मुख शुद्धि के बिना पूजा पाठ, मंत्र जाप आदि करना निष्फल होते हैं। अतः प्रतिदिन मुख शुद्धि हेतु दातुन एवं मंजन करना चाहिए।
किस तिथि, किस दिन और किस अवसर पर कौन से दातून से करें दांत साफ ?
कौन से दिश में करें दातुन
दातुन करने की धार्मिक विधि क्या है
कौन से पेड़ के दातुन का करें उपयोग
इन लकड़ियों से दातुन करना निषेध
किस तिथि को ना करें दातुन
दांत साफ करने के संबंध में विशेष रूप से उल्लेख हमारे धर्म शास्त्रों में किया गया है। धर्म शास्त्र के अनुसार तिथि, समय आदि का विशेष ध्यान दिया गया है। दातुन किस दिशा में खड़े होकर करना चाहिए। दांत साफ करने के लिए कितने पानी की जरूरत होती है। मंजन से दांत साफ करने से क्या-क्या फायदे हैं। इन सभी बातें हमारे शास्त्रों में विस्तार रूप से वर्णन किया गया है।
सुबह उठकर लोग सबसे पहले शौंच जाते हैं। इसके बाद मुंह साफ करने के लिए दातुन करते हैं। और अंत में स्नान करते हैं। हमारे जीवन में दातुन करना भी एक महत्वपूर्ण कार्य है।
हमें अपने धर्म शास्त्र के अनुसार बताए गए विधि से दातुन करनी चाहिए। इससे शरीर स्वस्थ रहता है। घर में खुशहाली और धन की वृद्धि होती है। कहा गया है शरीर की स्वस्थ्य और स्वच्छता में दांतो की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
दांत अगर आपका ठीक-ठाक है और किसी प्रकार की गड़बड़ी ना हो तो संसार में उपजने वाले हर वस्तुओं का सेवन कर सकते हैं। वहीं अगर दांत ठीक ना हो तो हर वस्तु आपके लिए सिर्फ देखने मात्र ही है।
शास्त्रों में दातुन करने के लिए 2 दिशाएं का उल्लेख किया गया है। ईशान कोण और पूर्वी दिशा। इन दोनों दिशाओं को दातुन करने के लिए उत्तम माना गया है। अतः इन्हीं दिशाओं की ओर मुंह करके बैठ जाएं। इसके बाद आराम से बिना किसी बातचीत किए हुए दातुन करें।
ब्राह्मण के लिए दातुन बारह अंगुल का होना चाहिए। उसी प्रकार क्षत्रिय के लिए नौ अंगुल, वैश्य के लिए छह अंगुल और अंत में शुद्र तथा स्त्रियों के लिए चार चार अंगुल का दातुन होना चाहिए।
दातुन करने के पहले यह देख ले कि किस दातुन से आप अपने मुंह को साफ करना चाहते हैं। वह ताजा और शास्त्र सम्मत पेड़ के दातुन होने चाहिए। दातुन मोटा और ताजा होना पहली प्राथमिकता है।
दांत साफ करने के फायदे। दातुन के एक सिरे को कूंच कर कूंची बना ले। दातुन करते समय हाथ घुटने के भीतर होनी चाहिए। इसके बाद मौन होकर मसूड़ों को बिना चोट पहुंचाए दातुन करें। दांतो की अच्छी तरह से सफाई हो जाने पर दातुन को तोड़कर और धोकर अच्छी जगह पर फेंक दें। जीभी से जीभ साफ कर 12 कुल्लें करें।
कुल्लें करते समय मुख पूरब दिशा में ना होकर दक्षिण या पश्चिम दिशा में हो। दांत साफ करने के लिए कुंआ, तालाब या नदी का जल सर्वश्रेष्ठ होता है। इससे दांत और शरीर दोनों स्वस्थ रहते हैं। दांत सुंदर और चमकीला होने पर मनुष्य के सुंदरता में चार चांद लग जाते हैैं। इसलिए हर व्यक्ति अपने दांत को स्वस्थ रखें।
शास्त्र में बताए गए पेड़ों के दातुन का उपयोग मनुष्य को करना चाहिए। सबसे अच्छा दातुन चिड़चिड़ा का पेड़ से होता है। इससे दांतों की सफाई करने पर दांत स्वास्थ्य और सुंदर दिखता है। इसके बाद नीम, गूलर, आम, बेल, कुरैया, करंज, खैर और अमरूद से दांत साफ करना उत्तम माना गया है।
दूध वाले पेड़ अर्थात बरगद और पीपल उसी प्रकार कांटे वाले पर मतलब बेड गुलाब के पौधे शहीदन से भी दांत साफ करने का विधान शास्त्रों में लिखा गया है। जिसके दांत बहुत छोटे हैं हुए पतली दातों से जिसके दांत मध्यम श्रेणी के हो हुए कुछ मोटी दातों से और जिसके दांत बड़े बड़े हो वह लोग मोटी दातुन से अपने दांत साफ करें।
हमारे शास्त्रों में कुछ पेड़ों के लकड़ियों से दातुन करने के लिए निषेध माना है। उन लकड़ियों से दातुन करने से मुंह में भिन्न-भिन्न तरह के रोग होते हैं और मनुष्य निर्बल और असंस्कारी बन जाता है। इसलिए इन लकड़ियों के दातुन का उपयोग करने से लोगों को बचना चाहिए। शास्त्र में लसोड़ा, पलाश, कपास, नील, धव, कुश और कश के पौधे की लकड़ियों के दातुन से दांत साफ करना वर्जित माना गया है।
सनातन धर्म मेंं कुछ तिथियों और अवसरों में दातुन करना निषेध माना गया है। इन तिथियों को दातुन करने से शरीर दुर्बल और रोग ग्रस्त हो जाता है। इसलिए इन तिथियों को दातुन की जगह सुगंधित मंजन से दांत साफ करनी चाहिए।