24 जुलाई दिन रविवार को कामिका एकादशी है।
श्रावण माह के कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि को कामिका एकादशी व्रत कहते हैं।
कामिका एकादशी व्रत के दिन करें ये आठ उपाय हो जाएंगे मालामाल
एकादशी के दिन चावल व चावल से बनी किसी भी चीज के खाना पूर्णतया वर्जित होता है।
व्रत के दूसरे दिन चावल से बनी हुई खाद्य पदार्थों का भोग भगवान विष्णु को समर्पित कर स्वयं प्रसाद खाना चाहिए।
भोजन नमक रहित करें। नमक का सेवन एकादशी व्रत के दिन पूजा वर्जित है।
व्रत वाले दिन फलहार करना चाहिए । फलाहार भी केवल दो समय ही करें। फलाहार करते समय तुलसी पत्ता का अवश्य ही प्रयोग करना चाहिए।
व्रत में पीने वाले पानी में भी तुलसी पत्ता का प्रयोग करना उचित होता है।
टूटे चावल का उपयोग न पूजा में करें और न ही भोजन करें।
प्रसाद के रूप में पीले रंग का फल और फूल भगवान विष्णु को समर्पित करें।
कामिका एकादशी के दिन हो सकें तो अष्ट धातु से बने भगवान विष्णु की प्रतिमा का पूजन करने से अनन्त फल मिलता है।
कैसे करें कामिका एकादशी की पूजन
कामिका एकादशी में साफ-सफाई का विशेष महत्व है। इसलिए पूजन के पहले साफ सफाई पर विशेष ध्यान दें।
व्रती व्यक्ति अहले सुबह स्नानादि करके भगवान विष्णु की प्रतिमा को दूध, घी, गुड़, दही और मधु से बने पंचामृत से स्नान करायें।
पंचामृत में दूध, घी, दही, मधु और गुड़ शामिल है।
स्नान कराने के बाद भगवान विष्णु को गंध, तुलसी पत्ता, अरवा चावल के अच्छत और इंद्र जौ से पूजन प्रयोग कर पीले पुष्प चढ़ायें।
धूप, घी, दीप, इत्र और चंदन सहित अन्य सुगंधित पदार्थो से भगवान विष्णु की आरती उतारनी चाहिए।
नैवेधय का भोग लगाये। इसमें भगवान श्रीहरि को मक्खन मिश्री और तुलसी दल अवश्य ही चढ़ाएं और अन्त में श्रमा याचन करते हुए भगवान को नमस्कार करें।
विष्णु सहस्त्र नाम मंत्र पाठ का जाप व्रतधारियों को जरूर करना चाहिए।
कामिका एकादशी व्रत करने क्या मिलता है फल
भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि हे धर्मराज युधिष्ठिर! कामिका एकादशी की कथा एक बार स्वयं ब्रह्माजी ने देवर्षि नारद से कही थी, वही कथा मैं तुमसे कहता हूं।
ब्रह्माजी ने नारद मुनि से कहा कि तीनों लोकों के हित के लिए कामिका एकादशी व्रत करना चाहिए।
व्रत के दिन शंख, चक्र, गदाधारी भगवान विष्णु का पूजन होता है, जिनके नाम श्रीहरि, गदाधर, श्रीधर, कृष्ण, विष्णु, माधव, गोवर्धन मधुसूदन हैं। उनकी पूजा करने से जो अनंत फल मिलता है।
मनुष्य को जो फल गंगा, काशी, नैमिषारण्य, काशी, प्रयागराज, हरिद्वार और पुष्कर स्नान से मिलता है। वहीं फल कामिका एकादशी के दिन विष्णु भगवान के पूजन से मिलता है।
जातक को जो फल चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण पर कुरुक्षेत्र, गंगा, प्रयागराज और काशी में स्नान करने से, समुद्र, नदी, वन सहित पृथ्वी दान करने से भी जो पुण्य प्राप्त नहीं होता। वह कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु के पूजन से मिलता है।
