आद्रा नक्षत्र 2022, 22 जून, दिन बुधवार से शुरू हो गया है।
आद्रा नक्षत्र 22 जून, दिन बुधवार से शुरू होकर 6 जुलाई दिन बुधवार को समाप्त होगा।
भगवान सूर्य आद्रा राशि में प्रवेश करने के साथ शुरू हो जायेगा आद्रा नक्षत्र।
आद्रा नक्षत्र में खीर, आम और दाल पुड़ी खाने के अनेक फायदा ?
सनातन परम्परा में आम, दाल भरी पुड़ी व खीर खाने का है विशेष महत्व ?
गौमाता को पहले खिला, तब खूद खाएं ?
चना दाल की पूड़ी ही क्यों खाते हैं लोग ?
भगवान इंद्र की पूजा करने का क्या है विधान जानें संपूर्ण जानकारी ?
क्यों पूजे जाते हैं भगवान इंद्र
आद्रा नक्षत्र उत्तर दिशा का स्वामी है और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आद्रा नक्षत्र का स्वामी राहु ग्रह है
आद्रा नक्षत्र शुरू होने के साथ ही खेती बाड़ी का काम किसान आरंभ कर देते हैं। खेतों में बिचड़ा लगाने का काम किसान तेजी से संपन्न करने लगते हैं। आद्रा नक्षत्र में ही मानसून का आगमन भारत के विभिन्न क्षेत्रों में हो जाती है। सूर्य जब आद्रा नक्षत्र में होता है तब पृथ्वी राजस्वाला होती है। जो अधिक वर्षा का घोतक है।
आद्रा का अर्थ होता है नमी ? और नक्षत्र का के आगमन से हवा में नमी आ जाती है। आद्रा नक्षत्र उत्तर दिशा के स्वामी है और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आद्रा नक्षत्र का स्वामी राहु ग्रह है।
आद्रा नक्षत्र मृगशिरा और पुनर्वसु नक्षत्र के बीच में आता है। दोनों नक्षत्र खेती के लिए श्रेष्ठ।
हिंदुस्तान एक कृषि प्रधान देश हैै। इसलिए खेती बाड़ी का शुभारंभ किसान भाई खीर पुड़ी और मौसमी फल आम खाकर करते हैंं।
बिहार और यूूपी सहित देश के अन्य राज्यों के किसान आद्रा नक्षत्र में गुड़ से बनी खीर, चना दाल से बनी रोटी और मौसमी फल आम खाने में विश्वास रखते हैं।
सनातन परम्परा में आम, पुड़ी व खीर का महत्व
खेती का काम नक्षत्रों के हिसाब से चलता है।
रोहिण नक्षत्र से शुरू होकर खेती कार्य स्वाति नक्षत्र में जाकर समाप्त होते है। इसी बीच आद्रा नक्षत्र आता है । आद्रा नक्षत्र में किसान धान का बीज अपने खेतों में डालते हैं।
खेती की शुरुआत करने की खुशी में किसान अपने घरों में गुड़ का खीर आम और चना के दाल भरकर रोटी बनाते हैं। माना जाता है कि भगवान विष्णु के भोग लगने वाला खीर, फलों का राजा आम और अन्न मैं श्रेष्ठ अन्न चने की दाल से रोटी बनाकर खाना हमारी सनातनी परंपरा है।
गौमाता को खिला खूद खाएं
पहले के जमाने में खेती का काम जानवर के कांधों पर निर्भर था। खेती के कार्य में बैल का उपयोग हल जोतने में होता था। हर घर में बैल और गाय होती थी। सनातन धर्म में गाय का महत्व माता के समान ही है।
अन्य दिनों में बनने वाली खाना की पहली कौर गाय को खिलाते हैं। हिंदू धर्म में मानता है कि गाय की सेवा करने से गौमाता की अपार आशीर्वाद मिलती है।
बच्चे स्वस्थ्य और विद्या से परिपूर्ण होते हैं। इसलिए खाना बनाने के बाद सबसे पहले घर में रहने वाले गाय व बैलों को खिलाते है। इसके बाद घर के लोग खाते हैं । उसी दिन अपने पितर के लिए भोजन निकालते हैं। इसके बाद कुत्ता, कौवा और चील को भी भोजन कराते हैं।
चना दाल की पूड़ी ही क्यों
आद्रा नक्षत्र में खीर के साथ चना दाल से बनी रोटी खाने का विधान है। वैज्ञानिक और धार्मिक मानता के अनुसार वर्षा ऋतु में शरीर की पाचन शक्ति कमजोर पड़ जाती है और ऐसे समय में मोटे अनाज का बना खाना खाने से शरीर में ताकत और पचाने में सुविधा होती है इसलिए बारिश के दिनों में किसान चने से बने सत्तू , चना दाल भरकर बनी रोटी और चना दाल खाते हैं।
डिस्क्लेमर
यह लेख पौराणिक परंपराओं पर आधारित है। आद्रा नक्षत्र में लोग आम, खीर और पुड़ी का सेवन करना कभी नहीं भुलते हैं। आपको यह आलेख कैसा लगा हमें ईमेल से जरूर सूचित कीजिएगा।