Shattila Ekadashi 2028: तिथि, महत्व, पौराणिक कथा, पूजा-विधि, टोटके और संपूर्ण मार्गदर्शन

"22 जनवरी 2028 को आने वाली षट्तिला एकादशी की पूर्ण जानकारी पढ़ें—पौराणिक कथा, पूजा विधि, क्या खाएं-क्या न खाएं, शुभ मुहूर्त, टोटके, वैज्ञानिक महत्व और प्रश्न-उत्तर"

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🌼 "षट्तिला एकादशी 2028: तिथि, महत्व, पौराणिक कथा, पूजा-विधि, टोटके और संपूर्ण मार्गदर्शन"

📅 *तिथि: 22 जनवरी 2028, शनिवार

🌙 *पक्ष: कृष्ण पक्ष

🙏 *व्रत का देवता: भगवान विष्णु (माधव रूप)

✨ *विशेषता: तिल, दान, उपवास और तपस्या से पाप कटते हैं और धन-धान्य में वृद्धि होती है।

⏳ *2028 का शुभ मुहूर्त और दिन कैसा रहेगा? 

📅 *षट्तिला एकादशी तिथि प्रारंभ:

*21 जनवरी 2028 – दिन 12:32 बजे

📅 *तिथि समाप्त

*22 जनवरी 2028 – दिन 01:04 बजे

🌞 *व्रत तिथि: 22 जनवरी 2028 (शनिवार)

⭐ *यह दिन धन, स्वास्थ्य और सुख की वृद्धि वाला रहेगा।

*षट्तिला एकादशी, जिसे तिल एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत है। शास्त्रों के अनुसार यह एकादशी body-purification, mind-purification और karmic purification—इन तीनों का संगम है। जो भक्त इस व्रत को श्रद्धा से करते हैं, उन्हें यश, सुख, समृद्धि और पापनाशक फल प्राप्त होता है।

⭐ "षट्तिला एकादशी की पौराणिक कथा" (Shattila Ekadashi Vrat Katha 2028)

*प्राचीन काल में एक अत्यंत सरल, दयालु और धर्मप्राण ब्राह्मणी रहती थी। वह प्रतिदिन पूजा-पाठ करती, व्रत रखती और दान-पुण्य भी करती थी। उसके मन में भक्ति तो अपार थी, परंतु एक कमी थी—वह दान तो बहुत देती, पर अनाज, वस्त्र और धन तो देती थी, पर कभी तिल का दान नहीं करती थी। उसे लगता था कि तिल जैसे छोटे-छोटे बीज देना दान का महत्व कम कर देता है।

*समय बीतता गया। ब्राह्मणी ने जीवनभर पूर्ण भक्ति और नियम से भगवान की सेवा की, परंतु तिल-दान का संकल्प उसने कभी नहीं लिया। जब उसका देहांत हुआ, तब वह पुण्य लोक में गई, लेकिन वहां जाकर वह आश्चर्यचकित रह गई—उसे जो दिव्य महल मिला, वह अद्भुत तो था, पर अंदर कुछ भी खाने-पीने को नहीं था। न फल, न अनाज, न जल—कुछ भी नहीं।

"भुख और प्यास से व्याकुल होकर उसने देवदूतों से पूछा"—

“मैंने जीवनभर दान-पुण्य किया, फिर भी मुझे भोजन क्यों नहीं मिला?”

*देवदूतों ने कहा—

“तुमने दान तो बहुत किया, पर तिल का दान नहीं किया, और तिल का दान शरीर और आत्मा दोनों को शुद्ध करता है। इसलिए तुम्हें भोजन के पुण्य का फल नहीं मिला।”

*वह दुखी होकर भगवान श्रीविष्णु के द्वार पर पहुंची। वहां वह प्रभु को प्रणाम करके बोली—

“हे प्रभु! मुझे ऐसा कौन-सा दान और कौन-सा व्रत करना चाहिए, जिससे मेरे इस अधूरे पुण्य की पूर्ति हो जाए?”