तुलसी पत्ता के पूजन का फल चार तोला चांदी और एक तोला सोने के दान के बराबर होता है।
जो मनुष्य कामिका एकादशी के दिन भक्तिपूर्वक तुलसी दल भगवान विष्णु को अर्पण करते हैं, वे इस संसार के समस्त पापों से दूर रहते हैं।
कामिका एकादशी की रात्रि को दीप जलाने तथा रात्रि जागरण करने से जो फल मिलता है। उसका माहात्म्य भगवान चित्रगुप्त भी नहीं कह सकते।
जो मनुष्य घी या तेल का दीपक जलाते हैं, वे सौ करोड़ दीपकों से प्रकाशित होकर सूर्य लोक को प्राप्त करते हैं।
ब्रह्महत्या तथा भ्रूण हत्या आदि पापों को नष्ट करने वाली इस कामिका एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सारे पाप धुल जाते हैं।
कामिका एकादशी के व्रत का माहात्म्य श्रद्धा पूर्वक पढ़ने और सुनने वाला व्यक्ति सभी तरह के पापों से रहित होकर विष्णु लोक को जाता है।
जो मनुष्य श्रावण माह में पड़ने वाले कामिका एकादशी व्रत को भगवान विष्णु का पूजन करते हैं, उनसे देवतागण, सूर्य और गंधर्व आदि सब पूजित हो जाते हैं।
पापों से डरने वाले मनुष्यों को कामिका एकादशी का व्रत और विष्णु भगवान का पूजन अवश्य करना चाहिए।
पाप के सामान कीचड़ में फंसे हुए व्यक्ति और श्रृष्टि रूपी समुद्र में डूबे हुए मानव के लिए कामिका एकादशी का व्रत करना और व्रत के दौरान भगवान विष्णु का पूजन करने से सभी तरह के पाप नष्ट हो जाते हैं।
भगवान विष्णु पैसा, सोना, चांदी, मोती, रत्न, मणि तथा विभिन्न प्रकार के आभूषण आदि से इतने प्रसन्न नहीं होते जितने तुलसी पत्ता से पूजन करने से होते हैं।
तुलसी के पौधे को सींचने से मनुष्य की सभी तरह के यातनाएं नष्ट हो जाती हैं। दर्शन मात्र से सब पाप दूर हो जाते हैं और स्पर्श करने से मनुष्य पवित्र हो जाता है।
पंचांग के अनुसार जानें एकादशी के दिन कैसा रहेगा
26 मई 2022, दिन गुरुवार को ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि को अचला एकादशी है। सूर्य वृषभ राशि में और चंद्रमा मीन राशि में रात12:39 बजे तक इसके बाद मेष राशि में प्रवेश कर जायेंगे। सूर्य का नक्षत्र रोहिणी है।
सूर्योदय 5:00 बज के 1 मिनट पर और सूर्यास्त 6:24 बजे पर चंद्रोदय देर रात 2:52 बजे पर और चंद्रास्त दूसरे दिन के 2:52 बजे पर होगा। दिनमान 13 घंटे 22 मिनट का रहेगा और रात्रि मान 10 घंटे 37 मिनट का होगा।
अचला एकादशी के दिन आनंदादी योग मित्र रात के 12:39 बजे तक इसके बाद मानस हो जाएगा। होमाहुति राहु देर रात 12:39 बजे तक, इसके बाद केतु हो जाएगा। चन्द्र वास उत्तर, दिशाशूल दक्षिण, राहु वास दक्षिण, अग्निवास पृथ्वी सुबह के 10:54 तक इसके बाद आकाश हो जाएगा।
अब जानें कौन मुहूर्त में करें पूजन
अचला एकादशी के दिन अभिजीत मुहूर्त दिन के 11:51 बजे से लेकर 12:46 बजे तक रहेगा।
