यमुना छठ एक महत्वपूर्ण भारतीय त्योहार है, जो यमुना नदी और यमराज की पूजा से जुड़े हैं। चार दिवसीय यमुना छठ के प्रत्येक दिन अलग-अलग अनुष्ठान किए जाते हैं। जानें पूजा की संपूर्ण विधि विधान सहित पौराणिक कथाएं विस्तार से।
यमुना छठ चैत्र मास के शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि, दिन गुरुवार 03 अप्रैल 2025 को मनाया जाएगा। पर्व का शुभारंभ एक दिन पूर्व शुरू हो जायेगा। षष्ठी तिथि का शुभारंभ 02 अप्रैल दिन शुक्रवार को रात 11:39 बजे से होगा, जो 03 अप्रैल दिन गुरुवार को रात 09:41 बजे तक रहेगा।
यमुना छठ पर्व मुख्य रूप से उत्तर भारत में, विशेषकर उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसे "छठ मैया" के समान धार्मिक महत्व प्राप्त है, लेकिन यह यमुना नदी के प्रति आस्था और श्रद्धा को समर्पित होता है।
क्या है पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस पर्व को मनाने से व्यक्ति के पाप समाप्त हो जाते हैं, और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, यह पर्व यमराज और यमुना के बीच के भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है।
यमुना छठ पर्व की पूजा विधि
यमुना छठ पर्व चार दिनों तक मनाया जाता है। इसका आयोजन विशेष धार्मिक परंपराओं के साथ किया जाता है। पूजा की विधि निम्नलिखित है:
पहला दिन: यमुना नदी में स्नान और शुद्धिकरण
1. श्रद्धालु सुबह सूर्योदय से पहले यमुना नदी के तट पर पहुंचते हैं। यमुना नदी में स्नान करके शरीर और मन को शुद्ध किया जाता है। स्नान के बाद यमुना मैया का आह्वान किया जाता है और जल अर्पित किया जाता है। व्रत रखने का संकल्प लिया जाता है।
दूसरा दिन: व्रत रखकर यमुना और यमराज की पूजा
1. इस दिन श्रद्धालु व्रत रखते हैं और अन्न का त्याग करते हैं। घर में यमराज की मूर्ति या प्रतीकात्मक स्वरूप की स्थापना की जाती है। यमराज और यमुना देवी की पूजा करते समय दीप, धूप, फूल, और फल अर्पित किए जाते हैं। यमराज से दीर्घायु और सुखमय जीवन की कामना की जाती है।
तीसरा दिन: यमुना स्नान के बाद घर शुद्धि
यमुना जल को पवित्र मानकर घर में लाया जाता है। इस जल से घर में शुद्धिकरण किया जाता है। महिलाएं यमुना मैया के गीत गाती हैं और उपवास करती हैं।
चौथा दिन: समापन और अर्घ्य के साथ पारण
श्रद्धालु यमुना नदी के तट पर जाकर सूर्योदय या सूर्यास्त के समय अर्घ्य देते हैं। इस अर्घ्य में दूध, जल, चावल, और दीप का उपयोग किया जाता है। प्रसाद वितरण और भोजन के साथ व्रत का समापन होता है। व्रतधारी पारण कर व्रत पूर्ण करते हैं।
पौराणिक कथा
यमुना छठ पर्व की कथा यमराज और यमुना देवी के भाई-बहन के संबंध से जुड़ी है। यह कथा इस प्रकार है:
यमुना और यमराज का प्रेम
पौराणिक कथाओं के अनुसार, यमुना सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया की पुत्री थीं, जबकि यमराज उनके भाई थे। यमुना अपने भाई यमराज से अत्यधिक स्नेह करती थीं और चाहती थीं कि यमराज उनके घर आकर भोजन करें। लेकिन यमराज, मृत्यु के देवता होने के कारण, समय नहीं निकाल पाते थे।
एक दिन यमुना ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की कि उनके भाई यमराज उनके घर आएं। विष्णु जी ने यमराज को यह संदेश दिया। यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए, जहां यमुना ने उनकी विधिपूर्वक पूजा की और उन्हें स्वादिष्ट भोजन कराया। यमराज ने प्रसन्न होकर यमुना से वरदान मांगने को कहा।
यमुना ने अपने भाई से मांगी तीन वरदान:
1. यमुना नदी में स्नान करने वाले लोगों को पापों से मुक्ति मिले।
2. इस दिन (छठ पर्व) पर जो भाई-बहन एक साथ पूजा करें, उन्हें दीर्घायु और सुखमय जीवन मिले।
3. यमराज का भय उनके भक्तों पर न हो।
यमराज ने इन वरदानों को स्वीकार किया। तभी से यमुना छठ पर्व का प्रचलन देश-विदेश में शुरू हुआ।
डिस्क्लेमर
यह लेख धार्मिक ग्रंथो से संग्रह कर, विद्वान ब्राह्मणों से विचार-विमर्श कर साथ ही लोक कथाओं में वर्णित लेखों सहित इंटरनेट का भी सहयोग लिया गया है। लेख लिखने का मुख्य उद्देश्य सनातनियों के बीच अपने पर्व त्यौहार की सटीक जानकारी उपलब्ध कराना। यमुना छठ पर्व के संबंध में जितने जानकारी मुझे उपलब्ध हुई, हमाने आपके समक्ष प्रस्तुत किया। इस लेख की सत्यता की गारंटी हम नहीं लेते हैं।