आश्विन (शारदीय) नवरात्रि 22 सितंबर, 2025 (सोमवार) से शुरू होकर 2 अक्टूबर, 2025 (गुरुवार) तक मनाया जाएगा। यह सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसमें देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा नौ दिनों तक की जाती है।
माता का आगमन और प्रस्थान
* आगमन: माता दुर्गा अपने भक्तों के घरों में हाथी वाहन पर सवार होकर आयेगी।
* प्रस्थान: नवरात्रि के अंतिम दिन, विजयादशमी पर, माता दुर्गा अपने भक्तों से विदा लेकर मनुष्य पर सवार होकर अपने लोक कैलाश धाम लौट जायेगी।
मां दुर्गा के नवरात्रि के दौरान वाहन (आगमन और प्रस्थान) का विशेष महत्व होता है। यह वाहन केवल प्रतीकात्मक नहीं है, बल्कि इसका ज्योतिषीय और आध्यात्मिक दृष्टि से भी गहरा प्रभाव माना जाता है। मां दुर्गा का हाथी पर आगमन और मनुष्य पर प्रस्थान एक अद्भुत और दुर्लभ संयोग है, जो वैश्विक और सामाजिक स्तर पर व्यापक प्रभाव डाल सकता है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं।
हाथी पर आगमन का महत्व और संकेत
हाथी पर आना सकारात्मक संकेत है। हाथी को शांति, समृद्धि, और ऐश्वर्य का प्रतीक माना जाता है। जब मां दुर्गा हाथी पर आगमन करती हैं, तो यह संकेत देता है कि प्रकृति और समाज में सामंजस्य होने पर शांति और समृद्धि का वातावरण बनेगा।
प्राकृतिक संपदा में वृद्धि होगा। कृषि और जल संसाधनों में सकारात्मक बदलाव देखने को मिल सकते हैं। लोगों में धार्मिक और आध्यात्मिक चेतना बढ़ेगी। राजनीतिक स्थिरता रहेगा। शासन और प्रशासन में स्थिरता का संकेत है।
देश-विदेश पर कैसा पड़ेगा प्रभाव
देश: भारत में खेती-बाड़ी और जल आधारित कार्यों में उन्नति होगी। विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
विदेश: अन्य देशों में प्राकृतिक संसाधनों का संतुलन बना रहेगा। पर्यावरण संबंधी समस्याओं में कमी आ सकती है।
ज्योतिषीय प्रभाव का असर
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हाथी का वाहन जल तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए इस समय वर्षा और जल स्रोतों में वृद्धि हो सकती है। यह खेती और वनस्पति के लिए शुभ संकेत है।
मनुष्य पर प्रस्थान करने का महत्व
01.चुनौतियों का संकेत: जब मां दुर्गा मनुष्य पर प्रस्थान करती हैं, तो यह संकेत देता है कि:
02.संघर्ष और चुनौतियों का समय: मनुष्य को अपने जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
03.नैतिकता और ईमानदारी की परीक्षा: यह समय मानव समाज के नैतिक मूल्यों को परखने का होता है।
04.सामाजिक जिम्मेदारी: यह मनुष्यों के कर्तव्यों की ओर इशारा करता है कि वे अपने कार्यों के प्रति सतर्क रहें।
वैश्विक प्रभाव कैसा रहेगा
देश: भारत में लोग अपने कर्तव्यों को अधिक गंभीरता से लेंगे। शिक्षा, सामाजिक न्याय, और स्वास्थ्य क्षेत्र में विकास होगा।
विदेश: वैश्विक स्तर पर मानवीय समस्याओं जैसे युद्ध, गरीबी, और पर्यावरण संकटों का समाधान निकालने के प्रयास तेज होंगे।
ज्योतिषीय प्रभाव क्या पड़ेगा
मनुष्य का वाहन पृथ्वी तत्व से जुड़ा होता है। इसका अर्थ है कि इस दौरान समाज को आर्थिक और भौतिक समस्याओं को हल करने के लिए सामूहिक प्रयास करने की आवश्यकता होगी।
01. सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव
धार्मिक चेतना का प्रसार होगा। लोग नवरात्रि के दौरान धर्म और अध्यात्म के प्रति अधिक समर्पित होंगे। सामाजिक समरसता बढ़ेगी ।विभिन्न जाति, धर्म और समुदायों के बीच आपसी मेलजोल बढ़ेगा। महिलाओं का सशक्तिकरण होगा। यह समय महिलाओं के लिए विशेष रूप से शुभ रहेगा।
