन राशि: नए कपड़े, हरा मूंग या धनिया खरीदें।

 * कर्क राशि: दूध और चावल खरीदें और दान करें।

 * सिंह राशि: तांबे के बर्तन खरीदें और लाल मसूर, लाल कपड़े या गुड़ का दान करें।

 * कन्या राशि: मूंग की दाल खरीदें।

 * तुला राशि: चीनी और चावल खरीदें और सफेद वस्तुओं का दान करें।

 * वृश्चिक राशि: गुड़ खरीदें और जल से भरे घड़े का दान करें, शरबत पिलाएं।

 * धनु राशि: केले और पीले चावल खरीदें और पीली वस्तुओं का दान करें। हल्दी की गांठ पीले कपड़े में बांधकर पूजा स्थल पर रखें।

 * मकर राशि: दही और काली उड़द की दाल खरीदें और काली वस्तुओं का दान करें।

 * कुंभ राशि: काला तिल और नए काले कपड़े खरीदें और सरसों का तेल, काले तिल, लोहे की वस्तुओं का दान करें।

 * मीन राशि: हल्दी और चने की दाल खरीदें और जरूरतमंदों को दान करें।

अक्षय तृतीया की पौराणिक कथाएं:

अक्षय तृतीया की महिमा कई पौराणिक कथाओं में वर्णित है:

 * भगवान परशुराम की कथा: महर्षि भृगु के पुत्र जमदग्नि के यहां वैशाख शुक्ल तृतीया को भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम का जन्म हुआ था। उन्हें भगवान शिव से परशु नामक अस्त्र प्राप्त हुआ था, जिसके कारण वे परशुराम कहलाए।

भगवान हयग्रीव की कथा: जब हयग्रीव नामक राक्षस ने ब्रह्मा जी से वेदों को छीन लिया और सृष्टि में बाधा उत्पन्न करने लगा, तब भगवान विष्णु ने हयग्रीव का अवतार लेकर उसका वध किया और वेदों को वापस लौटाया।

 * एक अमीर वैश्य की कथा: एक गरीब लेकिन दानी वैश्य ने अक्षय तृतीया का व्रत रखा और दान किया, जिसके फल स्वरूप वह समृद्ध हुआ और अगले जन्म में राजा बना।

अक्षय तृतीया: दान और पुण्य का महत्व

अक्षय तृतीया के दिन दान करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन किए गए दान का अक्षय फल मिलता है। आप अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार अन्न, वस्त्र, जल, फल, या अन्य उपयोगी वस्तुओं का दान कर सकते हैं।

अक्षय तृतीया: आंवले के वृक्ष का महत्व

इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे पूजा करना और भोजन बनाना भी शुभ माना जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। आप आंवले के वृक्ष के नीचे भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित कर पूजा कर सकते हैं और ब्राह्मणों को दान दे सकते हैं।

क्या है निष्कर्ष:

अक्षय तृतीया एक अत्यंत ही शुभ और महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन किए गए अच्छे कर्म, दान, और खरीदारी आपके जीवन में सुख, समृद्धि और अक्षय फल ला सकते हैं। इस 30 अप्रैल, 2025 को इस त्योहार को श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाएं और इसके आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व को समझें।

डिस्क्लेमर 

इस अक्षय तृतीया लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। हम यहां इस लेख अर्थात फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करते हैं। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। हम धार्मिक  अंधविश्वास के खिलाफ है।


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