श्रीराम प्रभु के परम भक्त वीर हनुमानजी की जयंती हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी वर्ष 2023, दिन गुरुवार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनायी जायेगी।
हालांकि देश के कई इलाकों में अन्य तिथियों पर भी मनायी जाती हैं हनुमान जयंती।
हमारे पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हनुमानजी के जन्म स्थान और जन्म तिथि को लेकर अलग-अलग धारणाएं हैं।
एक अन्य मान्यता के अनुसार हनुमानजी का जन्म कार्तिक मास, कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि अर्थात दीपावली से एक दिन पहले हुआ था।
बाल्मिकी रामायण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि मंगलवार के दिन स्वाती नक्षत्र में कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन हनुमानजी प्राकट्य हुए थे।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान हनुमान शंकर के अवतार हैं। उनके पिता वानरराज केसरी और माता का नाम देवी अंजना है।
हनुमानजी ने माता सीता की खोज की और श्रीलंका विजय करने में भगवान श्रीराम की मदद की।
आचार्य जीतेन्द्रजी से जानते हैं कि हनुमान जयंती कब है। पूजा करने की विधि और शुभ मुहूर्त कौन सा है ?
हनुमान जयंती की तिथि कब है
सनातन पंचांग के अनुसार, वर्ष 2023 05 अप्रैल, दिन बुधवार को सुबह 09:19 बजे से चैत्र पूर्णिमा तिथि प्रारंभ हो जाएगी।
06 अप्रैल दिन गुरुवार को सुबह 10:04 बजे पूर्णिमा तिथि का समापन हो जायेगा। ऐसे में उदयातिथि के आधार मानकर हनुमान जयंती 06 अप्रैल दिन गुरुवार को मनाई जाएगी। इस दिन व्रत रख जातकों द्वारा वीर बजरंगबली की पूजा की जाएगी।
हनुमान जयंती पर पूजा मुहूर्त
06 अप्रैल को हनुमान जयंती के दिन आप सुबह के समय पूजा कर सकते हैं। सुबह 06 बजकर 06 मिनट से शुभ उत्तम मुहूर्त शुरू हो रहा है, जो सुबह 07 बजकर 40 मिनट तक रहेगा।
दोपहर में पूजा करने का मुहूर्त
दिन के 12 बजकर 24 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 58 मिनट तक लाभ उन्नति मुहूर्त है। उसी प्रकार दिन के 11:00 बजकर 59 मिनट से लेकर 12:49 बजे तक अभिजीत मुहूर्त और 01:58 बजे से लेकर 03:33 बजे तक अमृत सर्वोत्तम मुहूर्त रहेगा।
शाम के वक्त पूजा मुहूर्त
जो मनुष्य शाम के वक्त जयंती के मौके पर हनुमानजी की पूजा करना चाहते हैं, वैसे लोग संध्या 05 बजकर 07 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 07 मिनट के बीच पूजा पाठ कर सकते हैं। हनुमान जन्मोत्सव के दिन शाम 05:07 बजे से लेकर शाम 06:42 बजे तक शुभ मुहूर्त है। उसी तरह शाम 06:29 से लेकर 06:00 बज के 53 मिनट तक गोधूलि मुहूर्त है और शाम 06 बजकर 42 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 07 मिनट तक अमृत सर्वोत्तम मुहूर्त रहेगा।
