क्या आपने अभी तक गुड़ से बनी खीर, पका हुआ आम और दाल भरी पुड़ी सहित सब्जी एक साथ नहीं खाएं हैं, तो आपने एक पौराणिक परंपरा को अनदेखा कर दिए हैं।
आपके पास मात्र 2 दिन ही बचे हैं कर लीजिए अपनी पुरखों की परंपरा का अनुसरण। क्योंकि आद्रा नक्षत्र अब मात्र 2 दिन ही शेष बचे हैं।
आद्रा नक्षत्र 06 जुलाई, 2023, दिन गुरुवार को समाप्त हो जायेगा।
आद्रा नक्षत्र 22 जून, दिन बुधवार से शुरू होकर 6 जुलाई दिन गुरुवार को समाप्त होगा।
भगवान सूर्य का नक्षत्र आद्रा है। जब सूर्यदेव आद्रा नक्षत्र में प्रवेश करते हैं, तो आद्रा नक्षत्र शुरू हो जाता है।
उत्तर दिशा का स्वामी होते हैं आद्रा नक्षत्र और ज्योतिष शास्त्र में वर्णित जानकारी के अनुसार राहु ग्रह आद्रा नक्षत्र के स्वामी होते हैं।
आद्रा नक्षत्र में खीर, आम, सब्जी और दाल पुड़ी खाने का पौराणिक विधान है। इसे खाने से अनेक फायदे हैं ?
सनातनी परम्परा के अनुसार आद्रा नक्षत्र में आम, दाल भरी पुड़ी व गुड़ से बनी खीर खाने के विशेष लाभ मिलते हैं।
चना दाल की पूड़ी ही क्यों खाते हैं लोग। जानें रहस्य।
गौमाता को पहले खिला, तब खूद क्यों खाएं, इसका भी जानें जवाब
आद्रा नक्षत्र शुरू होने के साथ ही खेती बाड़ी का काम किसान आरंभ कर देते हैं।
खेतों में बिचड़ा लगाने का काम किसान तेजी से संपन्न करने लगते हैं।
आद्रा नक्षत्र में ही मानसून का आगमन भारत के विभिन्न क्षेत्रों में हो जाती है।
सूर्य जब आद्रा नक्षत्र में होता है तब पृथ्वी राजस्वाला होती है। जो अधिक वर्षा का घोतक है।
आद्रा का अर्थ होता है नमी ? और आद्रा नक्षत्र के आने से जलवायु में नमी आ जाती है।
आद्रा नक्षत्र मृगशिरा और पुनर्वसु नक्षत्र के बीच में आता है। तीनों नक्षत्र खेती के लिए श्रेष्ठ।
हिंदुस्तान एक कृषि प्रधान देश हैै। इसलिए खेती बाड़ी का शुभारंभ किसान भाई खीर पुड़ी और मौसमी फल आम खाकर करते हैंं।
बिहार, झारखंड और यूूपी सहित देश के अन्य राज्यों के किसान आद्रा नक्षत्र में गुड़ से बनी खीर, चना दाल से बनी रोटी और मौसमी फल आम खाने में विश्वास रखते हैं।
सनातन परम्परा में आम, पुड़ी व खीर का क्यों है महत्व
खेती का काम नक्षत्रों के हिसाब से चलता है। रोहिण नक्षत्र से शुरू होकर खेती कार्य स्वाति नक्षत्र में जाकर समाप्त होते है। इसी बीच आद्रा नक्षत्र आता है। आद्रा नक्षत्र में किसान धान का बीज अपने खेतों में डालते हैं।
खेती की शुरुआत करने की खुशी में किसान अपने घरों में गुड़ का खीर, आम और चना के दाल भरकर रोटी बनाते हैं। माना जाता है कि भगवान विष्णु के भोग लगने वाला खीर, फलों का राजा आम और अन्न मैं श्रेष्ठ अन्न चने की दाल से रोटी बनाकर खाना हमारी सनातनी परंपरा है।
क्यों गौ माता को खिलाया जाता है पहला कौर, जानें सनातनी रहस्य
पहले के जमाने में खेती का काम जानवरों के कांधों पर निर्भर था। खेती के कार्य में बैल का उपयोग हल जोतने में होता था। स्वस्थ्य रहने के लिए जाहिर है कि गौ माता की दूध पर निर्भर रहना पड़ता था।
हर घर में बैल और गाय होती थी। सनातन धर्म में गाय का महत्व माता के समान ही है।
अन्य दिनों में बनने वाली खाना की पहली कौर गाय को खिलाते हैं। हिंदू धर्म में मान्यता है कि गाय की सेवा करने से गौमाता की अपार आशीर्वाद मिलती है।
बच्चे स्वस्थ्य और विद्या से परिपूर्ण होते हैं।
इसलिए खाना बनाने के बाद सबसे पहले घर में रहने वाले गाय और बैलों को खिलाते हैं। इसके बाद घर के लोग खाते हैं।
उसी दिन अपने पितर के लिए भोजन निकालना चाहिए। इसके बाद कुत्ता, कौवा और चील को भी भोजन कराने चाहिए।
चना दाल की पूड़ी ही क्यों
आद्रा नक्षत्र में खीर के साथ चना दाल से बनी रोटी खाने का विधान है। वैज्ञानिक और धार्मिक मान्यता के अनुसार वर्षा ऋतु में शरीर की पाचन शक्ति कमजोर पड़ जाती है और ऐसे समय में मोटे अनाज का बना खाना खाने से शरीर में ताकत और पचाने में सुविधा मिलती है। इसलिए बारिश के दिनों में किसान चने से बने सत्तू, चना दाल भरकर बनी रोटी और चना दाल खाते हैं।
आम खाने से क्या है वैज्ञानिक फ़ायदे
आम को फलों का राजा कहा जाता है। आम के गूदे में पॉलीफेनॉल्स, टरपेनोइड्स, एस्कॉर्बिक एसिड और कैरोटिनॉइड पाए जाते हैं। इस तरह की खूबियों के कारण ही आम खाने से कैंसर होने का खतरे कम हो जाता है। यह गुण आम में पाया जाता है। वर्ष 2010 में किए गए एक वैज्ञानिक अध्ययन में पाया गया है कि आम एंटी-कार्सिनोजेनिक प्रभावों का समर्थन करता है।
चने खाने से क्या है वैज्ञानिक फायदे
चने में मिनिरल, फायबर और विटामिन काफी मात्रा में पाया जाता है। यह स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद और लाभदायक होता है। चने खाने से वजन नियंत्रण रहने के अलावा पाचन तंत्र को स्वास्थ्य बनाए रखता है। साथ ही अन्य घातक बीमारियों से बचने मे सहायता करता है।
डिस्क्लेमर
यह लेख पौराणिक परंपराओं पर आधारित है। कुछ बातें पौराणिक कथाओं से ली गई है, तो कुछ बातें इंटरनेट पर उपलब्ध आंकड़ों और लेखों से लिया गया है। कथा लिखने का मुख्य उद्देश्य अपनी पौराणिक परंपराओं को जागृत करना और लोगों को पूर्वजों की बातें याद करवाना है। आद्रा नक्षत्र में लोग आम, खीर और पुड़ी का खाना कभी नहीं भुलते हैं। आपको यह आलेख कैसा लगा हमें ईमेल से जरूर सूचित कीजिएगा।