श्रावण पूर्णिमा 2025 में 09 अगस्त, दिन शनिवार को मनाई जाएगी। इस दिन चंद्रमा पूर्ण अवस्था में होता है। इस दिन कई प्रमुख त्योहार जैसे रक्षा बंधन, नारियल पूर्णिमा, गायत्री जयंती और उपकर्म (यज्ञोपवीत बदलने का दिन) मनाए जाते हैं। यह दिन धार्मिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
(श्रावण पूर्णिमा की यह तस्वीर, जिसमें गंगा नदी में महिलाएं स्नान कर रही हैं और पास में भक्त शिवलिंग पर जल और दूध चढ़ाकर पूजा कर रहे हैं।)
चार पौराणिक कथा इस प्रकार है:
श्रावण पूर्णिमा से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं। इनमें से मुख्य हैं:
1. समुद्र मंथन और नारायण बलि की कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन के समय देवता और दानव अमृत प्राप्त करने के लिए संघर्ष कर रहे थे। अमृत का कलश पाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया। इस दिन को समुद्र और जल से संबंधित कार्यों के लिए शुभ माना गया। इसलिए, नारियल पूर्णिमा या नारली पूर्णिमा के दिन जलदेवता को नारियल अर्पित किया जाता है।
2. वामन अवतार और राजा बलि की कथा:
श्रावण पूर्णिमा वामन भगवान के अवतार से भी जुड़ी है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने वामन रूप धारण कर राजा बलि से तीन पग भूमि मांगी और उन्हें पाताल लोक भेज दिया। इस दिन को भक्ति और दान का प्रतीक माना जाता है।
3. रक्षा बंधन की कथा:
इस दिन रक्षा बंधन का त्योहार भी मनाया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, द्रौपदी ने भगवान कृष्ण के घायल हाथ में अपनी साड़ी का टुकड़ा बांधा था, जिसे कृष्ण ने राखी स्वरूप स्वीकार किया और उनकी रक्षा का वचन दिया। यह त्योहार भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक है।
4. ऋषि-मुनियों का महत्व:
श्रावण पूर्णिमा को उपाकर्म का दिन भी कहा जाता है। इस दिन वेदपाठ करने वाले लोग यज्ञोपवीत (जनेऊ) बदलते हैं और अपने ज्ञान की शुद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं।
(श्रावण पूर्णिमा की तस्वीर जिसमें नदी के किनारे भक्त नारियल अर्पित कर रहे हैं और भाई-बहन रक्षा बंधन मना रहे हैं।)
पूजा करने की विधि
श्रावण पूर्णिमा की पूजा विधि भक्ति और श्रद्धा से जुड़ी होती है।
1. स्नान और शुद्धिकरण: प्रातःकाल नदी, तालाब या घर में पवित्र जल से स्नान करें।
2. व्रत: यदि संभव हो तो व्रत रखें। इस दिन उपवास का विशेष महत्व है।
3. भगवान की पूजा: भगवान शिव, विष्णु और समुद्र देवता की पूजा करें।
नारियल को जल में अर्पित करें और जल देवता से आशीर्वाद मांगें।
4. रक्षा सूत्र बांधना: ब्राह्मणों द्वारा रक्षा सूत्र (मौली) बांधी जाती है। भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक के रूप में रक्षा बंधन मनाएं।
5. यज्ञ और दान: यज्ञोपवीत बदलें और जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र दान करें।
शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 08 अगस्त 2025 को दोपहर 02:12 बजे से शुरू होगा।
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 09 अगस्त 2025 को प्रातः 01:24 बजे समाप्त हो जायेगा।
श्रावण पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना सर्वश्रेष्ठ होता है। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 03:52 बजे से लेकर 04:36 बजे तक रहेगा। उसी प्रकार शुभ मुहूर्त सुबह 06:57 बजे से लेकर 08:35 बजे तक रहेगा।
विशेष स्नान स्थलों की सूची
श्रावण पूर्णिमा के दिन भारत के कई तीर्थ स्थलों पर विशेष स्नान और पूजा होती है।
1. प्रयागराज (त्रिवेणी संगम): गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान।
2. काशी (वाराणसी): गंगा घाटों पर स्नान और शिवलिंग पर जलाभिषेक।
3. हरिद्वार: हर की पौड़ी पर गंगा स्नान।
4. उज्जैन (शिप्रा नदी): महाकालेश्वर मंदिर में पूजा।
5. नासिक: गोदावरी नदी में स्नान।
6. सोमनाथ: अरब सागर में स्नान और शिवलिंग पूजन
श्रावण पूर्णिमा का महत्व
सामाजिक: यह दिन भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करता है।
धार्मिक: भगवान शिव, विष्णु और ऋषियों की आराधना का महत्व।
प्राकृतिक: इस दिन प्रकृति और जल स्रोतों का सम्मान किया जाता है।
आध्यात्मिक: यह दिन दान, तपस्या और शुद्धिकरण का प्रतीक है।
डिस्क्लेमर
श्रावण पूर्णिमा लेख पूरी तरह सनातन धर्म से संबंधित है। लेख में इंगित विभिन्न पहलुओं की जानकारी धार्मिक पुस्तकों से ली गई है। साथ ही शुभ मुहूर्त पंचांग से लिया गया है। लेख लखते समय विद्वान ब्राह्मणों, आचार्यों, लोक कथाओं और इंटरनेट से भी सहयोग लिया गया है। लेख को लिखने का उद्देश्य सिर्फ सनातनी लोगों को अपने धर्म और अपने पर्व त्यौहार के बारे में सटीक जानकारी उपलब्ध कराना मात्र उद्देश्य है। यह लेख लिखनेे का उद्देश्य लोगों के बीच सिर्फ सूचना प्रदान करना ही मुख्य उद्देश्य है। इसकी सत्यता की गारंटी हम नहीं लेते हैं।