9 अगस्त 2025 को संस्कृत भाषा दिवस है: जानें पौराणिक कथा, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त व मंदिरों की सूची

संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक है। यह पर्व भारतीय भाषाओं की जननी संस्कृत भाषा को समर्पित है। यह श्रावण पूर्णिमा (रक्षा बंधन के दिन) को मनाया जाता है। जानें पौराणिक कथा, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, और देश में कहां-कहां है  मंदिर, जानें विस्तार से।

पौराणिक कथा

संस्कृत को देवभाषा माना गया है। इसे ब्रह्मा जी द्वारा सृजित किया गया है ऐसी मान्यता है। संस्कृत को देवताओं की भाषा के रूप में जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, संस्कृत भाषा की उत्पत्ति "नाद ब्रह्म" से हुई है। ब्रह्मा जी ने वेदों की रचना संस्कृत में की, और यह भाषा ज्ञान, धर्म, और विज्ञान का आधार बनी।

माना जाता है कि महर्षि पाणिनि ने संस्कृत के व्याकरण को व्यवस्थित पिरोया  और "अष्टाध्याई की रचना की। इस ग्रंथ को देवताओं का वरदान माना गया। संस्कृत दिवस पर महर्षि पाणिनि और सरस्वती देवी की पूजा की जाती है, जो ज्ञान और वाणी की देवी हैं।

(तस्वीर में सरस्वती देवी को उनके पारंपरिक स्वरूप में दर्शाया गया है। देवी सफेद कमल पर विराजमान हैं, उनके हाथों में वीणा और चारों ओर वेदों जैसे पवित्र ग्रंथ रखे हैं।)

किस देवता की जाती है पूजा

संस्कृत दिवस पर मुख्य रूप से माता सरस्वती की पूजा की जाती है। वे विद्या, ज्ञान, और वाणी की अधिष्ठात्री देवी हैं। इसके साथ-साथ, भगवान ब्रह्मा, जिन्होंने भाषा का सृजन किया, और महर्षि पाणिनि का भी पूजन किया जाता है।

पूजा करने की विधि

1. प्रारंभिक तैयारी:

स्वच्छ स्थान पर सरस्वती माता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।

पूजा स्थान पर सफेद फूल, चावल, दूध, और स्वच्छ जल रखें।

2. स्नान और ध्यान:

स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

पूजा से पहले सरस्वती मंत्र का ध्यान करें:

"या कुन्देन्दुतुषारहारधवला, या शुभ्रवस्त्रावृता।

या वीणावरदण्डमण्डितकरा, या श्वेतपद्मासना।"

3. पूजन सामग्री अर्पण:

सरस्वती देवी को सफेद फूल, अक्षत (चावल), और नैवेद्य (मिष्ठान) अर्पित कर वेदों के मंत्रों का उच्चारण करें।

4. ग्रंथ पूजन:

संस्कृत ग्रंथों जैसे गीता, वेद, और उपनिषदों का पूजन करें। इन ग्रंथों को पढ़कर उनकी महिमा का वर्णन करें।

5. दीप जलाना और आरती:

दीपक प्रज्वलित करें और सरस्वती माता की आरती करें। साथ ही "सरस्वती वंदना" गाएं।

6. विद्यार्थियों का सम्मान:

इस दिन विद्या प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों और विद्वानों का सम्मान किया जाता है।

पूजा करने का शुभ मुहूर्त

पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 08:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक होता है। प्रातःकालीन पूजा करने शुभ मुहूर्त सुबह 06:57 बजे से लेकर 08:35 बजे तक शुभ मुहूर्त के रूप में रहेगा। उसी प्रकार चर मुहूर्त दिन के 11:51 बजे से लेकर एक 01:28 बजे तक और अभिजीत मुहूर्त 11:25 बजे से लेकर 12:17 बजे तक रहेगा इस दौरान आप पूजा अर्चना कर सकते हैं। 

संध्या बेला चंद्रोदय शाम 06:35 बजे पर होगा इसके बाद संध्या पूजा के लिए गोधूलि मुहूर्त शाम 06:22 बजे से लेकर 06:44 बजे तक और लाभ मुहूर्त शाम 06:22 बजे से लेकर 07:44 बजे तक रहेगा। इस दौरान संध्या पूजा चंद्र दर्शन कर किया जा सकता है।

यदि रात्रि पूजा करनी हो, तो चंद्र दर्शन के बाद पूजा शुभ मानी जाती है।

देश में कहां-कहां है मंदिर

सरस्वती देवी के प्रसिद्ध मंदिर भारत में स्थित हैं:

1. सरस्वती मंदिर, पुष्कर (राजस्थान) यह मंदिर देवी सरस्वती को समर्पित है और पुष्कर झील के पास स्थित है।

2. सरस्वती मंदिर, कूच विहार (पश्चिम बंगाल) यह मंदिर प्राचीन काल से सरस्वती पूजन के लिए प्रसिद्ध है।

3. कोल्लुर मूकाम्बिका मंदिर (कर्नाटक) यहां देवी सरस्वती और मूकाम्बिका की पूजा होती है।

4. सरस्वती मंदिर, बसार (तेलंगाना) यह दक्षिण भारत का प्रमुख सरस्वती मंदिर है।

इन मंदिरों में श्रद्धालु संस्कृत दिवस के अवसर पर विशेष पूजा करते हैं।

संस्कृत दिवस का महत्व

संस्कृत दिवस भारतीय संस्कृति और धरोहर को संरक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण है। इस दिन विद्या, संस्कृति, और ज्ञान का उत्सव मनाया जाता है। विद्यार्थियों और विद्वानों को संस्कृत भाषा में निपुण बनने के लिए प्रेरित किया जाता है।

डिस्क्लेमर 

संस्कृत भाषा लेख पूरी तरह सनातन धर्म से संबंधित है। लेख में इंगित विभिन्न पहलुओं की जानकारी धार्मिक पुस्तकों से ली गई है। साथ ही शुभ मुहूर्त पंचांग से लिया गया है। लेख लखते समय विद्वान ब्राह्मणों, आचार्यों, लोक कथाओं और इंटरनेट से भी सहयोग लिया गया है। लेख को लिखने का उद्देश्य सिर्फ लोगों को अपने धर्म और अपने पर्व त्यौहार के बारे में सटीक जानकारी उपलब्ध कराना मात्र उद्देश्य है। यह लेख लिखनेे का उद्देश्य लोगों के बीच सिर्फ सूचना प्रदान करना ही मुख्य उद्देश्य है। इसकी सट्टा की गारंटी हम नहीं लेते हैं।





एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने