"Haritalika Teej 2025: अखंड सौभाग्य और पति की दीर्घायु का महापर्व - संपूर्ण पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और पौराणिक कथा"!

"हरितालिका तीज 2025 कब है? जानें अखंड सौभाग्य और पति की लंबी उम्र के लिए हरितालिका तीज की संपूर्ण पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, पौराणिक कथा और 07 विशेष उपाय। Haritalika Teej Vrat Vidhi in Hindi".

"घने जंगल और शांत पहाड़ियों के बीच एक सुहागन महिला श्रद्धा से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हुए। यह पर्व सौभाग्य, समर्पण और प्रेम का प्रतीक है।"

"हरितालिका तीज, सनातन धर्म के सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह विशेष रूप से विवाहित महिलाओं और अविवाहित कन्याओं द्वारा मनाया जाता है, जो अखंड सौभाग्य और मनचाहे पति की प्राप्ति के लिए कठोर व्रत रखती हैं। यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के अटूट प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। हर वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को यह शुभ त्योहार मनाया जाता है।"

"2025 में हरितालिका तीज: शुभ तिथि और मुहूर्त"

"इस वर्ष, हरितालिका तीज 2025, दिनांक 26 अगस्त दिन मंगलवार,  भाद्रपद मास, शुक्ल पक्ष, तृतीया तिथि को मनाई जाएगी।"

 * तृतीया तिथि प्रारंभ: [25 अगस्त दिन सोमवार को दोपहर 12:34 बजे से]

 * तृतीया तिथि समाप्त: [26 अगस्त दिन मंगलवार को दोपहर 1:54 बजे पर समाप्त होगा]

शुभ पूजा मुहूर्त:

हरितालिका तीज की पूजा के लिए कुछ विशेष मुहूर्त अत्यंत शुभ माने जाते हैं। इस दौरान पूजा करने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है:

 * प्रातः काल पूजा मुहूर्त: [चर मुहूर्त सुबह 08:36 बजे से लेकर 10:12 बजे तक, लाभ मुहूर्त 10:12 बजे से लेकर 11:45 बजे तक,, अभिजीत मुहूर्त 11:21 बजे से लेकर 12:12 बजे तक और अमृत मुहूर्त 11:45 बजे से लेकर 01:22 बजे तक रहेगा।

 * गोधूलि वेला पूजा मुहूर्त: [गोधूलि मुहूर्त शाम 06:08 बजे से लेकर 06:31 बजे तक, सायाह्य संध्य मुहूर्त 06:08 बजे से लेकर 07:16 बजे तक और लाभ मुहूर्त 07:30 बजे से लेकर 08:58 बजे तक रहेगा]

हरितालिका तीज का महत्व: क्यों किया जाता है यह व्रत"?

"हरितालिका तीज का व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन की कहानी से जुड़ा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी।"

 "उन्होंने 107 जन्म लिए, लेकिन शिव उन्हें पति रूप में नहीं मिले। अंततः 108 वें जन्म में, भाद्रपद मास की तृतीया तिथि को, उन्होंने निर्जला व्रत रखते हुए घोर तपस्या की और भगवान शिव को प्रसन्न किया।" 

"शिवजी ने उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। तभी से, ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से माता पार्वती प्रसन्न होकर पतियों को दीर्घायु और निरोगी होने का आशीर्वाद देती हैं। अविवाहित कन्याएं भी सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत करती हैं।"

"एक अविस्मरणीय दृश्य, जहां महिलाएं हरितालिका तीज के शुभ अवसर पर एकजुट होकर प्रार्थना कर रही हैं। भगवान शिव और देवी पार्वती की केंद्रीय छवि, विस्तृत पूजा सामग्री, और एक पुजारी की उपस्थिति इस धार्मिक समागम की पवित्रता को दर्शाती है। यह तस्वीर भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।"

"यह व्रत केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि पति-पत्नी के रिश्ते में प्रेम, विश्वास और सम्मान का प्रतीक है। यह महिलाओं को आत्म-विश्वास और दृढ़ संकल्प के साथ अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने की प्रेरणा देता है।"

"हरितालिका तीज पूजा विधि: ऐसे करें भगवान शिव और माता पार्वती को प्रसन्न"

"हरितालिका तीज का व्रत अत्यंत कठिन होता है, क्योंकि यह निर्जला और निराहार रखा जाता है। इस व्रत को पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से करना चाहिए।"

