16 जनवरी 2025 को सौभाग्य सुंदरी तीज़ व्रत है जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि व दो पौराणिक कथाएं

16 जनवरी 2025, दिन गुरुवार, पौष माह के कृष्ण पक्ष तृतीया तिथि को सौभाग्य सुंदरी तीज़ व्रत मनाया जाएगा। जानें पूजा करने का शुभ मुहूर्त, पूजा करने की विधि, देश-विदेश में कहां-कहां है सौभाग्य सुंदरी माता की मंदिर सहित दो पौराणिक कथाएं पढ़ें।

सौभाग्य सुंदरी तीज़ व्रत विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की दीर्घायु, सुख-समृद्धि, और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए किए जाने वाला एक विशेष व्रत है। यह व्रत अधिकांश भारतीय सनातनी महिलाओं के द्वारा श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाता है। सौभाग्य सुंदरी तीज़ व्रत, हरि तालिका तीज और करवा चौथ जैसे व्रतों के समान महत्व रखता है।

पूजा करने की विधि:

व्रत प्रारंभ करने के पहले संकल्प ले। व्रती महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ और पवित्र वस्त्र पहनती हैं। फिर व्रत का संकल्प लिया जाता है।

सौभाग्य से जुड़े सामग्रियों का प्रयोग करे। पूजा में सौभाग्य सामग्री जैसे सिंदूर, चूड़ियां, बिंदी, मेहंदी, लाल वस्त्र, और मिठाई अर्पित की जाती है।

माता सौभाग्य सुंदरी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। पूजा स्थल पर सौभाग्य सुंदरी माता की मूर्ति स्थापित की जाती है।

शिव-पार्वती का विधि-विधान से पूजन करें। भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा विशेष रूप से की जाती है। उन्हें बेलपत्र, धतूरा, फूल, और फल अर्पित किए जाते हैं।

व्रत कथा का पाठ करें। सौभाग्य सुंदरी तीज़ व्रत की कथा का पाठ करें या श्रवण करें। जिसमें व्रत का महत्व बताया गया है।

आरती और प्रसाद वितरण करें। पूजा के अंत में माता सौभाग्य सुंदरी की आरती की जाती है, और लोगों के बीच प्रसाद का वितरण किया जाता है।

व्रत के दौरान व्रतधारी महिलाऐं दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं और रात को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत तोड़ती हैं।

पूजा करने का शुभ मुहूर्त

16 जनवरी 2025, दिन गुरुवार, पौष माह के कृष्ण पक्ष तृतीया तिथि को सौभाग्य सुंदरी तीज़ व्रत मनाया जाएगा। जानें पूजा करने का शुभ मुहूर्त।

सुबह, दोपहर और शाम के समय पूजा करने का शुभ मुहूर्त इस प्रकार है। सुबह 06:28 बजे से लेकर 07:50 बजे तक शुभ मुहूर्त रहेगा। इस प्रकार दोपहर के वक्त दिन के 10:33 बजे से लेकर 11:55 बजे तक चर मुहूर्त और 11:33 बजे से लेकर 12:17 बजे तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा। उसी प्रकार संध्या के समय पूजा करने के लिए अमृत मुहूर्त शाम 05:22 बजे से लेकर 07:00 बजे तक, चर मुहूर्त 07:00 बजे बजे से लेकर 08:39 बजे तक और गोधूलि मुहूर्त 05:20 बजे से लेकर 05:46 बजे तक रहेगा। 

चन्द्रोदय रात 07:42 बजे पर होगा। इस दौरान व्रतधारी अपने सुविधा अनुसार मां सौभाग्य सुंदरी की पूजा अर्चना कर सकते है।

(शुभ मुहूर्त पंचांग के अनुसार बदल सकता है।)

सौभाग्य सुंदरी तीज व्रत की दो पौराणिक कथा इस प्रकार है 

पार्वती जी की तपस्या और शिव का वरदान

पौराणिक काल की बात है, हिमालय की पुत्री पार्वती बाल्यकाल से ही भगवान शिव को अपना पति मानती थीं। पार्वती का मन और आत्मा भगवान शिव में पूरी तरह समर्पित था। लेकिन उनके पिता, राजा हिमालय, उनकी इस इच्छा से अनभिज्ञ थे और उन्हें भगवान विष्णु से विवाह के लिए तैयार कर रहे थे।

पार्वती ने यह सुनते ही अपनी सखी के साथ वन में जाकर घोर तपस्या प्रारंभ कर दी। उनकी तपस्या इतनी कठोर थी कि उन्होंने अन्न-जल त्याग दिया और भगवान शिव का ध्यान करते हुए वर्षों तक केवल वायु सेवन पर जीवित रहीं। उनकी यह तपस्या माता सौभाग्य सुंदरी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए थी, क्योंकि यह माना जाता था कि सौभाग्य सुंदरी माता विवाहित महिलाओं को दीर्घायु, सुखी और समृद्ध दांपत्य जीवन का वरदान देती हैं।

