शिव पुराण के अनुसार 12 तरह के होते हैं दान। 12 तरह के दान करने से मनुष्य को सद् गति और परलोक की प्राप्ति होती है।
अब हम जानेंगे कि कौन से वस्तुओं को दान करने से हमें किस तरह के फल की प्राप्ति होती है।
दान करने वाले वस्तुओं के नाम
मसलन गौदान, घी दान, भूमि दान, तिल दान, सोना के दाम, वस्त्र दान, धन (पैसा) दान, गुड़ दान, चांदी दान, नमक दान, कोहड़ा दान और कन्या दान प्रमुख है। इन 12 वस्तुओं का दान मनुष्य को करना चाहिए।
दान करने से मिलने वाले फल
गौदान करने से सभी तरह के पापों का निवारण होता है। और पुण्य कर्मों की पुष्टि होती है।
भूमि दान करने पर परलोक में आश्रय देने वाला होता है। भू-लोक पर जमीन दान करने का परलोक में जमीन मुहैया कराती है।
तिल का दान करने से मनुष्य बलवान होता है। इसे बल प्रदान करने वाला कहा जाता है, तथा अकाल मृत्यु का निवारक करने वाला होता है।
सोने का दान वीर्यवर्द्धक और वीर्यदायक होता है। घी का दान पुष्टि कारक होता है।
नमक दान से रूचिकर भोजन की प्राप्ति होती है। कोहड़ा के दान करने से को पुष्टि दायक माना जाता है। कन्या का दान आजीवन भोग देने वाला होता है।
उच्च कोटि का दान किसे कहते हैं
जिन वस्तुओं से श्रवण मात्र इंद्रियों की तृप्ति होती है। उसका सदा दान करें। वेद और शास्त्र को गुरु मुख से ग्रहण करने पर अच्छे कर्मों का फल अवश्य मिलता है। इसे ही उच्च कोटि का दान कहते हैं।
भाई बंधु अथवा राज के भय से जो आस्तिकता होती है। वह निम्न श्रेणी की होती है। जिस मनुष्य के पास धन का अभाव है। वह वाणी और कर्म द्वारा ही पूजन करें।
शारीरिक पूजन तीर्थ यात्रा और व्रत है
तीर्थ यात्रा और व्रत से को शारीरिक पूजन माना जाता है। तपस्या और दान मनुष्य को सदा करने चाहिए। देवताओं के तृप्ति के लिए जो कुछ दान किया जाता है वह सब प्रकार के भोग प्रदान करने वाला है।