बुद्ध विष्णु के 9 वें अवतार थे या नहीं ? जाने पुख्ता प्रमाणों से


पुराणों में बुद्ध जन्म के संबंध में मिलते हैं प्रमाण।
Bhagwan budh

आधुनिक इतिहासकार नहीं मानते बुद्ध को विष्णु अवतार।


अंगुली मार डाकू प्रसंग है बुद्ध अवतार का पुख्ता सबूत।


विष्णु पुराण, भागवत पुराण, गरुड़ पुराण, अग्नि पुराण, नारद पुराण, हरिवंश पुराण, लिंग पुराण और पद्म पुराण में विष्णु के 9 वें अवतार के रूप में बुद्ध का नाम आता है।


हम विचार करेंगे कि भगवान गौतम बुद्ध और बुद्ध दोनों एक ही है या अलग अलग ? एक का जन्म नेपाल में तो दूसरा का जन्म मगध प्रदेश में हुआ था। मगध देश में जन्मे बुद्ध का वर्णन पुराणों में मिलता है।

बुद्ध का मतलब होता है जागृत करना, सतर्क होना और जितेंद्र बनना।


जानें वेदों में क्या कहा गया है ?


                विष्णु पुराण


विष्णु पुराण में बुद्ध को माया मोह कहा गया है। माया मोह ने बौद्ध धर्म का स्थापना किया। विष्णु पुराण में पराशर ऋषि कहते हैं कि देवताओं ने राक्षसों के अत्याचार की बात विष्णु से करते हुए व उनसे उपाय मांगा।


 भगवान विष्णु ने अपने शरीर से मायामा को उत्पन्न किया और कहा कि यह माया-मोह दैत्यों को मोहित कर देगा।

 माया मोह ने दैत्यों से कहा कि तुम लोग अगर मोक्ष और अमरत्व की प्राप्ति करना चाहते हो तो  हिंसा और दुष्ट व्यवहार को त्याग कर बौद्ध को प्राप्त करो। 


 यह संपूर्ण जगत विज्ञान है। यह संसार अनाचार से भरा है। भ्रमजन्य पदार्थों की प्रतीति पर ही स्थित है। तथा रागादि दोषों से दूषित है। इस संसारी माया में जीव अत्यंत भटकता रहता है। इस प्रकार बुहयत (जानों) बुध्यध्ये (समझो) आदि शब्दों से बौद्ध धर्म का सोपान किए।


                      गरुड़ पुराण


गरुड़ पुराण में कहा गया है कि भगवान 21 वें  अवतार में कलयुग की संधि के अंत में देव द्रोहियों को मोहित करने के लिए कोकर देश में जिन पुत्र बुद्ध के नाम से अवतीर्ण होंगे। 


उसके बाद कलियुग की आठवीं संध्या में अधिकांश राजवर्ग के समाप्त होने पर वे ही श्रीहरि के रूप में प्रकट होकर पृथ्वी पर हो रहे अत्याचार को मर्दन करेंगे। उस अवतार को कल्कि अवतार कहा जाएगा।


                     अग्नि पुराण


अग्नि पुराण में अग्निदेव जी कहते हैं कि अब मैं बुद्ध अवतार का वर्णन करूंगा। पूर्व काल में देवताओं और असुरों में घोर संग्राम हुआ।


 उनमें देवतागणों को दैत्यों ने परास्त कर दिया। तब देवता लोगों ने त्राहि-त्राहि पुकारते हुए भगवान की शरण में गए। भगवान माया मोह रूप में आकर राजा शुद्धोधन के पुत्र हुए। उन्होंने दैत्यों को मोहित किया और उनसे वैदिक धर्म का परित्याग करा दिया। वे बुद्ध के अनुयाई दैत्य बौद्ध कराएं।


फिर उन्होंने दूसरे लोगों से वेद धर्म का त्याग करवाया है। इसके बाद माया-मोह ही आर्हत रूप में प्रकट होंगे। उसने दूसरे लोगों को भी आर्हत बनाया।


 इसके बाद कलयुग का अंत में भगवान कल्कि रूप में प्रकट होंगे। वे विष्णुयशा के पुत्र रूप में अवतीर्ण हो यज्ञवल्क्य को अपना पुरोहित बनाएंगे।


             श्रीमद् भागवत पुराण


भागवत पुराण में कहा गया है कि कलयुग आने पर मगज प्रदेश में देवताओं के द्वैषी दैत्यों को मोहित करने के लिए अजन पुत्र के रूप में आपका बुद्ध अवतार होगा।