पार्वती की तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हुए। शिव प्रकट होकर बोले, "हे देवी, तुम्हारी भक्ति और तपस्या से मैं अत्यंत प्रसन्न हूँ। मैं तुम्हें वरदान देता हूँ कि तुम मेरी अर्धांगिनी बनोगी और हमारा संबंध अनंतकाल तक अमिट रहेगा।"

सौभाग्य सुंदरी माता का आशीर्वाद

पार्वती जी की तपस्या के दौरान उन्होंने माता सौभाग्य सुंदरी की आराधना की। सौभाग्य सुंदरी माता स्त्रियों के सौभाग्य, प्रेम, और परिवार की समृद्धि की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती हैं।

पार्वती जी ने माता सौभाग्य सुंदरी को प्रसन्न करने के लिए विशेष व्रत और अनुष्ठान किया। यह व्रत अत्यंत कठोर और नियमबद्ध था। माता सौभाग्य सुंदरी ने प्रकट होकर पार्वती को वरदान दिया, "हे कन्या, तुम्हारी भक्ति से मैं अति प्रसन्न हूं। तुम्हारा दांपत्य जीवन सदा सुखी और समृद्ध रहेगा। जो स्त्रियां इस व्रत को श्रद्धा और निष्ठा के साथ करेंगी, उन्हें भी यह वरदान प्राप्त होगा।"

इस प्रकार माता सौभाग्य सुंदरी के आशीर्वाद से पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया।

दूसरी पौराणिक कथा गरीब ब्राह्मण कन्या की

इस व्रत से जुड़ी एक अन्य कथा के अनुसार एक गरीब ब्राह्मण कि कन्या थी। पौराणिक समय कि बात है एक गरीब ब्राह्मण अपनी पुत्री के विवाह के लिए चिंतित था। कन्या अपने पिता की दशा देखकर अत्यंत दुःखी रहती थी। उसने गांव की महिलाओं से सौभाग्य सुंदरी व्रत के बारे में कथा सुनी और उसने व्रत करने का संकल्प ले ली।

कन्या ने पूरे विधि-विधान से सौभाग्य सुंदरी माता की पूजा की। उसने माता से प्रार्थना की, "हे माता, मेरे पिता की चिंता दूर करें और मेरे लिए ऐसा पति दें जो मुझे प्रेम और सम्मान दे।"

माता सौभाग्य सुंदरी ने उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर उसे सपने में दर्शन दिए और कहा, "हे कन्या, तुम्हारी प्रार्थना स्वीकार है। तुम्हें ऐसा जीवनसाथी मिलेगा जो तुम्हारे जीवन को सुख-समृद्धि से भर देगा।"

कुछ समय बाद, एक धनवान और सुसंस्कृत युवक ने उस कन्या से विवाह किया। उसका जीवन सुख-समृद्धि से भर गया, और उसके पिता की चिंता समाप्त हो गई।

1. भारत में कहां-कहां है मंदिर

सौभाग्य सुंदरी मंदिर, जयपुर (राजस्थान): यह मंदिर महिलाओं द्वारा विशेष रूप से पूजा करने के लिए प्रसिद्ध है।

सौभाग्येश्वरी मंदिर, वाराणसी (उत्तर प्रदेश): यहाँ शिव-पार्वती का संयुक्त पूजन किया जाता है।

सौभाग्य देवी मंदिर, उज्जैन (मध्य प्रदेश): यह मंदिर भक्तों के मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रसिद्ध है।

2. विदेशों में कहां-कहां है मंदिर:

त्रिनिदाद और टोबैगो: यहां भारतीय प्रवासी समुदाय द्वारा सौभाग्य देवी का मंदिर स्थापित किया गया है।

नेपाल: काठमांडू के कुछ शिव मंदिरों में सौभाग्य तीज विशेष रूप से मनाई जाती है।

डिस्क्लेमर

माता सौभाग्य सुंदरी की पूजा हमारे सनातन धर्म में पौराणिक काल से चलते आ रहा है। इस पूजा के संबंध में विशेष जानकारी विद्वान बह्मणों, धर्माचार्य और स्थानीय लोक कथाओं से जानकारी क  इकट्ठा कर आपके लिए उपलब्ध कराया गया है। साथ ही इंटरनेट से भी जानकारी ली गई है। हमारा उद्देश्य सनातन धर्म के अंतर्गत आने वाले व्रत और त्योहारों की जानकारी उपलब्ध कराना ही मात्र उद्देश्य है। लेख में दी गई जानकारी की पूरी गारंटी हम नहीं लेते हैं।

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