नाग पंचमी पर होती है 12 नागों की पूजा।
वासुकी नाग की पूजा के साथ 11 नागों की होती है पूजा।
13 अगस्त 2021 दिन शुक्रवार को नाग पंचमी है। इस अवसर पर 12 नाग देवताओं की पूजा करने की परंपरा है। सावन मास में मनाएं जानें वालें इस पूजा में दूध और लावा की जरूरत पड़ती है।
नाग पंचमी मनाने के क्या है परंपरा
नाग पंचमी का त्यौहार सावन माह में मनाई जाती है। यह महीना भगवान भोलेनाथ का है। भोलेनाथ का प्रिय वस्तु नाग देवता है, जो उनके गले में लिपटे रहते हैं। मान्यता है की नाग देवताओं की पूजा करने से भगवान शिव बेहद खुश होते हैं।
सावन माह में क्यों होती है नागों की पूजा
श्रवण माह में बारिश अपनी चरम पर रहती है। इस दौरान चारों ओर हरियाली और जल समागम रहती है। सांप अधिकांशत बिल में रहते हैं। बारिश होने के कारण हुए सांप बिल से बाहर निकलते हैं। बिल से बाहर निकलने के बाद आश्रय के लिए घर या किसी सुखे स्थान की तलाश रहती है। इस दौरान बड़ी संख्या में गांव देहात के घरों में नाग आश्रय लेते हैं। मनुष्यों को उनको डसने का डर सताता रहता है। इसलिए नाग देवता प्रसन्न हो और घर के सदस्यों को किसी प्रकार से नुकसान न पहुंचे। इसलिए उनकी पूजा की जाती है।
12 नाग देवताओं के नाम जिनकी होती है पूजा
अनंत, वासुकी, शेषनाग, पद्म, कम्बल, ककींटक, अश्वतर, धृतराष्ट्र, शड्गंकपाल, कालिया, तक्षक और पिड्गल है। इन सभी नाग देवताओं की सामूहिक पूजा को ही नाग पंचमी पूजा करते हैं।
क्यों प्रिय थे भोलेनाथ को वासुकी
वासुकी को ही नागलोक का राजा माना जाता है। वासुकी भगवान भोलेनाथ के परम भक्त थे। पौराणिक मान्यता के अनुसार शिवलिंग की पूजा सबसे पहले नाग जाति के लोग ही प्रारंभ किया था। इसलिए शिवलिंग का के साथ नाग देवता की भी पूजा होती है। प्रचलित मान्यता के अनुसार नागों के देवता वासकी की भक्ति से भगवान शिव बेहद खुश थे साथ ही वासुकी की साहस और पराक्रम को भी भगवान भोले का प्रिय बना दिया नाग देवता को।
समुद्र मंथन के दौरान वासुकी नाग को मेरु पर्वत के चारों ओर रस्सी की तरह लपेट का समुद्र मंथन किया गया था। वासुकी के पूछ कि युवक देवता और सिर की ओर दानव लगे थे। मथनी की तरह इस्तेमाल हुए थे बासुकीनाथ समुद्र मंथन के दौरान। पर्वत के धर्षण से उनका पूरा शरीर लहूलुहान हो गया था। भगवान शिव ने मानवता के हित में वासुकी के कष्ट को देखकर वे बेहद खुश हुए और उन्होंने वासुकी को अपने गले की माला बनकर शोभा बढ़ाने का वरदान दे दिया।
कैसे करें नाग पंचमी के दिन पूजा
नाग पंचमी के दिन स्नान कर भगवान भोलेनाथ वासुकी सहित 11 नागों का स्मरण कर व्रत रखने की संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद पूजा अर्चना करने के लिए कच्चा दूध, सफेद फूल, मौली, लावा, मिठाई, फल, मिट्टी से बने दीया और कटोरा, धूप, घी और पीतल या तांबे के लोटे में जल आदि चीजों को रख लेनी चाहिए।
अगर हो सके तो खेत खलियान या जंगल में जाकर बिल के समक्ष दूध और लावा से भरा मिट्टी का कटोरा रखकर भगवान भोलेनाथ, वासुकी सहित ग्यारह नागों को स्मरण करते हुए पूजा अर्चना करनी चाहिए। धूप और जल अर्पित कर वहां से चल देना चाहिए।
अगर आप जंगल नहीं जाना चाहते हैं तो घर में भी पूजा करनी चाहिए। घर में लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर हल्दी और आटे से बने नाग-नागिन को स्थापित कर शिव भगवान और नाग देवता का स्मरण करते हुए मंत्रों का उच्चारण के बीच पूजा-अर्चना करनी चाहिए। सर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति को नाग पूजा जरूर करनी चाहिए। अंत में लावा और कच्चे दूध का मिश्रण का भोग लगाना चाहिए। इस दिन ताबे को अग्नि पर रखना वर्जित है।
