खरमास खत्म ? 15 अप्रैल से बजने लगेगा शहनाईयां

15 अप्रैल से शुरू होगा लग्न, जो 8 जुलाई तक चलेगा

वैवाहिक लग्न के दिन कौन सा शुभ दिन है जानें विस्तार से

20 जुलाई से चतुर्मास शुरू हो जाएगा जो 14 नवंबर तक चलेगा। अर्थात देवशयनी एकादशी से शुरू हुआ चतुर्मास देवउठानी एकादशी तक चलेगा।

इस चार महीने के दौरान भगवान श्रीहरि क्षीर सागर में विश्राम करेंगे। इस 4 माह के दौरान कोई भी शुभ कार्य अर्थात विवाह, जनेऊ संस्कार, गृह निर्माण मुंडन, गृह प्रवेश सहित अन्य सभी तरह के शुभ कार्यों पर ब्रेक लग जायेगा।



15 अप्रैल से वैवाहिक लग्न का शुभ मुहूर्त एक बार फिर से शुरू हो जाएगा।

अब जानें विस्तार से विवाह का शुभ मुहूर्त

अप्रैल माह

15 अप्रैल 17, 19, 20, 21, 22, 23, 27, 28 । अर्थात अप्रैल माह में 9 दिन विवाह का शुभ लग्न है।

अब हम जानें अप्रैल महीना में वैसे वैवाहिक लग्न के वह खास दिन कौन-कौन हैं, जो खास पर्व त्यौहार के दिन पड़ रहे हैं।

 मसलन 19 अप्रैल को गणेश चौथ व्रत है। यह दिन खास है और इस दिन का लग्न भी खास है। भगवान गणेश शुभ का प्रतीक हैं। उसी प्रकार 27 अप्रैल को वरूथिनी एकादशी है।

 भगवान विष्णु का दिन है और 28 अप्रैल को तो प्रदोष व्रत है अर्थात 19 अप्रैल भगवान गणेश जी का दिन,  27 अप्रैल भगवान विष्णु का दिन और 28 अप्रैल भगवान शिव का दिन है। इन दिनों विवाह करना काफी फलदाई होगा।

मई माह

मई माह में सबसे ज्यादा विवाह का शुभ लग्न 19 दिन है। जानें हो विस्तार से। 2 मई 3, 4, 9, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18, 19, 20, 24, 25, 26 एवं 31 अर्थात 19 दिन मई माह में विवाह का शुभ लग्न है।

मई माह के विवाहित लग्न के दिन कौन से शुभ मुहूर्त और खास समय है। जानें विस्तार से। 2 मई चंद्र दर्शन इस दिन चंद्रमा का दर्शन काफी शुभ होता है। 3 मई अक्षय तृतीया है।

 इस दिन किया हुआ कार्य का कोई क्षय नहीं होता अर्थात अजर है। 4 मई को वैनायकी गणेश चतुर्थी व्रत है। 9 मई मातृ दिवस है। 10 मई सीता नवमी है। यह दिन भी काफी शुभ है।

 11 माई को कृतिका के सूर्य रात है। 13 का के साथ यह दिन भी काफी शुभ है 12 मई मोहिनी एकादशी है। 13 मई प्रदोष व्रत है। 16 मई को बुद्ध पुर्णिमा है। 19 मई गणेश चौथ व्रत है। 26 मई को अंचला एकादशी व्रत है। 21 मई चंद्र दर्शन दिवस है। विवाह के लिए ये दिन काफी शुभ है।

जून माह

 जून माह में 14 दिन वैवाहिक लगना है। 1 जून से शुरू हो 2, 3, 4, 5, 17, 18, 19, 20, 21, 23, 24, 25 एवं 26 जून को समाप्त होगा। इस तरह 14 दिन विवाह का शुभ लग्न है।

जून माह के वैवाहिक लग्न में 2 जून को रंभा तीज व्रत है साथ ही महाराणा प्रताप की जयंती भी है। यह दिन भी काफी शुभ है। 3 जून वैनायकी गणेश चतुर्थी व्रत भगवान गणेश का दिन है, जो काफी शुभ रहेगा। 

5 जून को श्रीस्कन्दषष्ठी व्रत के साथ  विश्व पर्यावरण दिवस भी है। 17 जून गणेश चतुर्थी व्रत है। यह दिन भी काफी शुभ है। 18 जून पिता दिवस के रूप में मनाया जाता है। 21 जून शीतला अष्टमी व्रत और योग दिवस है। 24 जून योगिनी एकादशी और 26 जून को प्रदोष व्रत है।

जुलाई माह

2 जुलाई, 3, 5, 6 एवं 8 अर्थात 5 दिन विवाह का शुभ लग्न है।

जुलाई माह में वैवाहिक लग्न के बीच आने वाले त्यौहार विशिष्ट दिवस की जानकारी इस प्रकार है। 3 जुलाई को वैनायकी गणेश चतुर्दशी व्रत है। 6 जुलाई को पूनर्वसु के सूर्य रात है। यह दिन विशेष स्थान रखता है।

20 जुलाई से चतुर्मास शुरू हो जाएगा जो 14 नवंबर तक चलेगा। अर्थात देवशयनी एकादशी से शुरू हुआ चतुर्मास देवउठानी एकादशी तक चलेगा।

इस दौरान भगवान श्रीहरि क्षीर सागर में विश्राम करेंगे। भगवान विष्णु घोर निद्रा में होने के कारण 4 माह तक शुभ कार्य पूरी तरह बंद रहेगा। मसलन विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, जनेऊ संस्कार, गृह निर्माण सहित अन्य शुभ कार्यों पर पूरी तरह ब्रेक  लगा रहेगा।


नवंबर माह

भगवान श्री हरि अपने शीत निद्रा से उठेंगे और उसके बाद शुभ कार्य शुरू हो जाएगा नवंबर माह में मात्र 3 दिन ही वैवाहिक लग्न है। 26 नवंबर, 27 एवं 28 नवंबर को है। इस प्रकार नवंबर माह में  3 दिन विवाह का शुभ लग्न है।

 27 नवंबर को वैनायकी गणेश चतुर्थी व्रत व्रत है। उसी प्रकार 28 नवंबर को द्वितीय नाग पंचमी सह श्रीराम विवाह उत्सव है। नवंबर माह के लग्न में ये दिन खास है। 28 नवंबर को श्रीराम विवाह उत्सव है। इस दिन का वैवाहिक कार्यक्रम काफी शुभ और सफल रहेगा।

दिसंबर माह

2 दिसंबर 3, 4, 7, 8, 9, 13, 14 एवं 15 अर्थात 9 दिन विवाह का शुभ लग्न है।

दिसंबर माह के वैवाहिक कार्यक्रम के दौरान नीचे लिखे दिन खास है। 4 दिसंबर मोक्षदा एकादशी, मौनी एकादशी सहित गीता जयंती है। 7 दिसंबर को व्रत की पूर्णिमा और श्री दत्तात्रेय जी का प्रकट उत्सव है। 8 दिसंबर को स्नान दान पूर्णिमा अन्तर्ग्रही यात्रा काशी का है। इसी दिन विवाह करना काफी शुभ रहेगा।


यह लेख विभिन्न पंचांगों और धार्मिक ग्रंथों से लिया गया है। मुहूर्त की गणना पंचांगों से किया गया है। यह लेख आपको कैसा लगा ई-मेल द्वारा हमें सूचित करें।


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