*भगवान विष्णु मुस्कुराए और बोले—

“हे सुयोग्य ब्राह्मणी! पृथ्वी पर ‘षट्तिला एकादशी’ के नाम से एक अत्यंत पवित्र तिथि है। इस दिन जो व्यक्ति तिल का छह प्रकार से उपयोग करके व्रत करता है—उसका समस्त पाप नष्ट होता है और उसे अखंड सुख प्राप्त होता है। तुम भी इस दिन व्रत करो, तिल का दान करो और तिल युक्त भोजन बनाकर ब्राह्मणों को खिलाओ।"

*ब्राह्मणी ने भगवान की आज्ञा मानी और अगले जन्म में षट्तिला एकादशी का व्रत संपूर्ण विधि से किया। इससे उसका अधूरा पुण्य पूर्ण हुआ और उसे अनंत भोग, सुख और समृद्धि प्राप्त हुई।

"भगवान विष्णु ने इस कथा के अंत में कहा":

“इस व्रत का पालन करने से मनुष्य के छह प्रकार के कष्ट—भुख, प्यास, गरीबी, पाप, रोग और मन की अशांति—सब दूर होते हैं।”

*इसी कारण इसे ‘षट्तिला’ कहा जाता है—

*षट् = छह

*तिल = तिल के छह उपयोग

*एकादशी = आध्यात्मिक शुद्धि की तिथि

*इस व्रत को करने वाले व्यक्ति के जीवन में कभी अन्न और धन की कमी नहीं रहती।

🍽️ "षट्तिला एकादशी के दिन क्या खाएं और क्या न खाएं" 

✔️ *क्या खाएं

✔ *फलाहार: केला, सेब, संतरा, पपीता

✔* सूखे मेवे: बादाम, काजू, किशमिश

✔* तिल के लड्डू, तिल-गुड़

✔ *सेंधा नमक से बना व्रत-भोजन

✔* साबूदाना खिचड़ी

✔ *शकरकंद

✔ *दूध, दही, छाछ

✔ *मूंगफली

✔ *लौकी या कद्दू की सब्जी (बिना अनाज वाली)

*तिल का सेवन अत्यंत शुभ माना गया है क्योंकि इससे शरीर शुद्ध होता है और मन शांत।

❌ *क्या न खाएं

✘* गेहूं, चावल, दाल, रोटी, पराठा

✘ *सामान्य नमक

✘* बैंगन (वर्जित)

✘ *प्याज, लहसुन

✘* मांस-मछली, अंडा

✘ *शराब, सिगरेट

✘ *भारी, तैलीय भोजन

✘ *ज्यादा चाय-कॉफी

*एकादशी के दिन सात्त्विक भोजन ही ग्रहण करें। अनाज और तामसिक आहार मन और शरीर दोनों पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।

🧘 "षट्तिला एकादशी के दिन क्या करें और क्या न करें" 

✔️ *क्या करें?

✔ *प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठें

✔ *स्नान में तिल डालकर स्नान करें

✔ *मंदिर में दीपक जलाएं

✔ *श्रीविष्णु के माधव रूप की पूजा करें

✔ *तिल दान करें—

*काले तिल

*सफेद तिल

*तिल-गुड़

✔ *भोजन का दान करें

✔ *गरीबों को कंबल, वस्त्र, भोजन दें

✔ *पूरे दिन मौन, ध्यान, जप

✔ “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जप

✔ *गीता पाठ करें

❌* क्या न करें?

✘ *कटु भाषा का प्रयोग न करें

✘* झूठ न बोलें

✘* क्रोध न करें

✘ *अनाज का सेवन न करें

✘ *किसी का दिल न दुखाएं

✘ *नकारात्मक विचारों से दूर रहें

✘ *आलस्य न करें

✘ *रात्रि में वाद-विवाद से बचें

*जो इन नियमों का पालन करता है, उसे करोड़ों यज्ञों के बराबर फल प्राप्त होता है।

❓ "षट्तिला एकादशी से जुड़े प्रश्न और उत्तर" 

 *01. षट्तिला एकादशी क्यों मनाई जाती है?