1. "पूजा की तैयारी और सामग्री सूची"

"हरितालिका तीज की पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री एकत्रित कर लें:"

 * देवी-देवताओं की प्रतिमाएं: भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की मिट्टी की प्रतिमाएं (अधिमानतः स्वयं बनाई हुई) या तस्वीरें।

 * पूजा के बर्तन: तांबे या पीतल का लोटा, जल कलश के लिए मिट्टी का बर्तन।

 * वस्त्र और आभूषण: माता पार्वती के लिए रेशमी वस्त्र, आभूषण, चूड़ियां, सिंदूर, मेहंदी, आलता। भगवान शिव के लिए वस्त्र और जनेऊ।

 
"इस तस्वीर में हरितालिका तीज की पूजा में इस्तेमाल होने वाली पारंपरिक सामग्री को दर्शाया गया है। केंद्र में भगवान शिव और माता पार्वती की दिव्य छवि है, जो भक्तों के हृदय में श्रद्धा का भाव जगाती है। पीतल का लोटा पवित्र जल का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि मिट्टी के दीये अंधकार को दूर करके ज्ञान का प्रकाश फैलाते हैं। रंग-बिरंगे फूल प्रकृति की सुंदरता और श्रद्धा के अर्पण का प्रतीक हैं।"

* पुष्प और माला: धतूरा, आंकड़े का फूल, बेलपत्र, कनेर का फूल, मौसमी फूल, फूलों की माला।

 * फल और नैवेद्य: सूखे मेवे, मौसमी फल, मिठाई, तिल, जौ, पान, नारियल, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गुड़)।

 * अन्य सामग्री: दूध, दही, मधु, चावल, अष्टगंध, दीपक, तेल, रूई, चंदन, भांग, घी, गन्ने का रस, गंगाजल, दक्षिणा।

 * सुहागी का सामान: अपनी सास (या जेठानी/बुजुर्ग महिला) को देने के लिए सुहागी का सामान जैसे चूड़ियां, बिंदी, सिंदूर आदि।

2. "पूजा से पहले संकल्प लें"

"किसी भी पूजन से पहले संकल्प लेना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। यह आपकी मनोकामना को ईश्वर तक पहुंचाने का एक माध्यम है"।

"संकल्प विधि":

"सबसे पहले अपने हाथों को जल से धो लें। फिर हाथ जोड़कर बैठ जाएं। अपने दाहिने हाथ में चावल, जल, दूर्वा (दूब घास) और पुष्प रख लें। अब निम्नलिखित तरीके से संकल्प लें:"

 * जिस दिन आप पूजा कर रहे हैं उस दिन का नाम (जैसे मंगलवार)।

 * अपना नाम।

 * कौन सी तिथि है (जैसे तृतीया तिथि)।

 * विक्रम संवत 2082।

 * देश और शहर का नाम (जैसे भारत, दिल्ली, जमशेदपुर, गयाजी)।

 * अपने गोत्र का नाम।

 * अपनी मनोकामना बताएं (जैसे पति की दीर्घायु और अखंड सौभाग्य के लिए हरितालिका तीज व्रत कर रही हूं)।

"संकल्प लेने के बाद, हाथ में ली हुई सभी सामग्री को भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी के चरणों में अर्पित कर दें"।

"इस सुंदर तस्वीर में हरितालिका तीज के व्रत से एक दिन पहले का भावुक क्षण कैद है। महिलाएं नदी के पावन जल में स्नान कर रही हैं, और फिर भीगे लाल परिधानों में नदी किनारे आकर हाथ जोड़कर भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान करते हुए तीज व्रत का संकल्प ले रही हैं। पृष्ठभूमि में खड़ा मंदिर इस पवित्र अनुष्ठान को और भी दिव्य बना रहा है। यह दृश्य महिलाओं की अटूट श्रद्धा और उनके गहरे विश्वास को दर्शाता है"।

3. "भगवान शिव और माता पार्वती की संपूर्ण पूजा विधि"

"हरितालिका तीज पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अत्यंत विधि-विधान से की जाती है:"

 * प्रतिमा स्थापना: सबसे पहले माता पार्वती की प्रतिमा को भगवान शिव की बाईं ओर स्थापित करें। भगवान गणेश को उनके सामने या दाईं ओर रखें।

