Ardra Nakshatra 2024 शुरू 06 जुलाई तक आम दालपुड़ी खीर व जामुन

आद्रा नक्षत्र 2024 ? क्या आपने अभी तक आम, गुड़ का बनी खीर, दाल पुड़ी और जामुन खाया की नहीं ? नहीं तो देर ना करें 06 जुलाई के अंदर इन चीजों को सेवन जरूर कर लें। क्योंकि यह हमारी पौराणिक परंपरा है।

आद्रा नक्षत्र से ही शुरू हो जाती है खेती-बाड़ी का काम। किसान आम, जामुन, खीर और दालपुड़ी खाकर अपना किसानी का शुभारंभ करते हैं।
सनातनी परम्परा के अनुसार आद्रा नक्षत्र में आम, जामुन, दाल भरी पुड़ी व गुड़ से बनी खीर खाने के विशेष लाभ मिलते हैं। जानें वैज्ञानिक कारण

Ardra Nakshatra 2024 आगामी 22 जून दिन शनिवार को सूर्य मृगशिरा नक्षत्र से आद्रा नक्षत्र में प्रवेश कर गए हैं।

ज्योतिषाचार्य के अनुसार सूर्य 22 जून 2024 से लेकर 06 जुलाई 2024 तक आद्रा नक्षत्र में ही रहेंगे। 5 जुलाई सुबह 4:06 के बाद आद्रा नक्षत्र खत्म होकर पुनर्वसु नक्षत्र शुरू हो जाएगा। सूर्य शनिवार के दिन करेंगे पुनर्वसु नक्षत्र में प्रवेश।

गौमाता और बैल को पहले खिलाकर, तब खूद क्यों खाएं,  इसका भी जानें महत्व।

आद्रा नक्षत्र शुरू होने के साथ ही खेती बाड़ी का काम किसान आरंभ कर देते हैं।

खेतों में बिचड़ा लगाने का काम किसान तेजी से संपन्न करने लगते हैं।

आद्रा नक्षत्र में ही मानसून का आगमन भारत के विभिन्न क्षेत्रों में हो जाती है।

सूर्य जब आद्रा नक्षत्र में होता है तब पृथ्वी राजस्वाला होती है। जो अधिक वर्षा का घोतक है।

आद्रा का अर्थ होता है नमी ? और आद्रा नक्षत्र के आने से जलवायु में नमी आ जाती है।

आद्रा नक्षत्र मृगशिरा और पुनर्वसु नक्षत्र के बीच में आता है। तीनों नक्षत्र खेती के लिए हैं सर्वश्रेष्ठ।

हिंदुस्तान एक कृषि प्रधान देश हैै। इसलिए खेती बाड़ी का शुभारंभ किसान भाई खीर पुड़ी और मौसमी फल आम और जामुन खाकर करते हैंं।

बिहार, झारखंड और यूूपी सहित देश के अन्य राज्यों के किसान आद्रा नक्षत्र में गुड़ से बनी खीर, चना दाल से बनी रोटी और मौसमी फल आम खाने में विश्वास रखते हैं।

खेती का काम नक्षत्रों के हिसाब से चलता है। रोहिण नक्षत्र से शुरू होकर खेती कार्य स्वाति नक्षत्र में जाकर समाप्त होते है। इसी बीच आद्रा नक्षत्र आता है। आद्रा नक्षत्र में किसान धान का बीज अपने खेतों में डालते हैं।

खेती की शुरुआत करने की खुशी में किसान अपने घरों में गुड़ का खीर, आम और चना के दाल भरकर रोटी बनाते हैं। माना जाता है कि भगवान विष्णु के भोग लगने वाला खीर, फलों का राजा आम, जामुन और अन्न मैं श्रेष्ठ अन्न चने की दाल से रोटी बनाकर खाना हमारी सनातनी परंपरा है।

क्यों गौ माता को खिलाया जाता है पहला कौर, जानें सनातनी रहस्य

पहले के जमाने में खेती का काम जानवरों के कांधों पर निर्भर था। खेती के कार्य में बैल का उपयोग हल जोतने में होता था। स्वस्थ्य रहने के लिए जाहिर है कि गौ माता की दूध पर निर्भर रहना पड़ता था।

हर घर में बैल और गाय होती थी। सनातन धर्म में गाय का महत्व माता के समान ही है।

अन्य दिनों में बनने वाली खाना की पहली कौर गाय को खिलाते हैं। हिंदू धर्म में मान्यता है कि गाय की सेवा करने से गौमाता की अपार आशीर्वाद मिलती है।
बच्चे स्वस्थ्य और विद्या से परिपूर्ण होते हैं।

इसलिए खाना बनाने के बाद सबसे पहले घर में रहने वाले गाय और बैलों को खिलाते हैं। इसके बाद घर के लोग खाते हैं।