*तिल के छह उपयोगों से शरीर, मन और कर्म की शुद्धि होती है। यह पापनाशक एकादशी है।

*02. इस दिन तिल का महत्व क्या है?

*तिल अग्नि, सूर्य और भगवान विष्णु का प्रतीक है। इससे नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है।

*03. क्या इस दिन गंगा स्नान आवश्यक है?

*यदि संभव हो तो गंगा स्नान श्रेष्ठ है; नहीं तो तिल युक्त जल से स्नान करने पर गंगा-स्नान के बराबर फल मिलता है।

*04. क्या महिलाएं व्रत कर सकती हैं?

*हां, महिलाएं, पुरुष, वृद्ध सभी कर सकते हैं।

*05. क्या पूर्ण उपवास आवश्यक है?

*नहीं, फलाहार या आंशिक उपवास भी कर सकते हैं।

*06. क्या इस दिन तिल के लड्डू बनाकर खा सकते हैं?

*हां, तिल का हर रूप में सेवन करना शुभ है।

*07. क्या अनाज खाना वर्जित है?

*हां, सभी अनाज वर्जित है

*08. क्या रात्रि में जागरण आवश्यक है?

*हां, जागरण से व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है।

*09. क्या साधारण जल से स्नान किया जा सकता है?

*हां, परंतु उसमें थोड़ा तिल डालें।

*10. क्या व्रत तोड़ने से पाप लगता है?

*अनजाने में नियम टूट जाए तो क्षमा मांगकर नियम का पालन करें; जानबूझकर नियम तोड़ना अशुभ है।

🪔 "षट्तिला एकादशी के अचूक टोटके" 

✔ *तिल-दीप उपाय:

*घर के उत्तर दिशा में तिल का दीपक जलाएं, धन वृद्धि होती है।

✔ *तिल-जल उपाय:

*स्नान के बाद सिर पर तिल युक्त जल की 7 बूंदें डालें—नजर दोष दूर।

✔ *तिल-दान उपाय:

*काले तिल का दान करने से कर्म दोष समाप्त होते हैं।

✔* तिल-गुड़ उपाय:

*गुड़ और तिल का लड्डू ब्राह्मण को दान करें—अन्न धान्य में वृद्धि।

✔ *तिल-हवन:

*तिल से हवन—घर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त।

✔ *तिल का अभिषेक:

*भगवान विष्णु पर तिल का जल चढ़ाएं—कार्य सिद्धि।

🕉 "षट्तिला एकादशी में भगवान विष्णु के किस रूप की पूजा होती है"? 

*इस एकादशी में भगवान विष्णु के माधव रूप की पूजा का विशेष विधान है।

*माधव रूप विष्णु का ऐसा स्वरूप है जो—

*जीवन में शुभता स्थापित करता है

*मन से पाप, रोग और भय हटाता है

*भक्त को आध्यात्मिक उन्नति देता है

*माधव रूप में भगवान को—

*पीताम्बर

*शंख

*चक्र

*गदा

*पद्म के साथ पूजा जाता है। तिल के जल से उनका अभिषेक सर्वोच्च फल देता है।

🛏 "षट्तिला एकादशी के दिन किस पर सोना चाहिए"? 

*शास्त्रों में कहा गया है कि—

✔ *इस दिन कुश पर सोना अत्यंत पवित्र है।

✔ *कुश को भगवान विष्णु का प्रिय माना जाता है।

यदि कुश उपलब्ध न हो तो—

✔ *दरी या चटाई पर सो सकते हैं।

✔ *पलंग पर सोने से व्रत का फल कम हो जाता है।

*मृदु स्थान पर सोने से मन शांत रहता है और व्रत सफल होता है।

🙏 "षट्तिला एकादशी पूजा विधि (स्टेप-बाय-स्टेप" 