 * स्नान: शिव और पार्वती को शुद्ध जल से स्नान कराएं। इसके बाद गंगाजल से, फिर पंचामृत से और अंत में एक बार फिर शुद्ध जल से स्नान कराएं।

 * वस्त्र अर्पण: शिव-पार्वती को नवीन वस्त्र अर्पित करें। विवाहित महिलाएं इस दिन हरे रंग की नई चूड़ियां, हरी साड़ी, मेहंदी और पैरों में आलता लगाती हैं, क्योंकि ये सुहाग का प्रतीक माने जाते हैं।

 * आभूषण और माला: देवी-देवताओं को आभूषण और फूलों की माला पहनाएं।

 * तिलक और इत्र: इत्र लगाएं। भगवान शिव को "ऊं साम्ब शिवाय नमः" मंत्र का जप करते हुए अष्टगंध का तिलक लगाएं। माता पार्वती को "ऊं गौर्यै नमः" मंत्र जपते हुए कुमकुम का तिलक लगाएं।

 * धूप-दीप और पुष्प: धूप, दीप जलाएं और पुष्प अर्पित करें। अपनी श्रद्धा अनुसार घी या तेल का दीपक जलाएं।

 * मंत्र जप: गौरी शंकर के पूजन के समय "ऊं उमामहेश्वराभ्यां नमः" मंत्र का जाप करें।

 * बेलपत्र और कनेर पुष्प: भगवान शिव को बेलपत्र और कनेर के फूल विशेष रूप से अर्पित करें।

 * नैवेद्य और परिक्रमा: आरती के उपरांत भगवान को विभिन्न प्रकार के फल, मिठाई और नैवेद्य अर्पित करें। इसके बाद परिक्रमा करें।

 * हरितालिका तीज कथा: सभी व्रतधारी महिलाएं एक साथ बैठें। एक महिला पौराणिक कथा सुनाएं, और बाकी सभी महिलाएं कथा को ध्यान से सुनें, मन में अपने पति का ध्यान करें और उनकी दीर्घायु की कामना करती रहें।

 * सास को सुहागी: पूजा के बाद, व्रतधारी सुहागिन महिलाएं अपनी सास के पांव छूकर उन्हें सुहागी देती हैं। यदि सास न हों, तो जेठानी या घर की किसी अन्य बुजुर्ग महिला को सुहागी दी जा सकती है। यह आशीर्वाद प्राप्त करने का एक तरीका है।

4. "लाल मिट्टी से स्नान (कुछ स्थानों पर)"

"कुछ जगहों पर महिलाएं माता पार्वती की पूजा करने के बाद लाल मिट्टी से स्नान करती हैं। ऐसी परंपरा है कि ऐसा करने से महिलाएं पूरी तरह से शुद्ध और निरोग हो जाती हैं।"

"यह तस्वीर हरितालिका तीज के पावन अनुष्ठान के बाद एक अनूठे और पवित्र क्षण को दर्शाती है। बड़ी संख्या में महिलाएं, श्वेत साड़ियों में सुशोभित, लाल मिट्टी के कुंड में स्नान कर रही हैं। माता पार्वती की पूजा के उपरांत किया जाने वाला यह स्नान, शुद्धि, नवजीवन और प्रकृति से जुड़ाव का प्रतीक है। लाल मिट्टी, जो धरती माँ का प्रतिनिधित्व करती है, स्वास्थ्य और उर्वरता से जुड़ी है। यह दृश्य भारतीय परंपराओं की गहराई और महिलाओं की अटूट आस्था को खूबसूरती से दर्शाता है, जहाँ वे अपने शरीर और आत्मा को शुद्ध करने के लिए प्रकृति के तत्वों का सहारा लेती हैं"।

"हरितालिका तीज की पौराणिक कथा: शिव-पार्वती के प्रेम का प्रतीक"

"हरितालिका तीज का व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के अटूट प्रेम और भक्ति की कहानी से जुड़ा है। यह कथा इस व्रत के महत्व को गहराई से समझाती है"।

"पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती का जन्म पर्वतराज हिमालय के घर में हुआ था। बचपन से ही वे भगवान भोलेनाथ की अनन्य भक्त थीं और उन्हें अपने पति के रूप में पाने की प्रबल इच्छा रखती थीं"।