अब जानें पूजा करने का शुभ मुहूर्त पंचांग के अनुसार
श्रावण मास, शुक्ल पक्ष, दिन शुक्रवार, पंचमी तिथि को नागपंचमी का त्योहार मनाया जायेगा। इस दिन 1:42 बजे तक पंचमी तिथि है। हस्त नक्षत्र सुबह 8:00 बजे तक है। प्रथम करण बालव है जबकि द्वितीय करण कौलवा है। योग सांध्य है, दिन के 1:47 बजे तक।
सूर्योदय सुबह 5:49 बजे पर, सूर्यास्त 7:02 बजे तक। चंद्र उदय सुबह के 09:38 पर और चंद्र अस्त रात 09:43 पर होगा। सूर्य कर्क राशि में और चंद्रमा कन्या राशि में शाम 7:00 बज के 29 मिनट तक इसके बाद तुला राशि में प्रवेश कर जायेगा। सूर्य दक्षिणायन दिशा में स्थित है।
आनंदादि योग अमृत है, जो सुबह 8:00 बजे तक रहेगा। इसके बाद मुसल हो जायेगा। होमाहुति बुध, दिशाशूल पश्चिम, राहुवास दक्षिण और पूर्व, अग्निवास पृथ्वी 1:42 बजे तक, इसके बाद आकाश हो जायेगा। चंद्रमास दक्षिण शाम 7:00 बज के 19 मिनट तक इसके बाद पश्चिम दिशा में होगा।
पूजा करने का शुभ मुहूर्त पंचांग के अनुसार
अभिजीत मुहूर्त दिन के 11:00 बज के 59 मिनट से लेकर 12:52 बजे तक रहेगा।
काशी पंचांग के अनुसार विजया मुहूर्त दिन के 2:38 बजे से लेकर 3:00 बज कर 31 मिनट तक रहेगा। गोधूलि मुहूर्त शाम 6:39 बजे से लेकर 7:03 बजे तक, सायाह्य संध्या मुहूर्त 7:02 बजे से लेकर 8:07 बजे तक, निशिता मुहूर्त रात 12:04 बजे से लेकर 12:48 बजे तक, ब्रह्म मुहूर्त अहले सुबह 4:30 बजे से लेकर 5:07 बजे तक और प्रातः संध्या मुहूर्त 4:45 बजे से लेकर 5:50 बजे तक रहेगा। इस दौरान पूजा अर्चना करना काफी शुभ होगा।
भूलकर भी ना करें इस दौरान पूजा
नाग पंचमी के दिन सुबह 10:30 बजे से लेकर 12:00 बजे तक राहु काल रहेगा। उसी प्रकार सुबह 7:28 बजे से लेकर 9:07 बजे तक गुलिक काल, दिन के 3:44 बजे से लेकर 5:23 बजे तक यमगण्ड काल है। दुर्मुहूर्त काल सुबह 8:27 से लेकर 9:00 बज के 21 मिनट तक और दिन के 12:52 बजे से लेकर 1:45 बजे तक रहेगा। वज्य काल 3:38 बजे से लेकर 5:10 बजे तक है। इस दौरान भूलकर भी पूजा-अर्चना नहीं करना चाहिए।
चौघड़िया के अनुसार शुभ मुहूर्त
नाग पंचमी के दिन चौघड़िया पंचांग के अनुसार सुबह 6:00 बजे से लेकर 7:30 बजे तक चर मुहूर्त, 7:30 बजे से लेकर 9:00 बजे तक लाभ मुहूर्त, 9:00 बजे से लेकर 10:30 बजे तक अमृत मुहूर्त और शाम 4:30 से लेकर 6:00 बजे तक एक बार फिर से चर मुहूर्त का संयोग रहेगा। इस दौरान पूजा अर्चना करना फलदाई होगा।
चौघड़िया के अनुसार अशुभ मुहूर्त
चौघड़िया पंचांग के अनुसार अशुभ मुहूर्त का शुभारंभ सुबह 10:30 बजे से लेकर 12:00 बजे तक काल मुहूर्त के रूप में है। उसी प्रकार दिन के 1:30 बजे से लेकर 3:00 बजे तक रोग मुहूर्त के रूप में है। नाग पंचमी के दिन 3:00 बजे से लेकर 4:30 बजे तक उद्धेग मुहूर्त रहेगा। इस दौरान पूजा कितना करना ठीक नहीं होगा।
पूजा करने का उचित और फलदाई समय
नागपंचमी के दिन लोग सुबह 6:00 बजे से लेकर 10:30 बजे के बीच पूजा कर सकते हैं। इस दौरान चर मुहूर्त, लाभ मुहूर्त और अमृत मुहूर्त का सुखद संयोग है। इसके बाद एक बार फिर 11 बजकर 49 मिनट से लेकर 12:52 बजे तक अभिजीत मुहूर्त है और दोपहर 2:38 से लेकर 3:30 तक विजया मुहूर्त है। इस दौरान पूजा करना काफी साल दाई होगा।