क्यों लोगों को व्रत रखने के बाद भी पूर्ण फल नहीं मिलता है। कहां रह जाती है हमारी कमियां।
इस पर हमें विचार करना चाहिए। जो फल प्राप्ति होना चाहिए वो नहीं हो पाता है क्यों।
हमारे वेद पुराणों में व्रत करने के बाद जैसा फल की बात कही गई है वह सब मिल नहीं पाता पर क्यों। आप ने कभी सोचा भी है। क्या हमारे धर्म शास्त्र और वेद पुराण गलत और झूठी है। नहीं इस तरह की बातें पूरी तरह हम गलत है।
क्या है सच्चाई। इस बात पर हमें गंभीरता से विचार करना होगा। व्रत करते हैं, परंतु जैसा फल मिलना चाहिए वैसा फल मिलता ही नहीं।
महिलाएं तीज भी करती है। इसके बाद भी पति की मृत्यु हो जाती है। मां अपने पुत्रों के दीर्घायु के लिए निर्जला जीउतिया व्रत रखती हैं। इसके बाद भी पुत्र का निधन हो जाता है ऐसा क्यों। आइए अब जानें विस्तार से ऐसा होता है क्यों।
व्रत करने के पहले लें संकल्प
किसी भी व्रत करने के पहले संकल्प लेने का विधान है। यह हमारे धर्म शास्त्रों में लिखा गया है। जो व्रत करना चाहते हैं। वैसे जातकों को एक दिन पहले पूरी तरह से शाकाहारी भोजन करते हुए सुबह उठकर स्नान आदि कर जिस भगवान का व्रत करना हम करना चाहते हैं। उन्होंने मन ही मन सुमिरन करते हुए संकल्प लेना चाहिए। संकल्प इस तरह से लें।
हे भगवान हम आप की आराधना और व्रत करने जा रहे हैं जो बिना कुछ खाए पिए कर रहा हूं। आप मुझे शक्ति दे व्रत को ठीक ढंग से पालन करते हुए मेरा मन में किसी के प्रति भेदभाव न रहे और हमेशा आप मेरे मन में विचरण करते रहे। जिससे हम आपका सुविधा पूर्वक सुमिरन करते रहे। हमारी वाणी से किसी को कष्ट नहीं पहुंचना चाहिए।
पूरे विधि वधान से करें पूजा
किसी भी त्योहार करने के दौरान पूजा करने के लिए एक तरह का नियम बनाया गया है। वेद और शास्त्र के अनुसार विधि पूर्वक पूजा करने पर ही फल की प्राप्ति होगी। आप पूजा करने गए हैं। सबसे पहले पूजा में लगने वाले तमाम सामग्रियों की खरीदना करने होंगे। इसके बाद जैसे-जैसे पूजा की विधि बताया गया है। वैसे ही उन सामानों को भगवान के चरणों में अर्पित करना होगा। शुद्धता के साथ मंत्र का उच्चारण करें। गणेश पूजा से लेकर अचमन तक हर तरह के विधि पूरे विधि विधान के अनुसार ही करें। और अधिक फल की चाहत रखते हैं तो पूजा के दौरान मन को शांत रखें ईश्वर के प्रति समर्पित रहे। चेष्टा करें कि मन कहीं भटके नहीं और पूरी तरह से भगवान के चरण में समर्पित रहे।
रात जागरण करना जरूरी
किसी भी पूजा करने का अपना एक विधान होता है उस विधान कर्मचारी की जांच करने पर संपूर्ण फल की प्राप्ति होती है व्रत करने के दौरान रात्रि जागरण करना है बहुत ही जरूरी होता है जागरण के दौरान भगवान का स्मरण करें और अभी कीर्तन ना हो तो मंत्रों का जाप करें परंतु याद रखें कि रात्रि जागरण व्रत के दौरान बहुत ही जरूरी है।
व्रत करने के लिए महिलाएं पति या पिता से ले आज्ञा
हमारे साथ में बताया गया है कि कोई भी व्रत करने के फायदे विवाहिता महिला अपने पति से आज्ञा जरूर दें अगर कुमारी महिलाएं व्रत करना चाहते हैं तो अपने पिता या माता से आज्ञा लेकर ही गलत करें बिना आज्ञा लिए व्रत करने से फल की प्राप्ति नहीं होगी।
व्रत में शुद्धता जरूरी
किसी भी व्रत करने के लिए शुद्धता बहुत जरूरी है। मन और शरीर दोनों शुद्ध होना चाहिए। शुद्धता के साथ ही साथ स्वच्छ और निर्मल वस्त्र धारण कर श पूजा करनी चाहिए। वेद या पुराने कहीं भी नहीं लिखा हुआ पूजा करने के लिए नया बस की जगह परंतु साफ सुथरा और खुला हुआ वस्त्र धारण करके ही पूजा करनी चाहिए।
पूजा के दौरान यथासंभव दान दें
पूजा के उपरांत यथासंभव दान देना चाहिए सबसे बड़ा दान अन्न दान होता है अनुदान से बढ़कर कोई भी पछताता नहीं होता है इसलिए अन्न दान वस्त्र दान जरूर करें। ब्लॉक दौड़ने के फायदे गाय अपना मन को जरूर खिलाएं और बड़े बुजुर्गों से आशीर्वाद ले।
व्रत करने के दौरान रहें मौन
व्रत करने के दौरान जितना संभव हो सके मौन रहना चाहिए। बिना मतलब की चर्चा में भाग न लें और मैं जवाब दें। मन ही मन भगवान का स्मरण करते रहना चाहिए। किसी को कटु वचन न बोले। झूठ तो कदापि ना बोले। मन ही मन अपने इष्ट देव का जाप करते रहना चाहिए।