"Nirjala Ekadashi 2027 निर्जला एकादशी: तिथि, पूजा विधि, पौराणिक कथा, टोटके और शुभ मुहूर्त"

"जानें Nirjala Ekadashi 2027 Date, Puja Vidhi, Katha and Significance in Hindi निर्जला एकादशी की सही तिथि (14 जून, सोमवार), शुभ मुहूर्त, पौराणिक कथा, टोटके, क्या करें और क्या न करें"। Nirjala Ekadashi 2027: Picture of Lord Vishnu

"वरुथिनी एकादशी 2027 — भगवान विष्णु के दिव्य वरुथिनी रूप का दर्शन, जो भक्तों को वैभव, सौभाग्य और पापों से मुक्ति का आशीर्वाद प्रदान करता है।"

🌿 "निर्जला एकादशी 2027: तिथि, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, कथा, टोटके और विशेष महत्व"

🗓 निर्जला एकादशी 2027 की तिथि और शुभ मुहूर्त

*तारीख: सोमवार, 14 जून 2027

*एकादशी तिथि प्रारंभ: 13 जून 2027, रात 02:07 बजे

*एकादशी तिथि समाप्त: 14 जून 2027, रात 02:30 बजे

*पारण (व्रत खोलने का समय): 15 जून 2027, प्रातः 03:45 बजे से 5:10 बजे तक

*सूर्योदय: प्रातः 05:00 बजे

*सूर्यास्त: सायं 06:31 बजे

*नक्षत्र: चित्रा नक्षत्र के बाद स्वाति नक्षत्र

*योग: वरीयान योग इसके बाद परिघ योग 

*वार: सोमवार

*दिशा शूल: पूर्व दिशा

*राहुकाल: प्रातः 7:30 बजे से 9:00 बजे तक

👉 इस दिन सूर्य वृषभ राशि में और चंद्रमा कन्या राशि के बाद तुला राशि में गोचर करेंगे।

*ग्रीष्म ऋतु और उत्तरायण आयन का योग रहेगा।

*यह दिन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ और पुण्य दायक रहेगा।

🌼 "निर्जला एकादशी की पौराणिक कथा" 

निर्जला एकादशी की कथा महाभारत काल से जुड़ी हुई है। पांडवों में सबसे बलवान भीमसेन अपने भोजन प्रेम के लिए प्रसिद्ध थे। जब उनके बड़े भाई युधिष्ठिर सहित माता कुंती, द्रौपदी, अर्जुन, नकुल और सहदेव सभी एकादशी का व्रत करते थे, तब भीमसेन कहते—

> “हे माता! मैं भगवान की पूजा, दान और ब्राह्मणों की सेवा तो कर सकता हूं, परंतु मैं भूखा नहीं रह सकता। बिना भोजन के मेरा शरीर दुर्बल पड़ जाता है।”

एक दिन उन्होंने इस बात की शिकायत महर्षि व्यास जी से की। भीमसेन ने कहा—

> “गुरुवर! मुझे ऐसा व्रत बताइए जो वर्ष में केवल एक बार किया जाए और उससे सभी एकादशियों का फल प्राप्त हो जाए।”

"महर्षि व्यास जी मुस्कुराए और बोले"—

> “हे भीमसेन! यदि तुम स्वर्ग की प्राप्ति और पापों से मुक्ति चाहते हो तो वर्ष में केवल एक बार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी का व्रत करो। इस व्रत में स्नान और आचमन के अलावा जल तक का सेवन निषिद्ध है।”

"भीमसेन ने यह सुनकर कहा"—

> “गुरुदेव! जल के बिना रहना तो अत्यंत कठिन है, किंतु यदि यह व्रत सारे पापों से मुक्ति देता है तो मैं इसे अवश्य करूंगा।”

"व्यास जी बोले"—

> “हे वत्स! इस दिन सूर्य के उदय से लेकर अगले दिन के सूर्योदय तक यदि व्यक्ति जल ग्रहण नहीं करता तो उसे साल भर की चौबीसों एकादशियों का फल प्राप्त होता है। द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को दान देकर, उन्हें भोजन कराने के पश्चात स्वयं भोजन करना चाहिए।”