हनुमान जयंती का दिन कैसा रहेगा पंचांग के अनुसार
6 अप्रैल 2023, दिन गुरुवार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि विक्रम संवत 2080 को हनुमान जयंती मनाई जाएगी। इस दिन सूर्योदय सुबह 6:00 बज के 6 मिनट पर और सूर्यास्त 6:42 बजे पर होगा। उसी प्रकार चंद्रोदय शाम 06:57 बजे और चन्द्रास्त अहले सुबह 06:11 बजे पर होगा। सूर्य मीन राशि में और चंद्रमा कन्या राशि में गोचर करेंगे। सूर्य का नक्षत्र रेवती है। योग व्याघात, नक्षत्र हस्त दिन के 12:42 बजे तक इसके बाद चित्र नक्षत्र शुरू हो जाएगा।
आनन्दादि योग राक्षस दिन के 12:42 बजे तक इसके बाद चर हो जाएगा। होमाहुति चंद्र, दिशाशूल दक्षिणी, राहुकाल वास दक्षिण, अग्निवास आकाश सुबह 10:00 बज के 04:00 मिनट तक इसके बाद पाताल हो जाएगा। चंद्रवास दक्षिण दिशा में है।
हनुमान जयंती पर कैसे करें पूजा
06 अप्रैल, दिन गुरुवार को हनुमान जयंती की पूजा शुभ उत्तम मुहूर्त में करें, या फिर अपने सुविधानुसार मुहूर्त में भी पूजा कर सकते हैं। जयंती पर हनुमान जी को लाल फूल, महावीरी सिंदूर, अक्षत्, पान का पत्ता, मोतीचूर के लड्डू, लाल कपड़े का लंगोट अर्पित करें। इसके बाद हनुमान चालीस का पाठ करें। हनुमान मंत्र का जाप करना भी अत्यंत कल्याणकारी रहेगा। अंत में हनुमान जी की हवन और आरती करें। बजरंगबली के कृपा से आपके पूरे परिवार की प्रगति और उन्नति होगी। सारे संकट मिट जायेंगे और दोष दूर हो जायेंगे।
हनुमानजी पांच भाई थे
हनुमानजी के पांच भाई थे। ब्रह्मांड पुराण के अनुसार हनुमानजी सबसे बड़े भाई थे। हनुमानजी के पांच भाइयों के नाम इस प्रकार हैं। पहला मतिमान, दूसरा श्रुतिमान, तीसरा केतुमान, चौथा गतिमान और पांचवां धृतिमान।
हनुमानजी के पुत्र का नाम मकरध्वज है
हनुमानजी जब माता सीता की खोज में श्रीलंका गए थे तब वहां उन्हें पकड़कर रावण के सैनिकों ने उनके पूंछ में आग लगवा दी थी। जिससे हनुमानजी को बहुत ज्यादा पीड़ा हुई। जिससे बचने के लिए वह समुद्र से अपनी पुंछ में लगी आग को शांत करने का निवेदन किया। ऐसा करते समय उनके पसीने की एक बूंद समुद्र में गिर गई। जिसे वहां की एक मछली ने उस पसीने को पी लिया और वो गर्भवती हो गई। इस प्रकार उस मछली से मकरध्वज नामक एक पुत्र का जन्म हुआ।
हनुमान जी के 108 नाम है। नामों का करें सुमिरन। होगा लाभ ही लाभ।1.वज्रनखाय
2. रुद्रवीर्य
3. वायु पुत्र
4. रामभक्त
5. वानरेश्वर
6. ब्रह्मचारी
7. आंजनेय
8. महावीर
9. हनुमत
10. मारुतात्मज
11. तत्वज्ञानप्रदाता
12. सीता मुद्राप्रदाता
13. अशोकवह्रिकक्षेत्रे
14. सर्वमायाविभंजन
15. सर्वबन्धविमोत्र
16. रक्षाविध्वंसकारी
17. परविद्यापरिहारी
18. परमशौर्यविनाशय
19. परमंत्र निराकर्त्रे
20. परयंत्र प्रभेदकाय
21.भीमसेन सहायकृते
22. कपीश्वराय
23. महाकायाय
24. कपिसेनानायक