काशी पंचांग के अनुसार पूजा करने का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार शुभ मुहूर्त दोपहर 2:36 बजे से लेकर 3:31 बजे तक विजया मुहूर्त के रूप में है। उसी प्रकार गोधूलि मुहूर्त शाम 6:51 बजे से लेकर 7:21 बजे तक, संध्या मुहूर्त 7:11 बजे से लेकर 8:13 बजे तक, मध्य रात्रि का निशिता मुहूर्त 11:58 बजे से लेकर 12:39 बजे तक, ब्रह्मा मुहूर्त 04:03 बजे से लेकर 04:44 बजे तक और प्रातः मुहूर्त 04:24 बजे से लेकर 05: 25 बजे तक है। इस दौरान जातक पूजा अर्चना कर सकते हैं।
पंचांग के अनुसार अशुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार राहुकाल का आगमन दिन के 02:02 बजे से लेकर 03:45 बजे तक रहेगा। उसी प्रकार यमगण्ड काल दोपहर 05:25 बजे से लेकर 07:09 बजे तक और गुलिकाल सुबह 08:52 बजे से लेकर 10:35 बजे तक रहेगा। उसी प्रकार दुमुर्हत काल सुबह 10:01 बजे से लेकर 10:56 बजे तक और शाम 3:52 बजे से लेकर 4:26 बजे तक रहेगा। वज्य काल दिन के 11: 59 बजे से लेकर 1:40 बजे तक रहेगा। इस दौरान पूजा अर्चना करना वर्जित है।
चौघड़िया मुहूर्त के अनुसार दिन शुभ समय
चौघड़िया पंचांग के अनुसार दिन का शुभ मुहूर्त इस प्रकार है। सुबह 05:25 बजे से लेकर 07:09 बजे तक का शुभ मुहूर्त का संयोग रहेगा। अमृत मुहूर्त का आगमन दोपहर 02:02 बजे से लेकर 03:45 बजे तक रहेगा। उसी प्रकार लाभ मुहूर्त दोपहर 12:18 बजे से लेकर 02:02 बजे तक और चर मुहूर्त सुबह के 10:35 बजे से लेकर दोपहर 12:18 बजे तक रहेगा। शाम के समय एक बात फिर से शुभ मुहूर्त का आगमन हो रहा है जो शाम 5:28 बजे से लेकर 7:11 बजे तक रहेगा। इस दौरान जातक पूजा अर्चना कर सकते हैं।
चौघड़िया मुहूर्त दिन का अशुभ मुहूर्त
चौघड़िया पंचांग के अनुसार दिन अशुभ मुहूर्त सुबह 07:09 बजे से लेकर 08:52 बजे तक रोग मुहूर्त रहेगा। उसी प्रकार सुबह 08:00 बज के 52 मिनट से लेकर 10:00 बज के 35 मिनट तक उद्धेग मुहूर्त रहेगा। उसी प्रकार दिन के 03:45 बजे से लेकर शाम के 05:28 बजे तक तक काल मुहूर्त का संयोग रहेगा। इस दौरान पूजा अर्चना करना वर्जित रहेगा।
रात्रि चौघड़िया शुभ मुहूर्त
रात्रि समय का चौघड़िया पंचांग के अनुसार अमृत मुहूर्त रात 07:11 बजे से लेकर 08:28 बजे तक रहेगा। 08:28 बजे से लेकर रात 09:45 बजे तक चर मुहूर्त और मध्य रात्रि 12:18 बजे से लेकर 01:35 बजे तक लाभ मुहूर्त है। देर रात 02:52 बजे से लेकर 04:08 बजे तक शुभ मुहूर्त का संयोग है। एक बार फिर से प्रातः काल 4:08 बजे से लेकर 5:25 बजे तक अमृत मुहूर्त का संजोग रहेगा। इस दौरान दो-पहर की पूजा अर्चना जातकों कर सकते हैं। इस वक़्त पूजा करना काफी लाभप्रद होगा।
चौघड़िया अशुभ मुहूर्त रात का
चौघड़िया मुहूर्त के अनुसार रात 09:45 बजे से लेकर रात 11:01 बजे तक रोग मुहूर्त, मध्य रात की 11:01 बजे से लेकर रात 12:18 बजे तक काल मुहूर्त और रात 01:35 बजे से लेकर 02:52 बजे तक उद्धेग मुहूर्त का संयोग है। इस दौरान भी पूजा अर्चना करना वर्जित है।
सनातन धर्म में एकादशी का व्रत विशेष स्थान रखता है। एक वर्ष में चौबीस एकादशियां आती हैं। उसी तरह अधिकमास या मलमास साल में एकादशी की संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। सावन मास की कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि में पड़ने वालीं कामिका एकादशी व्रत की कथा सुनने मात्र से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है।