"व्यास जी ने कहा"—

> “जो व्यक्ति निर्जला एकादशी का व्रत करता है, उसकी मृत्यु के समय यमदूत नहीं आते, बल्कि भगवान विष्णु के पार्षद पुष्पक विमान में बैठाकर उसे विष्णु लोक ले जाते हैं।”

*भीमसेन ने व्यास जी की आज्ञा अनुसार यह व्रत किया। उन्होंने पूरे दिन बिना जल ग्रहण किए भगवान विष्णु की आराधना की, "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः" मंत्र का *जप किया, और अगले दिन ब्राह्मणों को जलपूर्ण कलश, वस्त्र और दक्षिणा का दान किया।

*इस प्रकार निर्जला एकादशी को भीम सेनी एकादशी या पांडव एकादशी भी कहा जाता है।

*यह एक ऐसा व्रत है जो सारे पापों को नष्ट करता है और व्यक्ति को विष्णु लोक की प्राप्ति कराता है।

"पुराणों में कहा गया है"—

> "एकैका निर्जला एकादशी सर्वतीर्थफला स्मृता।

*वर्षमेकस्य व्रतानां फलं लभते नरः॥"

*अर्थात जो व्यक्ति केवल एक निर्जला एकादशी का व्रत करता है, उसे पूरे वर्ष की सभी एकादशियों के समान फल प्राप्त होता है।

🪔 "निर्जला एकादशी 2027 पूजा विधि" (Step-by-Step)

*01. प्रातः काल स्नान: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा जल से स्नान करें।

*02. संकल्प: भगवान विष्णु के समक्ष हाथ जोड़कर कहें—

“हे भगवान वासुदेव! मैं निर्जला एकादशी का व्रत करता हूं, कृपया मुझे व्रत का संपूर्ण फल प्रदान करें।”

*03. घट स्थापना: तांबे या पीतल के कलश में जल भरकर उस पर नारियल रखें।

*04. पूजन सामग्री: तुलसी दल, धूप, दीप, फूल, चंदन, पीले वस्त्र, और शुद्ध जल रखें।

*05. मंत्र जप: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः” मंत्र का जप करें।

*06. व्रत नियम: एकादशी तिथि में न जल ग्रहण करें, न अन्न—पूरी तरह निर्जल रहें।

*07. संध्या पूजा: शाम के समय भगवान विष्णु को दीप, नैवेद्य और तुलसी अर्पित करें।

*08. रात्रि जागरण: रात्रि में विष्णु सहस्रनाम या विष्णु स्तोत्र का पाठ करें।

*09. द्वादशी पारण: अगले दिन ब्राह्मणों को जल से भरा कलश, वस्त्र और दक्षिणा दान करें, फिर स्वयं भोजन करें।

निर्जला एकादशी के दिन क्या खाएं और क्या ना खाएं

*क्या खाएं (यदि निर्जल व्रत संभव न हो)

*फलाहार में केला, सेब, नारियल पानी, सूखे मेवे या साबूदाना खिचड़ी

*सात्विक आहार, बिना नमक और तेल के

*क्या ना खाएं

*अन्न, चावल, गेहूं, दाल, मसाले, लहसुन-प्याज

*मांसाहार, शराब, तंबाकू

*अधिक बोलना, क्रोध, असत्य भाषण

🌺 "निर्जला एकादशी पर क्या करें और क्या न करें"

*क्या करें

✅ *स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें।

✅ *भगवान विष्णु की पूजा करें और मंत्र जाप करें।

✅ *जल से भरे कलश का दान करें।

✅ *दान में वस्त्र, जूते, पंखा या छाता देना अत्यंत शुभ माना जाता है।

✅ *ब्राह्मणों को अन्नदान करें।

*क्या न करें

❌ *जल या अन्न का सेवन न करें (यदि निर्जल व्रत कर रहे हों)।

❌ *किसी से झगड़ा, कटु वचन या अपमान न करें।

❌ *सोने से बचें — पूरी रात भगवान के नाम का स्मरण करें।

❌* दान के बिना व्रत अधूरा रहता है, इसलिए कुछ न कुछ अवश्य दान करें।

🌞 "निर्जला एकादशी के दिन किस रूप में होती है भगवान विष्णु की पूजा"