25. कुमार ब्रह्मचारिणे
26. महाबलपराक्रमी
27. रामदूताय
28. वानराय
29. दान्ताय
30. शान्ताय
31. प्रसनात्मने
32. शतकण्ठमदापहते
33. योगिने
34. अनघ
35. अकाय
36. तत्त्वगम्य
37. लंकारि
38.केसरी सुताय
39. शोक निवारणाय
40. अंजनागर्भसंभूताय
41. विभीषणप्रियाय
42. वज्रकायाय
43. रामभक्ताय
44. लंकापुरीविदाहक
45. सुग्रीव सचिवाय
46. पिंगलाक्षाय
47. हरिमर्कटमर्कटाय
48. रामकथालोलाय
49. सीतान्वेणकर्त्ता
50. कारागृहविमोक्त्री
51. सर्वबंधमोचकाय
52. सागरोत्तारकाय
53. प्रज्ञाय
54. प्रतापवते
55. बालार्कसदृशनाय
56. दशग्रीवकुलान्तक
57. लक्ष्मण प्राणदाता
58. महाद्युतये
59. चिरंजीवने
60. दैत्यविघातक
61. अक्षहन्त्रे
62. कालनाभाय
63. कांचनाभाय
64. पंचवक्त्राय
65. महातपसी
66. लंकिनीभंजन
67. श्रीमते
68. सिंहिकाप्राणहर्ता
69. लोकपूज्याय
70. धीराय
71. शूराय
72. दैत्यकुलान्तक
73. सुरारर्चित
74. महातेजस
75. रामचूड़ामणिप्रदाय
76. कामरूपिणे
77. मैनाकपूजिताय
78. मार्तण्डमण्डलाय
79. विनितेन्द्रिय
80. रामसुग्रीव सन्धात्रे
81. महारावण मर्दनाय
82. स्फटिकाभाय
83. वागधीक्षाय
84. नवव्याकृतपंडित
85. चतुर्बाहवे
86. दीनबन्धवे
87. महात्मने
88. भक्तवत्सलाय
89.अपराजित
90. शुचये
91. वाग्मिने
92. दृढ़व्रताय
93. कालनेमि प्रमथनाय
94. सर्वग्रह निवासिने
95. सर्वदु:खहराय
96. सर्वलोकचारिणे
97. मनोजवय
98. पारिजातमूलस्थाय
99.सर्वमूत्ररूपवते
100. सर्वतंत्ररूपिणे
101. सर्वयंत्रात्मकाय
102. सर्वरोगहराय
103. प्रभवे
104. सर्वविद्यासम्पत
105. भविष्य चतुरानन
106. रत्नकुण्डल पाहक
107. चंचलद्वाल
108. गंधर्वविद्यात्त्वज्ञ
जानें हनुमानजी के जन्म के पौराणिक कथा
श्रीराम के परम भक्त बजरंग बली को कलयुग का अत्यंत प्रभावशाली देवता और भगवान भोलेनाथ का 11वां रूद्र अवतार माना जाता है। पौराणिक ग्रंथों में वर्णित कथाओं के अनुसार जिस वक्त देवताओं और असुरों ने अमृत पाने के लिए समुद्र मंथन किया था। अमृत मिलने के बाद देवताओं और असुरों में झगड़ा होने लगा कि कौन अमृत पान करेगा।
झगड़ें के बीच भगवान विष्णु (श्रीहरि) ने मोहनी रूप धारण कर लिया। भगवान भोलेनाथ ने भगवान विष्णु के मोहिनी रूप को देखा तो भोले शिव वासना से आतुर हो गए और उसी समय भगवान शंकर ने अपने वीर्य को त्याग कर दिया। भोलेनाथ के वीर्य को पवनदेव ने माता अंजना के गर्भ में समाहित कर दिया।
इसके बाद चैत्र पूर्णिमा के दिन माता अंजना के गर्भ से बजरंग बली ने जन्म लिया।
दूसरी ओर वनराज केसरी और माता अंजना ने भगवान भोलेनाथ की घनघोर तपस्या की थी। पति-पत्नी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने दोनों को वरदान दिया था कि वे माता मानकर मां अंजना के कोख से जन्म लेंगे। हनुमान जी को पवन पुत्र भी कहा जाता है। क्योंकि जिस समय बजरंग बली ने भगवान भास्कर (सूर्य) को निगल लिया था। उस समय देवेन्द्र ने बालक हनुमान पर व्रज से प्रहार किया था। इसके बाद पवनदेव ने तीनों लोकों से हवा का बहाव बंद कर दिया था। इसके बाद सभी देवताओं ने हनुमानजी से विनती कर रक्षा करने का उनसे आर्शीवाद लिया था।