*01. प्रातःकाल तैयारी

✔ *ब्रह्म मुहूर्त में उठें

✔ *तिल मिले हुए गुनगुने पानी से स्नान करें

✔ *घर के मंदिर की सफाई करें

✔ *पीले वस्त्र पहनें

*02. संकल्प लें

*घी का दीपक जलाकर यह कहते हुए संकल्प लें:

“मैं भगवान माधव की कृपा के लिए षट्तिला एकादशी व्रत करता/करती हूं।”

*03. पूजन सामग्री

*तिल (काले और सफेद)

*जल

*तुलसी

*पीला वस्त्र

*धूप, दीप

*पंचामृत

*भोग

*04. भगवान विष्णु का अभिषेक

✔ *तिल के जल से अभिषेक

✔ *पंचामृत स्नान

✔ *शुद्ध जल से स्नान

✔ *चंदन-तिलक

*05. आरती

*शंख ध्वनि के साथ विष्णु जी की आरती करें।

*06. तिल के छह उपयोग (षट्तिला)

*01. तिल युक्त जल से स्नान

*02. तिल का उबटन

*03. तिल का दान

*04. तिल से हवन

*05. तिल का भोजन बनाना

*06. तिल का सेवन

*07. मंत्र-जाप

“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”

*111 बार जप करें।

*08. दान-पुण्य

✔ *तिल

✔ *कंबल

✔ *भोजन

✔ *वस्त्र

✔ *गुड़

✔ *तेल

*09. रात्रि जागरण

*गीता, विष्णु सहस्रनाम का पाठ।

*10. पारण अगली सुबह पारण करें।

🌍 "सामाजिक, वैज्ञानिक और आध्यात्मिक पहलू" 

*सामाजिक पहलू

*तिल और दान भारतीय समाज में सदियों से दया, करुणा और सहानुभूति का प्रतीक रहे हैं।

*यह व्रत सामाजिक एकता और सेवा की भावना को मजबूत करता है।

"वैज्ञानिक पहलू"

*तिल—ओमेगा-3, कैल्शियम और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है।

*तिल का सेवन शरीर के टॉक्सिन्स को निकालता है और immunity बढ़ाता है।

"आध्यात्मिक पहलू"

*तिल अग्नि और सूर्य का प्रतीक है—

*जो नकारात्मक ऊर्जा नष्ट करता है।

*इस दिन ध्यान और जप मन को शांत और स्थिर करता है।

⚠️ "षट्तिला एकादशी डिस्क्लेमर" 

*यह ब्लॉग सनातन धर्म, पौराणिक मान्यताओं, धार्मिक कथाओं, शास्त्रीय उद्धरणों और पारंपरिक विश्वासों पर आधारित है। इसमें प्रस्तुत सभी कथाएं, प्रसंग, पूजा-विधि, टोटके, उपाय तथा धार्मिक मान्यताएं पुराणों, धर्मशास्त्रों, लोककथाओं और पारंपरिक आस्थाओं से लिए गए हैं।

*इस लेख का उद्देश्य केवल धार्मिक जानकारी, सांस्कृतिक संरक्षण और जन-कल्याणकारी सुझाव देना है।

*कोई भी धार्मिक नियम, उपवास, पूजा-विधि या उपाय आपके स्वास्थ्य, आयु, चिकित्सकीय स्थिति या व्यक्तिगत परिस्थितियों के अनुसार भिन्न प्रभाव दे सकता है। स्वास्थ्य संबंधी किसी भी स्थिति में चिकित्सक की सलाह प्राथमिकता होनी चाहिए।

*यह ब्लॉग किसी भी प्रकार के अंधविश्वास, कट्टरता या किसी समुदाय को आहत करने का उद्देश्य नहीं रखता। सभी जानकारी पाठकों को शिक्षित करने, सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने और आत्मिक संतुलन प्रदान करने हेतु संग्रहित है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि किसी भी उपाय को व्यक्तिगत विवेक और परिस्थिति के अनुसार अपनाएं।



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