"माता पार्वती ने भगवान शिव को वर के रूप में पाने के लिए महल में रहते हुए ही कठोर व्रत और तपस्या आरंभ कर दी। उनकी भक्ति देखकर पिता हिमालय दुःखी हुए। इसी दौरान देवर्षि नारद उनके पास आए। नारदजी ने माता पार्वती की कथा सुनने के बाद राजा हिमालय को भगवान विष्णु से पार्वती का विवाह करने का सुझाव दिया। राजा हिमालय ने नारदजी की बात मान ली और अपनी सहमति दे दी"।

"राजा हिमालय से सहमति मिलने पर नारदजी ने क्षीर सागर में विश्राम कर रहे भगवान विष्णु को यह सुखद समाचार सुनाया और पार्वती से विवाह करने के लिए भगवान विष्णु की सहमति भी प्राप्त कर ली"।

"जब यह समाचार माता पार्वती को मिला, तो वे अत्यधिक विचलित हो गईं। उन्होंने अपनी सखियों से अपने मन की बात कही और भोलेनाथ को प्राप्त करने के लिए उपाय पूछा। उनकी सखियों ने उन्हें घने जंगल में ले जाकर एक गुफा में छिपा दिया और घोर तपस्या करने का सुझाव दिया"।

"इस मनमोहक तस्वीर में, माता पार्वती को उनकी प्रिय सखियाँ घने जंगल के बीच स्थित एक रहस्यमय गुफा की ओर ले जा रही हैं। उनके चेहरे पर स्नेह और तत्परता का भाव है, क्योंकि वे पार्वती को उनके पिता से छुपाने के मिशन पर हैं। जगमगाते नीले फूल और हरी-भरी वनस्पति एक जादुई वातावरण बनाते हैं, जो इस गुप्त यात्रा को और भी विशेष बनाता है। यह दृश्य हरितालिका तीज की कथा का सार प्रस्तुत करता है, जहाँ सखियाँ मिलकर पार्वती की इच्छा का सम्मान करती हैं और उन्हें भगवान शिव से विवाह करने में सहायता करती हैं। यह तस्वीर सच्ची मित्रता और अटूट समर्थन की सुंदरता को दर्शाती है"।

"माता पार्वती ने उस गुफा में भगवान भोलेनाथ की तपस्या शुरू कर दी। यह संयोग था कि भाद्रपद मास, शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि और हस्त नक्षत्र के शुभ संयोग के दिन, माता पार्वती ने बालू (रेत) का शिवलिंग बनाकर पूरी निष्ठा और विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा-अर्चना की। उन्होंने अन्न-जल त्याग कर निर्जला व्रत रखा और घोर तपस्या की"।

"भगवान भोलेनाथ, माता पार्वती की इस दृढ़ आराधना, पूजा और हठयोग से अत्यंत प्रसन्न हुए। उन्होंने माता पार्वती को दर्शन दिए और उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करने का वचन दिया"।

"इधर, माता पार्वती के घर से चले जाने पर पिता हिमालय बहुत चिंतित हुए। वे अपनी पुत्री को खोजते हुए उस गुफा के पास पहुंच गए। माता पार्वती ने अपने पिता को अपनी तपस्या, भगवान भोलेनाथ के दर्शन और उनके द्वारा पत्नी के रूप में स्वीकार किए जाने की पूरी कथा सुनाई। राजा हिमालय अपनी पुत्री की कथा सुनकर बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने भगवान शिव को अपने दामाद के रूप में स्वीकार करने का वचन दे दिया"।

"तभी से ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से मां पार्वती प्रसन्न होकर व्रतधारियों के पतियों को दीर्घायु और निरोग होने का आशीर्वाद देती हैं, और अविवाहित कन्याओं को मनचाहा वर प्राप्त होता है"।

"हरितालिका तीज: एक उत्सव, एक परंपरा"

"हरितालिका तीज केवल पूजा-पाठ तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह एक जीवंत त्योहार है जो भारतीय संस्कृति की समृद्ध परंपराओं को दर्शाता है"।

1. "मायके से आता है श्रृंगार का सामान"

"हरितालिका तीज के दिन विवाहित स्त्रियों के मायके से श्रृंगार का सामान, नए वस्त्र, फल और मिठाइयां व्रत करने के लिए उनके ससुराल आती हैं। यह परंपरा बेटी के प्रति माता-पिता के प्रेम और सम्मान को दर्शाती है"।