*इस दिन भगवान विष्णु के वासुदेव रूप की पूजा की जाती है। पीले वस्त्र, शंख, चक्र, गदा और पद्म धारण करने वाले वासुदेव रूप के समक्ष पूजा करने से समस्त पापों का नाश होता है।

🛏 "निर्जला एकादशी के दिन किस दिशा में सोना चाहिए"

*इस दिन व्रतधारी को पूर्व दिशा की ओर सिर रखकर सोना चाहिए। इससे शरीर में सात्विक ऊर्जा बनी रहती है और व्रत का फल अक्षय होता है।

🔮 "निर्जला एकादशी के अचूक टोटके"

*01. पीतल के कलश में जल भरकर तुलसी डालें और भगवान विष्णु को अर्पित करें — रोगों से मुक्ति मिलेगी।

*02. पीले वस्त्र का दान करें — धन वृद्धि होती है।

*03. गाय को गुड़-चने खिलाएं — पितृ दोष शांति होती है।

*04. तुलसी पत्र पर चंदन लगाकर भगवान विष्णु को अर्पित करें — पारिवारिक सुख मिलता है।

*05. ओम नमो भगवते वासुदेवाय का 108 बार जाप करें — पापों का क्षय होता है।

🙏 "निर्जला एकादशी से संबंधित प्रमुख प्रश्न और उत्तर"

प्रश्न *01: निर्जला एकादशी का व्रत क्यों किया जाता है?

उत्तर: *यह व्रत सभी 24 एकादशियों का फल एक साथ देता है और मोक्ष प्रदान करता है।

प्रश्न *02: क्या निर्जला व्रत में जल पी सकते हैं?

उत्तर: *नहीं, इस व्रत में स्नान और आचमन को छोड़कर जल का सेवन वर्जित है।

प्रश्न *03: क्या निर्जला व्रत महिलाएं भी रख सकती हैं?

उत्तर: *हां, श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार महिलाएं भी रख सकती हैं।

प्रश्न *04: निर्जला व्रत न कर पाने पर क्या उपाय है?

*उत्तर: फलाहार और भगवान विष्णु की उपासना करें, इससे भी पुण्य प्राप्त होता है।

प्रश्न *05: निर्जला व्रत से क्या लाभ होता है?

उत्तर: पापों का नाश, विष्णुलोक की प्राप्ति, और परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है।

⚠️ "डिस्क्लेमर" (Disclaimer)

यह ब्लॉग लेख धार्मिक ग्रंथों, पुराणों और ज्योतिषीय पंचांगों पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल पाठकों को निर्जला एकादशी के धार्मिक, पौराणिक और आध्यात्मिक महत्व से अवगत कराना है। इसमें दी गई जानकारी किसी व्यक्तिगत आस्था, चिकित्सा, स्वास्थ्य या आर्थिक परामर्श का विकल्प नहीं है।

जो लोग व्रत रखते हैं, उन्हें अपनी शारीरिक क्षमता और स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए। निर्जला व्रत अत्यंत कठोर होता है, अतः वृद्धजन, गर्भवती महिलाएं, बच्चे या बीमार व्यक्ति बिना चिकित्सकीय सलाह के निर्जल उपवास न करें। वे फलाहार या आंशिक उपवास करके भी भगवान विष्णु की पूजा कर सकते हैं।

इस लेख का उद्देश्य सनातन धर्म की महान परंपरा और एकादशी व्रत के महत्व का प्रसार करना है, न कि किसी भी धार्मिक मत या संप्रदाय का विरोध। पाठक अपने स्थानीय पुरोहित या पंडित से परामर्श लेकर ही व्रत-विधि का पालन करें।

लेखक इस लेख में दी गई धार्मिक सूचनाओं की पूर्णता या सटीकता का दावा नहीं करता। पाठक इसे श्रद्धा और विश्वास के साथ पढ़ें, किंतु किसी निर्णय से पहले योग्य आचार्य की सलाह लेना उचित है।





एक टिप्पणी भेजें (0)
और नया पुराने