दीपावली पर जानें रोचक धार्मिक व पौराणिक कथाएं, जो जानना जरूरी है

क्या आप जानते हैं दीपावली के दिन 10 ऐतिहासिक और धार्मिक घटनाएं घटी थी। जो हमारे जेहन में तो हैं, परंतु याद नहीं रहता है। आइए इस दीपावली के मौके पर हम आपको इन घटनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं।


दीपावली से जुड़ी 10 प्रमुख ऐतिहासिक घटनाएं


सनातनी लोग दीपोत्सव अर्थात दीपावली मनाने का प्रमुख कारण भगवान श्रीराम के 14 वर्षों का वनवास समाप्त कर अयोध्या लौटने की खुशी के रूप में मनाते हैं। दूसरी ओर समुद्र मंथन के दौरान मां लक्ष्मी के प्राकट्य होने के दिवस के रूप में देखते हैं और मानते हैं।


इनके अलावा हमारे शास्त्रों में दीपावली मनाने का त्योहार युगों-युगों की अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं पर आधारित है। अब हम जानेंगे दीपावली से जुड़ी दस पौराणिक और ऐतिहासिक घटनाएं ।


1. मां लक्ष्मी की अवतरण - कार्तिक मास, कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को समुद्र मंथन के दौरान धरती पर अवतरित हुई थीं। दीपावली के पर्व मनाने का सबसे महत्वपूर्ण कारक यही है। इस पर्व के माध्यम मां लक्ष्मी को धरती पर स्वागत करने के रूप में मनाते हैं। हर घर की साफ-सफाई कर दीयों की रोशनी से सजाया संवारा जाता है ताकि मां का आगमन शुभ हो।



2. भगवान विष्णु द्वारा लक्ष्मी जी को बचाना की पौराणिक कथा। वामन अवतार का उल्लेख हमारे शास्त्रों में मिलता है। कथाओं में कहा गया है कि भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बलि के यज्ञ में पहुंचकर माता लक्ष्मी को मुक्त करवाया था।


3. भगवान राम की लंका विजय के उपरांत अयोध्या लौटने पर दीपावली मनाई गई थी।  रामायण के अनुसार भगवान राम, माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष का वनवास पूर्ण और लंका विजय कर अयोध्या लौटे थे। नगरवासियों ने उनके स्वागत में पूरी अयोध्या नगरी को दीपक जलाकर रौशन किया गया था।


4 नरकासुर वध की कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध कर 16 हजार एक सौ स्त्रियों को मुक्त करवाया था। इसी खुशी इजहार दो दिनों तक दीपावली का त्यौहार मनाकर किया गया था। लोग इसे विजय पर्व के रूप में मनाते हैं।


5 पांडवों की वनवास से वापसी के दिन मनी थी दीपावली। महाभारत महाकाव्य के अनुसार जब कौरव और पांडव के बीच चौसर (जुआ) खेला गया था। पांडव जुआ में हार गए, तो उन्हें 12 वर्षों का वनवास और एक वर्ष का अज्ञात वास दिया गया था। पांचों पांडव अपना 12 साल का वनवास और एक वर्ष का अज्ञात वास समाप्त कर हस्तिनापुर वापस लौटे थे। पांडवों के वापस लौटने पर नगरवासियों ने खुशी में दीप जलाकर स्वागत किया था।


6. उज्जैन के महाराज विक्रमादित्य का राजतिलक का प्रसंग। राजा विक्रमादित्य के राजतिलक दीपावली के दिन हुआ था। कहा जाता है कि उज्जैन के राजा विक्रमादित्य का राजतिलक को नगरवासियों ने दोगुने उत्साव मनाया था। एक नया राजा का मिलना और दूसरा दीपावली का त्यौहार।


7. आर्य समाज की स्थापना दीपावली के दिन हुए थे। स्वामी दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना दीपावली के दिन किया था। इस लिए भी दीपावली का त्योहार जैन समाज में विशेष महत्व और स्थान रखता है।


8. जैन धर्म के लोग दीपावली को मोक्ष दिवस के रूप में मनाते हैं। दीपावली का दिन जैन संप्रदाय के लोगों के लिए भी खास महत्व रखता है। जैन धर्मावलंबी इस पर्व को भगवान महावीर के मोक्ष दिवस के रूप में मनाते हैं। कहा जाता है कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन ही भगवान महावीर को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। इसलिए जैनियों के लिए दीपावली खास दिन है।


9. सिख धर्म में दीपावली विशेष महत्व है। दीपावली सिख धर्म लोगों के लिए बहुत महत्व रखता है। इस दिन को सिख धर्म के तीसरे गुरु अमरदास जी ने लाल पत्र दिवस के रूप में मनाया था। दीपावली के दिन सभी सिख श्रद्धालु अपने गुरु से आशीर्वाद लेने जाते हैं। इसके अलावा सन् 1577 दीपावली के दिन अमृतसर के स्वर्ण मंदिर अर्थात हरिमंदिर साहिब का शिलान्यास किया गया था।


10. सिखों के गुरु हरगोबिन्दजी कारागार से मुक्त हुए थे। सन् 1619 में सिखों के गुरु हरगोबिन्द जी को ग्वालियर के किले से 52 राजाओं के साथ उन्हें भी बंदी घर से मुक्त किया गया था। यह घटना प्रमुख ऐतिहासिक घटनाओं में एक है। इसलिए इस पर्व को सिख समाज के लोग बंदी छोड़ दिवस के रूप में भी मनाते आ रहे हैं। मुगल बादशाह जहांगीर ने 52 राजाओं के साथ गुरु हरगोबिंद सिंह जी को भी नजरबंंद किया हुआ था।





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