02. आर्थिक प्रभाव
समृद्धि का संचार होगा। कृषि, उद्योग और व्यापार में उन्नति होगी। स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा। ग्रामीण इलाकों में उत्पादन और खपत बढ़ेगी। विदेशी निवेश होगा। भारत में विदेशी निवेश आकर्षित हो सकता है।
03. पर्यावरणीय प्रभाव
जल और वायु में शुद्धता आयेगा। प्राकृतिक संतुलन बना रहेगा।लोगों में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ेगी।
04. धार्मिक दृष्टिकोण से संदेश
हाथी पर आगमन का संदेश देवी मां यह देती हैं कि यदि मानव समाज प्रकृति और धर्म के साथ सामंजस्य स्थापित करता है, तो शांति और समृद्धि सुनिश्चित होगी। मनुष्य पर प्रस्थान का संदेश मां दुर्गा यह देती हैं कि मानव समाज को अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का निर्वहन करना चाहिए।
अब जानें कैसे पता चलेगा मां का आगवन और प्रस्थान
श्लोक मां दुर्गा के आगमन का है
शशि सूर्यके गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंग में । गुरौ शुक्रे च दोलायां बुधे नौका प्रकीर्त्तिता'।
गजे च जलदा देवी छत्र भंगस्तुरंगमे । नौकायां सर्व सिद्धि स्यात् डोलायां मरणं ध्रुवम्
जानें श्लोक में क्या कहा गया है
इसका मतलब हुआ की मां का आगमन अगर सोमवार और रविवार को होता है। अर्थात प्रतिपदा तिथि को होता है तो मां हाथी पर सवार होकर कैलाश से पृथ्वी लोक आती है।
उसी प्रकार अगर मां दुर्गा मंगलवार और शनिवार को आने पर घोड़ा की सवारी करतीं है। बुधवार के दिन आने पर नांव पर, गुरुवार और शुक्रवार को डोली और शनिवार को आने पर घोड़ा की सवारी मां करती है।
यह श्लोक है मां दुर्गा को जाने का
गजे च जलदा देवी छत्र भंगस्तुरंगमे । नौकायां सर्व सिद्धि स्यात् डोलायां मरणं ध्रुवम्
बुध शुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन गा शुभ वृष्टि का । सुरराजगुरौ यदि सा विजया नरवाहन गा शुभ सौख्य करा।
यह श्लोक है 9 दिनों तक पृथ्वी लोक में रहने के बाद दसवें दिन मां कैलाश के लिए प्रस्थान कर जाती है। मां दुर्गा दशमी तिथि को इस भूलोक से प्रस्थान करती है।
मां दुर्गा सोमवार और रविवार को अगर पृथ्वी लोक से प्रस्थान करती है तो, भैसे पर सवार होकर जाती है। मंगलवार और शनिवार को प्रस्थान करने पर मुर्गे की सवारी करती है। बुधवार और शुक्रवार को प्रस्थान करने पर हाथी की सवारी है। गुरुवार को प्रस्थान करने पर मनुष्य की सवारी करती है।
आगवन और प्रस्थान का जानें निष्कर्ष
मां दुर्गा का हाथी पर आगमन और मनुष्य पर प्रस्थान इस बात का प्रतीक है कि प्रकृति और मानवता का गहरा संबंध है। देवी मां के आगमन से जहां समृद्धि और शांति का संचार होगा, वहीं उनके प्रस्थान पर मानव समाज को अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
इस संयोग का संदेश है कि यदि मनुष्य प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर चलें, तो हर समस्या का समाधान संभव है। यह दुर्लभ संयोग हमें धर्म, कर्तव्य, और पर्यावरण के प्रति जागरूक बनाता है, जिससे देश और विदेश में शांति और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होगा।
डिस्क्लेमर
लेख लिखने का मुख्य उद्देश्य मां दुर्गा के आगवन और प्रस्थान का अंतर बताना। इस विषय की खोज हमने धर्म ग्रंथों, विद्वान ब्राह्मणों और आचार्यों से विचार-विमर्श कर एवं इंटरनेट पर उपलब्ध सामग्रियों का विवेचन कर लिखे हैं। हमने अपनी ओर से जितना सामग्री मिल सका आपके समक्ष प्रस्तुत किया है। इस विषय कि सत्यता की गारंटी हम नहीं लेते हैं। यह सिर्फ सूचना प्रद जानकारी है।