खरमास शुरू होते ही हर तरह के धार्मिक अनुष्ठान पूरी तरह हो जाती है बंद।
एक माह तक चलने वाले इस खरमास माह का क्या है पौराणिक कथा।
साल में कब-कब आता है खरमास ? जानें विस्तार से।
16 दिसंबर से लगने वाला है खरमास।
खरमास के दौरान शुभ कार्यों पर रहेगी पाबंदी
सूर्य देव को धनु राशि में प्रवेश करते ही अगले 28 दिन के लिए मुंडन, सगाई, शादी-ब्याह, दूरागमन, जनेऊ संस्कार और गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्यों पर लग जायेगा पूर्ण विराम।
सूर्य देव 16 दिसंबर 2022, दिन शुक्रवार को धनु राशि में प्रवेश करेंगे और उसी दिन से खरमास प्रारंभ हो जाएगा।
लगभग एक माह के बाद 14 जनवरी को भगवान सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते ही शुभ कार्य आरंभ हो जायेगा।
16 दिसंबर से लेकर 13 जनवरी तक रहेगा खरमास।
खरमास लगने का क्या है नियम
हिन्दू और सनातनी पंचांग के अनुसार, वर्ष में कुल 12 संक्रांतियां होती हैं। सूर्य देव जब धनु राशि और मीन राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे धनु राशि की संक्रांति और मीन राशि की संक्रांति कहा जाता है। सूर्य जब धनु राशि और मीन राशि में रहते हैं, तो उस समय को खरमास या मलमास कहा जाता है। इस दौरान शुभ और मांगलिक कार्य करना पूर्णता वर्जित रहते हैं।
खरमास में क्यों बंद हो जाते हैं शुभ कार्य
धर्मशास्त्र और ज्योतिषियों की मानें तो देवताओं के गुरु बृहस्पति धनु राशि के स्वामी हैं। बृहस्पति का अपनी ही राशि में प्रवेश करना मनुष्यों के लिए अच्छा नहीं होता है। ऐसा होने पर मनुष्यों की कुंडली में सूर्य कमजोर पड़ जाता है। सूर्य के कमजोर पड़ जाने के कारण इसे खरमास कहते हैं। दूसरी ओर ऐसा कहा जाता है कि खरमास में सूर्य का स्वभाव उग्र हो जाता है। सूर्य के कमजोर स्थिति में होने की वजह से इस महीने शुभ कार्य बंद रहते है।
खरमास में नहीं करने चाहिए ये काम
खरमास के दौरान मांगलिक और शुभ कार्य करना सख्त मना हैं। खरमास के दौरान अगर वैवाहिक कार्यक्रम किया जाए तो नव दंपती के जीवन में भावनात्मक और शारीरिक सुख दोनों में कमी आ जाती है।
खरमास के दौरान भवन का निर्माण, गृह-प्रवेश या संपत्ति की खरीदारी करना वर्जित है। इस दौरान बनाए गए मकान आमतौर पर कमजोर और अपसगुन होते हैं और उसमें रहने वाले लोग कभी सुख नहीं रह पाते हैं।
खरमास के दौरान नूतन कार्य या व्यापार प्रारंभ न करें। इससे व्यापार में घाटा होने की संभावना बढ़ जाती है।
इस दौरान दूरागमन, (रोसगदी), जनेऊ संस्कार, कर्णवेध (कान छेदना) और मुंडन जैसे कार्य करना मना हैं। क्योंकि इस अवधि में किए गए कार्यों से रिश्तों में खटांस आने की सम्भावना बढ़ जाती है।
खरमास के दौरान धार्मिक अनुष्ठान करने से परहेज़ करे। रोजान किए जानें वाले अनुष्ठान आप कर सकते हैं।
खरमास का क्या है पौराणिक कथा
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार खरमास की कहानी इस प्रकार है। भगवान सूर्यदेव सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर चौबिसों घंटे ब्रह्मांड की परिक्रमा करते रहते हैं। उन्हें किसी भी स्थान पर रुकने की इजाजत नहीं है। सूर्य देव की रथ रुकते ही जनजीवन में ठहराव आ जाएगा।
दूसरी ओर जो घोड़े उनके रथ में जुते थे, वे लगातार चलाते रहने व विश्राम न मिलने के कारण भूख-प्यास से निढाल हो गए थे।
अपने घोड़ों के दयनीय स्थिति को देखकर भगवान सूर्यदेव का मन भी दुःखी हो गया। भगवान सूर्यदेव घोड़े को एक तालाब किनारे ले गए। उसी समय उन्हें एहसास हुआ कि अगर रथ रुक गया तो अनर्थ हो जाएगा। लेकिन घोड़ों का सौभाग्य कहिए कि तालाब के किनारे दो खर (गदहा) मौजूद थे।
भगवान सूर्यदेव घोड़ों को पानी पीने व विश्राम करने के लिए तालाब के पास छोड़ देते हैं। घोड़े के जगह खर अर्थात गदहों को अपने रथ में जोत देते हैं। घोड़ा तो घोड़ा होता है और गदहा तो गदहा है। रथ में गदहा जोते रहने के कारण रथ की गति धीमी पड़ जाती है। जैसे-तैसे एक माह का समय (चक्र) पूरा हो जाता है। इस दौरान घोड़ों को भी विश्राम मिल जाता है। इस तरह यह क्रम चलता रहता है। हर वर्ष साल में दो बार सौरमाह खरमास आता है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार 16 दिसंबर, पौष मास के कृष्ण पक्ष, अष्टमी तिथि को सूर्यदेव वृश्चिक राशि से धनु राशि में प्रवेश करेंगे और खरमास शुरू हो जाएगा।
14 जनवरी, माध माह के कृष्ण पक्ष सप्तमी तिथि को भगवान सूर्य देव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते ही खरमास खत्म हो जाएगा।
इस दिन मकर संक्रांति पर्व मनाया जाएगा साथ ही शुभ कार्य शुरू हो जायेगा।
डिस्क्लेमर
खरमास के संबंधित लेख धर्मशास्त्र, ज्योतिष शास्त्र और पौराणिक कथाओं पर आधारित है। हिंदू पंचांग से भी राशि जानने के लिए सहयोग लिया गया है। यह लेख पूरी तरह धार्मिक अनुष्ठान, हिंदू आस्था और सनातनी परंपराओं पर आधारित है। लेख एक सूचना परक है। इसे लोग सूचना समझ कर ही पढ़े।
Tags:
किन चीजों पर रहेगी पाबंदी। राशि और गुरु वृहस्पति का क्या है खेल।
खरमास शुरू होगा 16 दिसंबर से। जानें पौराणिक कथा