2. "सोलह श्रृंगार और उत्सव का माहौल"

"इस दिन महिलाएं सुबह घर के काम और स्नान करने के बाद सोलह श्रृंगार करती हैं। हरे रंग के वस्त्र, हरी चुनरी, हरी साड़ी, हाथों और पैरों में मेहंदी, और ढेर सारे आभूषण पहनकर वे मां पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं। पूरे घर में उत्सव जैसा माहौल रहता है। भजन, लोक गीत और नृत्य का आयोजन किया जाता है"।

3. "झूला और मेलों का आयोजन"

"हरितालिका तीज के दिन जगह-जगह झूले झूलने का आयोजन किया जाता है। महिलाएं झूला झूलते हुए लोक गीत गाती हैं। अनेक स्थानों पर इस दिन मेलों का आयोजन होता है और मां पार्वती और भोलेनाथ की सवारी बड़े धूमधाम और गाजे-बाजे के साथ निकाली जाती है। यह त्योहार सामूहिक उल्लास और सामाजिक सौहार्द का भी प्रतीक है"।

"यह तस्वीर तीज व्रत की सच्ची भावना को दर्शाती है, जहाँ महिलाएं उपवास के बावजूद उल्लास और आनंद से भरी हुई हैं। हरे-भरे वातावरण के बीच, वे सामूहिक रूप से पेड़ पर लगे झूले का आनंद ले रही हैं, उनके चेहरों पर खुशी और उत्साह साफ झलक रहा है। उनके मधुर गीत हवा में घुल रहे हैं, जो इस पर्व की जीवंतता और सामूहिक भावना को दर्शाते हैं। यह दृश्य भारतीय त्योहारों की सुंदरता और महिलाओं के अटूट उत्साह का एक सुंदर प्रतीक है, जहाँ परंपरा और आनंद एक साथ मिलते हैं"।

4. "पुरुषों की भागीदारी"

"यह तीज व्रत केवल महिलाओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि कई जगहों पर पुरुष भी मां की प्रतिमा को पालकी पर बैठाकर झांकी निकालते हैं। यह पूरे परिवार और समाज के लिए एक साथ त्योहार मनाने का अवसर प्रदान करता है"।

"पारण करने का उचित समय और विधि"

"निर्जला व्रत रखने के बाद, व्रत का पारण सही समय पर और सही विधि से करना अत्यंत महत्वपूर्ण है"।

"पारण का उचित समय":

"पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद करना चाहिए। [अगले दिन का सूर्योदय का समय 27 अगस्त को सुबह 05:26 बजे पर होगा। सूर्योदय के बाद पारण करने का शुभ मुहूर्त, प्रातः संध्या मुहूर्त अहले सुबह 04:18 बजे से लेकर 05:26 बजे तक। इस प्रकार लाभ मुहूर्त 05:26 बजे से लेकर 07:01 बजे तक और अमृत मुहूर्त 07:01 बजे से लेकर 08:36 बजे तक रहेगा। पारण करते समय अमृत मुहूर्त और लाभ मुहूर्त का संयोग अच्छा माना जाता है"।

"पारण विधि":

 * पारण करने से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

 * भगवान शिव और माता पार्वती का विधि-विधान से पुनः पूजन करें।

 * व्रत के दौरान हुई किसी भी गलती के लिए क्षमा मांगें और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए एक बार फिर प्रार्थना करें।

 * इसके बाद, पूर्व दिशा की ओर मुख करके सात्विक भोजन और शुद्ध जल ग्रहण करें। पारण में फल, दूध, दही, और अन्य हल्के सात्विक पदार्थ शामिल करने चाहिए।

"यह तस्वीर तीज व्रत के सफल समापन के बाद के एक सुंदर पल को दर्शाती है, जहाँ महिलाएं सामूहिक रूप से बैठकर अपना व्रत खोल रही हैं। सुबह के शांत वातावरण में, वे पंक्तिबद्ध होकर स्वादिष्ट शाकाहारी भोजन का आनंद ले रही हैं। दाल, भात, सब्जी, पापड़, अचार, चोखा, दही, घी, पुड़ी और सलाद सहित अन्य पारंपरिक व्यंजन उनकी थालियों में सजे हैं, जो इस पर्व की समृद्धि और उल्लास को दर्शाते हैं। यह दृश्य न केवल भोजन के स्वाद का, बल्कि एक साथ बैठकर खुशियाँ बांटने और परंपराओं को निभाने के आनंद का भी प्रतीक है। यह तस्वीर भारतीय संस्कृति में सामूहिक भोज और त्योहारों के महत्व को खूबसूरती से उजागर करती है"।

