कोरोनावायरस की जकड़ में पूरे भारत आ चुका है। दो लाख से अधिक संक्रमित केस हो चुका है । पांचवें चरण के लॉक डॉन में भी काफी छूट मिल चुकी है । ऐसी परिस्थिति में आज सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न है कि क्या हमें कोरोना वायरस से डर लगता है कि नहीं। शहर हो या देहात हर जगह लोग अब भी कोरोना वायरस को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं । उन्हें आज भी या एक साधारण बीमारी लगती है । इसका कारण लॉक डॉन में मिली छूट के बाद बाजारों में उमड़ी भीड़ ने पूरी सिस्टम को फेल कर दिया है।
न डर न भय
चार जून दिन गुरुवार। हम एक शहरी क्षेत्र में रहते हैं हमारे यहां कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 100 से ऊपर है। इसके बाद भी सुबह 5:00 बजे से लेकर रात 9:00 बजे तक ढील दी गई है । कपड़ा व जूता की दुकान को छोड़कर बाकी सब दुकानें खुल चुकी है । लगातार 2 महीने से ज्यादा घर में के बाद आज हम बाजार से जरूरी सामान के लिए सुबह 10:00 बजे घर से निकले। बाजार जाने के क्रम में दिखा पूरी सड़क गुलजार है । किसी चौक चौराहे पर कहीं भी पुलिस तैनाती नहीं है ।लोग सोशल डिस्टेंसिंग को, तो छोड़ ही दीजिए । लोग चेहरे पर मार्क्स तक नहीं लगाए हुए थे।
बाजार में मची थी आपाधापी
बाजार पहुंचा तो, वहां का नजारा ही गजब का दिखा। अधिकांश दुकानें खुली थी। लोगों की भीड़ लगी हुई थी । लोग एक दूसरे से सेट कर खड़े थे और खरीदारी कर रहे थे। एक बात और कुछ लोगों को छोड़कर अधिकांश लोग अपने चेहरे पर मार्क्स लगाए हुए थे ।दुकानदार मार्क्स लगाए हुए थे । मैं बाजार में जाकर एक किराना की दुकान पर खड़ा हो गया। मैं लोगों से दूरी बनाकर खड़ा रहना चाहता था परंतु ऐसा संभव नहीं था। उस दुकान में भारी भीड़ लगी हुई थी । मुझे वहां से चले जाने में समझदारी दिखाई दीं। मैने एक व्यक्ति को खड़ाकर पूछा भाई चेहरे पर तो मार्क्स लगा लो । उसका जवाब सुनिए उसने बताया कि जब मैं चलता हूं सांस लेने में दिक्कत होती है इसलिए मार्क्स नहीं लगाता हूं। है कोई जवाब किसी के पास।
पुलिस वाले मस्त, खरीददारी में लोग व्यस्त
बाजार में यदा-कदा पुलिसकर्मी खड़े दिखे परंतु ना तो किसी को टोक रहे थे और ना ही रोक रहे थे । लोगों को तो ऐसा लग रहा था जैसे सदियों के बाद कोई आजादी मिली है। लोग खरीददारी में इतने व्यस्त थे कि उन्हें कोरोना बीमारी का कोई भय नहीं दिख रहा था।
यह तस्वीर दिल्ली का है। हम इसे अपने लेख में डालकर सच्चाई दिखाना चाहते हैं।
हम अगर अब भी न सुधरे तो आने वाले दिन बहुत कठिन होगा । बीमारी को गंभीरता से लेते हुए स्वास्थ्य संगठनों द्वारा दी गई नसीहत को अमल में लाना ही होगा। हमें आदत में बदलाव करना ही होगा, नहीं तो यह बीमारी सामाजिक दूरियां न पाकर घर-घर में फैल जाएगी । तब हम कुछ नहीं कर सकते ।अभी भी सचेतने का समय है ।हमें सचेत रहना होगा ,तभी समाज और देश का भला हो सकता है।