उसी दिन अपने पितर के लिए भोजन निकालना चाहिए। इसके बाद कुत्ता, कौवा और चील को भी भोजन कराने चाहिए।

चना दाल की पूड़ी ही क्यों
आद्रा नक्षत्र में खीर के साथ चना दाल से बनी रोटी खाने का विधान है। वैज्ञानिक और धार्मिक मान्यता के अनुसार वर्षा ऋतु में शरीर की पाचन शक्ति कमजोर पड़ जाती है और ऐसे समय में मोटे अनाज का बना खाना खाने से शरीर में ताकत और पचाने में सुविधा मिलती है। इसलिए बारिश के दिनों में किसान चने से बने सत्तू, चना दाल भरकर बनी रोटी और चना दाल खाते हैं।

आम खाने से क्या है वैज्ञानिक फ़ायदे
आम को फलों का राजा कहा जाता है। आम के गूदे में पॉलीफेनॉल्स, टरपेनोइड्स, एस्कॉर्बिक एसिड और कैरोटिनॉइड पाए जाते हैं। इस तरह की खूबियों के कारण ही आम खाने से कैंसर होने का खतरे कम हो जाता है। यह गुण आम में पाया जाता है। वर्ष 2010 में किए गए एक वैज्ञानिक अध्ययन में पाया गया है कि आम एंटी-कार्सिनोजेनिक प्रभावों का समर्थन करता है।

चने खाने से क्या है वैज्ञानिक फायदे
चने में मिनिरल, फायबर और विटामिन काफी मात्रा में पाया जाता है। यह स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद और लाभदायक होता है। चने खाने से वजन नियंत्रण रहने के अलावा पाचन तंत्र को स्वास्थ्य बनाए रखता है। साथ ही अन्य घातक बीमारियों से बचने मे सहायता करता है।

जामुन खाने के क्या है फायदे
यह फल हीमोग्लोबिन बढ़ाता है और इसका आयरन ब्लड प्यूरिफायर के रूप में काम करता है। इसके अलावा कसैले गुणों से भरपूर ये फल स्किन त्वचा को दाग-धब्बे, पिंपल्स, झुर्रियों और मुंहासों से बचाता है। जामुन एंटीऑक्सिडेंट और पोटेशियम जैसे मिनरल्स का एक अच्छा स्रोत है, जो दिल संबंधी परेशानियों को दूर रखने के लिए फायदेमंद है।

आद्रा नक्षत्र के बारे में जानें सारी जानकारी जो आप जानना चाहते हैं
आर्द्रा सताइस नक्षत्रों में से एक है।
आकाश मंडल में आर्द्रा नक्षत्र का स्थान छठा है। यह राहू का नक्षत्र है। मिथुन राशि में आता है। मिथुन राशि के अन्तर्गत आने के कारण इस पर बुध का विषेश प्रभाव भी रहता है।

आर्द्रा नक्षत्र का स्वामी राहू है व इसकी दशा 18 वर्ष की होती हैं, लेकिन मिथनु राशि पर 5 माह 12 दिन से 18 वर्ष तक चंद्र की स्थितिनुसार दशा जन्म के समय भोगना पड़ती है।

आर्द्रा नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों की याद्दाश्त बहुत तेज होती है। इसलिए ये लोग उन क्षेत्रो में अच्छा प्रदर्शन करते हैं जिनमें बहुत सोच-विचार की आवश्यकता होती है जैसे लेखन, वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग आदि।

वैदिक ज्योतिष के अनुसार भगवान शिव के रुद्र रूप को आर्द्रा नक्षत्र का अधिपति देवता माना जाता है।

जिन लोगों का जन्म इस नक्षत्र में होता है वह बड़े ही चतुर-चालाक होते हैं। कूटनीति एवं राजनीतिक विषयों में इनकी बुद्घि खूब चलती है।

डिस्क्लेमर

आद्रा नक्षत्र क्यों है प्रमुख ? सनातनियों और किसानों के लिए महत्वपूर्ण आद्रा नक्षत्र से खेती-बाड़ी का काम शुरू हो जाता है। पूरे आद्रा नक्षत्र के दौरान पौराणिक और सनातनी परंपरा के अनुसार आम, जामुन, खीर और दाल पुड़ी खाने का प्रचलन है। 
क्यों खाया जाता है इन पदार्थ जानें वैज्ञानिक कारण ? हमारा उद्देश्य हमारी पौराणिक पहचान को कायम रखते हुए लोगों के बीच आद्रा नक्षत्र में घटने वाली पौराणिक घटनाओं से रूबरू कारण मात्र है। 
इस लेख लिखने के पहले अनुभवी किसान, विद्वान ब्राह्मण, पंचांग और इंटरनेट से भी सहायता लिया गया हैलेख लिखने का मुख्य उद्देश्य हमारी पुरानी पहचान को नऐ अनुभव देने मात्र है।

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