"हरितालिका तीज 2025: पंचांग के अनुसार शुभ और अशुभ मुहूर्त (विस्तृत जानकारी)"

"हरितालिका तीज के दिन पंचांग के अनुसार शुभ और अशुभ मुहूर्तों का ज्ञान होना पूजा के लिए महत्वपूर्ण है। यहां 2025 के लिए विस्तृत जानकारी दी गई है (कृपया ध्यान दें कि ये गणनाएं वर्ष 2025 के पंचांग के अनुसार होंगी)":

"हरितालिका तीज 2025 पंचांग विवरण":

 * तिथि: भाद्रपद मास, शुक्ल पक्ष, तृतीया

 * नक्षत्र: [हस्त नक्षत्र संपूर्ण रात्रि तक]

 * करण: [गर और वणिज]

 * योग: [योग सांध्य और शुभ]

 * सूर्योदय:  सुबह 5:26 पर

 * सूर्यास्त: [शाम 6:06 पर]

 * चंद्रोदय: [सुबह 7:54 बजे पर]

 * चंद्रास्त: [शाम 7:56 बजे पर]

 * सूर्य राशि: सिंह]

 * चंद्र राशि: [कन्या]

 * अयन: दक्षिणायन

 * ऋतु: शरद

 * दिनमान: [12 घंटा 42 मिनट]

 * रात्रिमान: [11 घंटा 18 मिनट]

 * दिशाशूल: [उत्तर]

 * राहुवास: [पश्चिम]

 * अग्निवास: [पृथ्वी]

 * चंद्रवास: दक्षिण दिशा 

"हरितालिका तीज: 7 विशेष उपाय पति की दीर्घायु के लिए"

"यहां हरितालिका तीज पर किए जाने वाले कुछ विशेष उपाय दिए गए हैं, जो पति की दीर्घायु और अखंड सौभाग्य के लिए अत्यंत फलदायी माने जाते हैं":

 * मिट्टी की शिव-पार्वती प्रतिमा बनाएं: हरितालिका तीज पर स्वयं मिट्टी से भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की प्रतिमाएं बनाकर उनकी पूजा करें। यह अत्यंत शुभ माना जाता है।

 * हरा श्रृंगार करें: इस दिन हरे रंग की साड़ी, हरी चूड़ियां, मेहंदी और आलता लगाकर पूर्ण सोलह श्रृंगार करें। हरा रंग सौभाग्य और खुशहाली का प्रतीक माना जाता है।

 * पौराणिक कथा ध्यान से सुनें: पूजा के दौरान हरितालिका तीज की पौराणिक कथा को ध्यान से सुनें और मन में पति की दीर्घायु का ध्यान करें।

 * सास को सुहागी दें: अपनी सास के पांव छूकर उन्हें सुहागी का सामान (चूड़ियां, बिंदी, सिंदूर आदि) दें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। यदि सास न हों, तो घर की किसी अन्य बुजुर्ग महिला को दे सकती हैं।

 * बेलपत्र और धतूरा चढ़ाएं: भगवान शिव को उनकी प्रिय वस्तुएं जैसे बेलपत्र, धतूरा और आंकड़े के फूल अर्पित करें।

 * "ऊं उमामहेश्वराभ्यां नमः" मंत्र का जप: पूजा के दौरान इस मंत्र का निरंतर जाप करें। यह मंत्र पति-पत्नी के रिश्ते में प्रेम और सद्भाव बढ़ाता है।

 * निर्जला व्रत और सच्ची श्रद्धा: सबसे महत्वपूर्ण उपाय है पूरी निष्ठा और सच्ची श्रद्धा के साथ निर्जला व्रत का पालन करना। आपकी भक्ति ही इस व्रत का सबसे बड़ा फल है।

"मनचाहे वर के लिए युवतियां भी करें हरितालिका तीज का व्रत"