 इसके बहुत बाद जब कलयुग का अंत समीप होगा अत्याचार और अनाचार बढ़ जाएगा तब जगत के रक्षक भगवान विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर कल्कि के रूप में अवतीर्ण होंगे।


भगवान बुद्ध अवतार का वर्णन नारद पुराण, हरिवंश पुराण, लिंग पुराण और पद्म पुराण में भी मिलता है।



आधुनिक इतिहास बुद्ध को नहीं मानतें विष्णु के नौवें अवतार


आधुनिक इतिहासकारों ने भगवान गौतम बुद्ध को विष्णु के नौवें अवतार नहीं मानते हैं। उनका कहना है कि पुराणों की रचना आधुनिक गणना के अनुसार 5,000 वर्ष पहले महर्षि वेदव्यास ने किया था। जबकि गौतम जन्म 2,500 वर्षों हुआ है।


वैसे पुराणों में मैं कहा गया है कि बुद्ध ने दैत्यों को हिंसा छोड़ छोड़कर प्रेम, दया और क्षमा के मार्ग पर चलने को कहा था। इसका प्रमाण अंगुलिमाल डाकू है।


आधुनिक इतिहासकारों ने का कहना है कि पुराणों में गौतम बुद्ध को अजन के पुत्र के रूप में और मगध प्रदेश में जन्म स्थल बताया गया है जबकि गौतम बुद्ध के पिता का नाम शुद्धोधन और जन्म स्थल लुंबिनी नेपाल में हुआ था। 


विद्वानों का कहना है कि बुद्ध जन्म के 600 साल बाद जब ईसाई और इस्लाम धर्म का प्रभाव बढ़ने लगा तो हिंदू विचारक पुराणों का प्रमाण देकर बुद्ध को नारायण के 9 वें अवतार के रूप में प्रचलित करने लगे।


शंकराचार्य नहीं मानते हैं बुद्ध को विष्णु अवतार


शंकराचार्य श्रृंगेरी मठ सहित देश के अन्य तीन भागों में मठ का स्थापना कर हिंदू धर्म को संगठित करने का काम किए थे। 


शंकराचार्य गौतम बुद्ध को भगवान विष्णु के नौवें अवतार नहीं मानते थे। गौतम बुद्ध का जन्म स्थल को लेकर भी विवाद है। पुराणों में बुद्ध का जन्म स्थल की कीकट मगध प्रदेश और पिता का नाम अजन कहा गया है।



मैं तो ठहर गया, तुम कब ठहरोगे ?


गौतम बुद्ध से संबंधित एक घटना जो इस बात का प्रमाण देता है कि पुराणों में भगवान बुद्ध के संबंध में कही गई यह घटना एकदम सत्य है।


मगध प्रदेश के जंगल में खूंखार डाकू अंगुलिमाल रहता था। उस जंगल के रास्ते से आने जाने वाले मुसाफिरों को लूट लेता था और उसकी हत्या कर एक उंगली को काटकर माला बनाकर गले में पहन लेता था।


एक समय की बात है। गौतम बुद्ध जंगल के रास्ता से जाने का निश्चय किया। ग्रामीणों ने बताया इस जंगल में एक खूंखार डाकू अंगुलिमाल रहता है। वह आने जाने वाले को मार डालता है आप कृपा करके जंगल के रास्तें मत जाइए। 


भगवान बुद्ध ने कहा हमें जाने से कोई नहीं रोक सकता और उन्होंने जंगल की ओर चल पड़े। बीच जंगल में पहुंचने के बाद एक आवाज आई ठहर जा ? गौतम बुद्ध ने पीछे मुड़कर देखा तो अंगुलिमाल डाकू था। उन्होंने अंगुलिमाल डाकू को संबोधित करते हुए कहा मैं तो ठहर गया, तुम कब ठहरोंगे।


भगवान बुद्ध को देखते ही अंगुलिमाल उनके चरणों पर गिर पड़ा और बौद्ध धर्म को स्वीकार कर लिया।

यह लेख विभिन्न धार्मिक ग्रंथों और पुराणों पर आधारित है। भगवान बुद्ध के जन्म के संबंध में सभी पक्षों को सामान रूप से जगह दिया गया है। यह लेख आपको कैसा लगा। मेरे ईमेल पर जरूर भेजिएगा।

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने