धनतेरस की रात यमराज की पूजन करने का विशेष विधान है। साल भर में सिर्फ एक ही दिन धनतेरस की रात यमराज की पूजा कर, दीप दान (निकालने) की धार्मिक परंपरा है।
धनतेरस की रात यमराज की पूजन कर अपने घर के बाहर दक्षिण दिशा में दीप का मुख रखने से भगवान यमराज प्रसन्न होते हैं और घर में अकाल-मृत्यु किसी को भी नहीं होती है।
पुराने दीया में सरसों या तिल का तेल डालकर, कपड़े का बात्ती लगाकर घर की सबसे बुजुर्ग महिला दीप दान करती है।
कब निकालें यम का दीया
घर के सभी सदस्यों को भोजन करने के उपरांत यम के दिए हो पूरे घर के सभी कमरों में दिखाने के बाद घर के बाहर कचरे के ढेर के नजदीक दक्षिण की ओर मुख करके दीया को रख दें। इसके बाद भगवान यमराज का नाम लेकर जल अर्पितकर दें। दीपदान करने के बाद पीछे मुड़कर दीप को न देखें। सीधे घर में प्रवेश कर जाए।
यम का दीया निकालने से अकाल मृत्यु का भय हो जाता है समाप्त
माना जाता है कि यम के दीया निकालने से घर के किसी भी सदस्य को अकाल मृत्यु नहीं होती है और घर के सभी नकारात्मक ऊर्जा बाहर चले जाते हैं और सकारात्मक ऊर्जा से पूरा घर भर जाता है।
यम दीपदान का पौराणिक कथा
स्कंद पुराण के अनुसार एक बार यमराज ने अपने दूतों से पूछा कि कभी ऐसा भी होता है कि जब किसी का प्राण हरण करने तुम जाते हो तुम्हारी आंखों में आंसू आ जाते हैं और उस व्यक्ति का प्राण हरण करने का मन नहीं करता है।
यमराज जी के समझाने के बाद एक दूत ने एक घटना को याद करते हैं कहा कि किसी राज्य में एक राजकुमार रहता था। राजकुमार के कुंडली के अनुसार उसके विवाह के उपरांत 4 दिन तक वह जीवित रहेगा इसके बाद उसकी मृत्यु निश्चित है।
राजा को बात पता चला तो राजकुमार को ब्राह्मण के भेष बनाकर जंगल में रहने का आदेश दिया। राजकुमार सुख पूर्वक जंगल में रहने लगे। हंस देश की राजकुमारी जंगल में भ्रमण करने को आई थी।उसमें राजकुमार को देख लिया और उसके रंग रूप पर मोहित हो गई। इसके बाद दोनों ने गंधर्व विवाह कर लिया। विवाह के उपरांत चौथे दिन ही राजकुमार की मौत हो गई।
यमराज के दूत जब राजकुमार का प्रण लेने आए तो राजकुमारी का रूदन देखकर आंखें भर गई। होनी को कोई टाल नहीं सकता। इस कारण यमराज के दूत को राजकुमार का प्राण लेकर आना पड़ा।
दूत ने यमराज से पूछा कोई ऐसा उपाय नहीं है जिससे किसी भी व्यक्ति को अकाल मृत्यु न हो। यमराज जी ने कहा कार्तिक मास, कृष्ण पक्ष के त्रियोदशी तिथि को जो मेरे नाम का दीपदान करेगा उसे घर में अकाल मृत्यु किसी भी व्यक्ति को नहीं होगा
यम दीप निकालने का समय और तरीका
कार्तिक मास कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि को धनतेरस के दिन यम का दीया घर से निकालने का विधान है। देर रात परिवार के सभी लोग खाना खाकर सोने के लिए जाने लगे उसी समय घर की सबसे बुज़ुर्ग महिला एक बड़े सा दीया जिसमें सरसों या तिल का तेल भरा हो, उसे लेकर घर से बाहर जाती है और कचरे के ढेर के सामने दक्षिण की ओर मुख करके दीया रखती है।
उसके बाद यमराज को जल से अर्ध्य देती है। इसके बाद यमराज से अपने परिवार के खुशहाली और अकाल मृत्यु से बचने के लिए प्रार्थना करती है। इसके बाद बिना मुड़े घर की ओर प्रस्थान कर जाती है।