"यह व्रत केवल विवाहित महिलाओं के लिए ही नहीं, बल्कि अविवाहित कन्याओं के लिए भी विशेष महत्व रखता है। भविष्य पुराण में देवी पार्वती स्वयं कहती हैं कि उन्होंने भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का व्रत बनाया और किया था, जिससे उन्हें भगवान शिव पति रूप में प्राप्त हुए"।

"यदि कोई कुमारी कन्या इस व्रत को पूरी श्रद्धा और निष्ठा से करती है, तो उसे भी मनचाहा और सुयोग्य वर प्राप्त होता है। यह व्रत युवतियों को संयम, तपस्या और अपने लक्ष्य के प्रति समर्पण का पाठ सिखाता है"।

"इस तस्वीर में मनचाहे पति की प्राप्ति के लिए कुमारी कन्याएं तीज व्रत कर पूजा अर्चना करते हुए"।

"हरितालिका तीज: क्यों है यह महत्वपूर्ण"?

"हरितालिका तीज व्रत में मां पार्वती के ही अवतार, तीज माता की व्रत की जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार, मां पार्वती ही भाद्रपद महीने की तृतीया तिथि को देवी के रूप में (तीज माता के नाम से) अवतरित हुई थीं। इसलिए इस दिन तीज माता का व्रत करने का विधान है"।

"यह व्रत पति-पत्नी के रिश्ते की पवित्रता, त्याग और प्रेम को दर्शाता है। यह महिलाओं के दृढ़ संकल्प और उनकी आंतरिक शक्ति का प्रतीक है। तीज के एक दिन पहले ही विवाहित महिलाएं और कन्याएं अपने हाथों में मेहंदी लगाकर गीत गाते हुए मां पार्वती को मनाती हैं"। 

"इस व्रत का महत्वपूर्ण पहलू यह है कि सुहागन महिलाएं अपने और अपने पति के सौभाग्य को बनाए रखने के लिए माता पार्वती और भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए 24 घंटे की निर्जला व्रत रखती हैं"।

"पति और पत्नी के संबंध को मजबूती देता है तीज"

"हरितालिका तीज का महापर्व भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का एक सुंदर संगम है। यह न केवल भगवान शिव और माता पार्वती के दिव्य प्रेम का उत्सव है, बल्कि यह महिलाओं के समर्पण, त्याग और शक्ति का भी प्रतीक है"। 

"इस दिन पूर्ण श्रद्धा और विधि-विधान से व्रत करने से अखंड सौभाग्य, पति की दीर्घायु और मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। हम आशा करते हैं कि यह विस्तृत जानकारी आपको हरितालिका तीज को मनाने में सहायक होगी और आपके जीवन में खुशियां लेकर आएगी"।

"डिस्क्लेमर"

यह ब्लॉग पोस्ट हरियाली तीज से संबंधित सामान्य जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई सभी जानकारी धार्मिक मान्यताओं, पौराणिक कथाओं और विभिन्न स्रोतों पर आधारित है।

कृपया ध्यान दें:

धार्मिक प्रथाएं: पूजा-पाठ की विधियां, मुहूर्त और परंपराएं विभिन्न क्षेत्रों और परिवारों में थोड़ी भिन्न हो सकती हैं। यह सलाह दी जाती है कि आप अपने स्थानीय पंडित या परिवार की परंपराओं के अनुसार ही पूजन करें।

व्यक्तिगत आस्था: इस ब्लॉग में दी गई जानकारी किसी भी व्यक्ति की व्यक्तिगत धार्मिक भावनाओं या आस्था को ठेस पहुंचाने का इरादा नहीं रखती।

समय और तिथियां: त्योहारों की तिथियां और शुभ-अशुभ मुहूर्त पंचांग के अनुसार भिन्न हो सकते हैं। सटीक जानकारी के लिए हमेशा अपने स्थानीय पंचांग या विश्वसनीय धार्मिक कैलेंडर का संदर्भ लें।

हम इस जानकारी की सटीकता और पूर्णता सुनिश्चित करने का हर संभव प्रयास करते हैं, लेकिन किसी भी त्रुटि या चूक के लिए हम जिम्मेदार नहीं हैं। यह जानकारी केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और इसे किसी भी व्यक्तिगत धार्मिक निर्णय के आधार के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।


एक टिप्पणी भेजें (0)
और नया पुराने