हनुमान जयंती पर क्या करें
ज्योतिष शास्त्र और आचार्य पंडितों के अनुसार, हनुमान जयंती के दिन अगर व्रत रखते हैं, तो परम सुख और भक्ति भाव उत्पन्न होगा। उस दिन लोगों को हनुमान चालीसा, सुंरदरकांड, बजरंग बाण और हनुमान अष्टक का पाठ करना चाहिए। इसके साथ ही रामायण और राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करने से सभी तरह के पाप नष्ट हो जाते हैं। हनुमान जयंती के दिन हनुमानजी की पूजा-अर्चना और धार्मिक ग्रंथों के पाठ करने से मानसिक शांति और शारीरिक शक्ति मिलती है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
हनुमानजी तीन विवाह करने के बाद भी ब्रह्मचारी रहें कैसे
हनुमानजी का जन्म अप्सरा पुंजिकस्थली अर्थात माता अंजनी के गर्भ से हुआ, जो गौतम ऋषि की पुत्री थी।
एतिहासिक घटनाओं पर आधारित लोक कथाओं के अनुसार हनुमान जी का जन्म विवादास्पद स्थिती में हुआ था। शास्त्रों में ऐसा वर्णन मिलता है कि हनुमानजी को कभी भी पारिवारिक सुख और सुविधा नही मिल पाया। हनुमानजी को कभी भी अपने माता-पिता से प्रेम नहीं मिल पाया और ना ही कभी उनका गृहस्थ जीवन सुचारू रूप से चल पाया।धर्म शास्त्रों व लोक कथाओं के अनुसार हनुमानजी के तीन विवाह हुए थे। पाराशर संहिता के अनुसार सूर्यदेव से सभी तरह के ज्ञान प्राप्त करने के उपरांत हनुमानजी का प्रथम विवाह सूर्यपुत्री सुर्वचला से हुआ था। उसी तरह पउम चरित के अनुसार वरुण देव से रावण के युद्ध में हनुमानजी रावण की ओर से युद्ध किया था। हनुमानजी ने वरूण देव के सभी पुत्रों को बंदी बना लिया। वरुण देव ने अपनी पुत्री सत्यवती से और रावण ने अपनी दुहिता अनंगकुसुमा का विवाह हनुमानजी से कर दिया।
हनुमानजी का जीवन कभी सामान्य नहीं रहा और वे अपने वैवाहित जीवन से कभी खुश नहीं रहें। तीन-तीन विवाह होने के बाद भी वे सदैव ब्रह्मचर्य ही बने रहे।
डिस्क्लेमर
हनुमान जयंती के संबंधित सभी तरह की जानकारी इस लेख में दी गई है। यह जानकारी सनातन पंचांग, धर्मशास्त्र विभिन्न पुराणों से लिया गया है। इस लेख में धर्म के जानकारों का विचार, आचार्यों का सुझाव और पंडितों के द्वारा बताए गए लोक कथाओं पर यह आधारित है। यह लेख सिर्फ धर्म की पहचान और हनुमान जयंती की जानकारियां लोगों को उपलब्ध कराने के लिए लिखा गया है।
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अगर आप हनुमान जयंती के संबंध में सभी तरह की जानकारियां जानना चाहते हैं
तो इस लेख को जरूर पढ़ें। आपकी हर तरह के जिज्ञासा को पूर्ण करेगा यह लेख।