चैत्र नवरात्र 2023 मां दुर्गा नाव पर सवार होकर आयेगी और हाथी पर बैठकर जायेगी

मां दुर्गा नाव पर सवार होकर पृथ्वी लोग का भ्रमण करने आएगी और हाथी पर सवार होकर प्रस्थान करेगी।


बसंती चैत्र नवरात्र 22 मार्च 2023, दिन बुधवार को कलश स्थापना के साथ शुरू होकर 31 मार्च महादशमी दिन शुक्रवार को समाप्त हो जाएगा।


30 मार्च 2023 दिन गुरुवार को महानवमी है। इस दिन मां का पूजन के उपरांत रामनवमी का ध्वज भी बदला जाएगा।

हाथी पर ही सवार होकर मां दुर्गा जायेगी अपने लोक 

बासंती नवरात्रि 22 मार्च 2023, दिन गुरुवार को कलश स्थापना से शुरू हो रही है और इसका समापन 31 मार्च 2023, दिन शुक्रवार को होगा। पौराणिक मान्यता के अनुसार, बुधवार और शुक्रवार को माता रानी के प्रस्थान की सवारी हाथी ही होती है। जब माता रानी हाथी पर प्रस्थान करती हैं तो देश में अधिक बरसात होने की संभावना बढ़ जाती है।


मां दुर्गा के कौन-कौन से वाहन हैं?

अलग-अलग दिन के अनुसार नवरात्रि में मां दुर्गा के विभिन्न वाहन होते हैं। मसलन डोली, नाव, घोड़ा, भैंसा, मनुष्य और हाथी हैं।


दिन के अनुसार मां दुर्गा की सवारी और उनके महत्व

धार्मिक और पौराणिक मान्यता के अनुसार, यदि नवरात्रि सोमवार या रविवार से शुरू हो रही है तो मां का वाहन हाथी होता है। वहीं यदि नवरात्रि मंगलवार और शनिवार शुरू होती है, तो मां का वाहन घोड़ा होता है, जो सत्ता परिवर्तन और संघर्ष का संकेत देता है। इसके अलावा गुरुवार या शुक्रवार से शुरू होने पर मां दुर्गा डोली में बैठकर आती हैं, तो देश-दुनिया में भयंकर रक्तपात, मार-काट, जलजला,  जन-धन हानि होने की बढ़ जाती है। उसी प्रकार बुधवार के दिन से नवरात्रि की शुरुआत होती है, तो मां नाव पर सवार होकर आती हैं और अपने अनंत भक्तों के सारे कष्ट, रोग और दुःख को खत्म कर देती हैं।

नवरात्रि में मां अंबे के पृथ्वी लोक से जाने की सवारी और उनके संकेत

अगर नवरात्रि का समाप्ति रविवार और सोमवार को होता है, तो मां जगदम्बे भैंसे की सवारी कर जाती हैं। इसका परिणाम होता है कि देश और दुनिया में शोक, रोग और अत्याचार बढ़ेंगे। उसी प्रकार शनिवार और मंगलवार को नवरात्रि का समाप्ति हो तो दुर्गा मुर्गे पर सवार होकर जाती हैं। मुर्गे की सवारी दुख, दर्द, संकट और अत्याचार में  वृद्धि की ओर इशारा करता है। बुधवार और शुक्रवार को नवरात्रि की समाप्ति होती है, तो मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर जाती है, जो अत्याधिक की ओर संकेत करता है। इसके अलावा अगर नवरात्रि का समापन वृहस्पति वार को हो रहा है, तो मां अंबे मनुष्य के ऊपर सवार होकर अपने लोक को जाती हैंं। वैसी स्थिति में पृथ्वी लोक पर सुख-समृद्धि और शांति की वृद्धि होती है।

अब जाने कलश स्थापना का समय

बसंती नवरात्रा 22 मार्च 2023 दिन गुरुवार से शुरू होगा। चैत्र मास, शुक्ल पक्ष, प्रतिपदा तिथि जो रात 08:20 बजे तक रहेगी। इसके बाद द्वितीय तिथि प्रारंभ हो जाएगा। कलश स्थापना करने का शुभ समय सुबह का बेला होता है।
कलश स्थापना करने का मुहूर्त सुबह 06:00 बज कर 23:00 मिनट से लेकर 7:00 बज कर 55 मिनट तक शुभ मुहूर्त और 07:55 बजे से लेकर 09:26 बजे तक अमृत मुहूर्त रहेगा। इस दौरान कलश स्थापना करना काफी शुभ होगा। उसी प्रकार दिन के 10:57 बजे से लेकर 12:28 बजे के बीच भी आप कलश स्थापना कर सकते हैं इस दौरान शुभ मुहूर्त का संयोग रहेगा।

कैसा रहेगा कलश स्थापना के दिन जानें पंचांग के अनुसार

चैत्र प्रतिपदा तिथि, शुक्ल पक्ष, 22 मार्च 2023 दिन बुधवार को पंचांग के अनुसार सूर्योदय सुबह 06:00 बज कर 23 मिनट पर और सूर्यास्त शाम 06:33 बजे पर होगा। उसी प्रकार चंद्रोदय सुबह 06:00 बज कर 49 मिनट पर और चंद्रास्त शाम 07:21 बजे पर होगा। नक्षत्र उत्तरा भाद्रपद, योग शुक्ल, सूर्य और चंद्रमा दोनों मीन राशि में रहेंगे। सूर्य नक्षत्र उत्तरा भाद्रपद रहेगा।

डिस्क्लेमर

यह लेख धार्मिक और पौराणिक मान्यताओं पर आधारित है। शुभ और अशुभ मुहूर्त पंचांग से लिया गया है। जबकि माता की सवारी का प्रसंग भगवती पुराण से लिया गया है। कथा आचार्य और पंडित से विचार-विमर्श कर लिखा गया है। यह कथा सिर्फ सूचना देने के लिए है।


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