पौराणिक कथा
कुंतीपुत्र धर्मराज युधिष्ठिर ने कहा कि हे भगवन कृष्ण आषाढ़ मास के शुक्लपक्ष में पड़ने वालीं देवशयनी एकादशी तथा चातुर्मास्य माहात्म्य मैंने ध्यान पूर्वक सुना। अब कृपा करके सावन माह के कृष्णपक्ष में पड़ने वालीं एकादशी का क्या नाम है, हमें विस्तार से बताइए।
भगवान श्रीकृष्ण कहाआ कि हे कुंतीपुत्र युधिष्ठिर! इस एकादशी की कथा एक समय स्वयं ब्रह्माजी ने देवर्षि नारद को सुनाई थी। वही कथा अब मैं तुमसे कहता हूं।
उन्होंने एकादशी का नाम कामिका है। उसके सुनने मात्र से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। व्रत के दिन शंख, चक्र, गदाधारी भगवान विष्णु की पूजा होती है, जिनका नाम कृष्ण, कन्हैया, श्रीधर, श्रीहरि, विष्णु, माधव, मधुसूदन हैं। उनकी पूजा करने से जो अनंत फल मिलता है।
व्रत के पीछे क्या है कथा
एक गांव में एक वीर और दयावन श्रत्रिय रहता था। एक दिन किसी कारण वश उसकी एक ब्राहमण युवक से हाथापाई हो गई। हाथापाई के दौरान ब्राहमण की मृत्य हो गई।
अपने हाथों मरे गये ब्राहमण की क्रिया उस वीर श्रत्रिय ने करनी चाही। परन्तु पंडितों ने उसे क्रिया-कर्म में हिस्सा लेने से मना कर दिया। ब्राहमणों ने बताया कि तुम पर ब्रहम हत्या का दोष लग गया है। पहले प्रायश्चित कर इस पाप से मुक्ति पा लो, इसके बाद ही हम सभी ब्राह्मण तुम्हारे घर भोजन ग्रहण करेंगे।
इस विषय पर वीर श्रत्रिय ने ब्राह्मणों से पूछा कि इस महापाप से मुक्ति पाने के क्या उपाय है। सभी ब्राहमणों ने एक सुर में कहा कि श्रावण माह के कृष्ण पक्ष में कामिका एकादशी पड़ती हैं।
कामिका एकादशी व्रत को भक्तिभाव और श्रद्धापूर्वक करके भगवान श्रीहरि का पूजन कर ब्राहमणों को भोजन कराके दक्षिणा के साथ आशीर्वाद प्राप्त करने से इस पाप से मुक्ति मिलेगी।
कैसे करें व्रत
श्रावण माह में कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को कामिका एकादशी कहते है। इस बार यह एकादशी 24 जुलाई 2022, रविवार को मनाई जायेगी।
कामिका एकादशी की रात्रि को दीप जलाने और जागरण करने का फल का माहात्म्य भगवान चित्रगुप्त भी नहीं कह सकते। जो कामिका एकादशी की रात को भगवान विष्णु के मंदिर में दीपक जलाते हैं उनके पितर स्वर्गलोक में अमृतपान करते हैं। जो विष्णु भक्त घी या तेल का दीपक जलाते हैं, वे सौ करोड़ दीपकों से प्रकाशित होकर सूर्य लोक को जाते हैं।
ब्रह्माजी कहते हैं कि हे नारद! ब्रह्महत्या तथा भ्रूण हत्या आदि पापों को नष्ट करने वाली इस कामिका एकादशी का व्रत मनुष्यों को पूरै निष्ठापूर्वक के साथ करना चाहिए। कामिका एकादशी के व्रत का माहात्म्य श्रद्धा से सुनने और पढ़ने वाला मनुष्य सभी पापों से मुक्त होकर विष्णु लोक का आनंद लेते है।
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