- विवाह के मौके पर अनेक रस्में और विधियां होती हैं।
- प्रत्येक विधियों में कौन-कौन से पूजा सामग्रियों की जरूरत पड़ती है।
- विस्तार से सूची देखें। काशी पंचांग के अनुसार विवाह करने वाले लोगों को प्रत्येक विधियों में कौन-कौन से पूजा सामग्री लगती है।
- एक-एक सामानों की जानकारी हम दे रहे हैं।
रिंग शिरोमणि (छेंका)
रिंग शिरोमणि के मौके पर फल और मिठाइयों की टोकरी, दो अंगुठी, वर वधु के वस्त्र, दोनों पक्षों की महिलाओं, पुरुषों और बच्चों के वस्त्र।
अगर धार्मिक अनुष्ठान के अनुसार छेंका करना हैं, तो निम्नलिखित सामानों की जरूरत पड़ेगी।
पंडितजी, शंख, अरवा चावल का अक्षत, दूव, गाय का गोबर, गंगाजल, मधु, दूध, दही, फूल, आम पत्ते और लकड़ी, नारियल, सिंदूर, जल कलश, जनेऊ, पान पत्ता, इत्र, सुपारी, दीया, रूई, कपूर, घी, हवन सामग्री, पांच तरह के अनाज, पचमेवा और कलेवा।
तिलकोत्सव
तिलक में इस्तेमाल होने वाले सामानों की सूची इस प्रकार है।
चांदी और कांस्य के कटोरा, नारियल, गरूड़ा, पटमौरी, धान, गोटा हल्दी, लगन प्रत्रिका लिखने के लिए लाल स्याही का पेन, सफेद कागज, फल, मिठाई, केला के डंटी युक्त चार पत्ते, लाल कपड़ा।
इसके अलावा गणेश पूजा की सारे सामग्री मसलन अक्षत, दूव, गाय का गोबर, गंगाजल, मधु, दूध, दही, फूल, आम पत्ते और लकड़ी, नारियल, सिंदूर, जल कलश, जनेऊ, पान पत्ता, इत्र, सुपारी, दीया, रूई, कपूर, घी जरूरी चीजें हैं।
हवन सामग्री, पांच तरह के अनाज, पचमेवा और कलेवा। अगर हवन कराने हो तो सुखा नारियल, घी, पंचमेवा, चन्दन की लकड़ी, हवन की लकड़ी, कपूर, आम का लकड़ी, जौ, तिल और लाल कपड़ा की जरूरत पड़ेगी।
मटकोर
तिलक के बाद मटकोर आता है। मटकोर से ही विवाह की तैयारी और विधियां शुरू हो जाती है। इस दिन महिलाएं मट्टी लाने घर से बाहर जाती है। मटकोर में लगने वाले सामानों की सूची इस प्रकार से है।
दऊरा, नया कपड़ा, कुदाल, पीतल या तांबे के लोटे में जल, महिलाओं के बीच बांटने के लिए फल और मिठाई, भूमि पूजन का सामना मतलब सिंदूर, अक्षत, धूप, फूल, फल आदि।
हल्दी लेपन विधि
वर वधु की शरीर में हल्दी लगाने के लिए पीसा हुआ हल्दी, इत्र, सुगंधित तेल, बेसन, चंदन का पाउडर, आंखों में लगाने के लिए काजल।
मंड़प छाने का विधान
मंडप बनाने के लिए हर बांस पत्ता सहित, हल और जुआठ, बांस के छोटे-छोटे टुकड़े, पुआल, मड़वा में स्थापित करने के लिए हाथी, अखंड दीप जलाने के लिए चार मुंह वाला दीया, नौ ग्रह की पूजा करने के लिए मिट्टी से बनी वस्तु, मड़वा को बांधने के लिए रस्सी, खैर के पत्ते, मड़वा को सजाने के सामान, बांस में बांधने के लिए आम के पत्ते और दूभ।
सत्यनारयण भगवान पूजन
मड़वा छाने के बाद मड़वा के अंदर सत्यनारायण भगवान की पूजा होती है
गाय की गोबर, अरवा चावल का अक्षत, दूभ, गंगाजल, मधु, दूध, दही, फूल, आम पत्ता और लकड़ी, नारियल, सिंदूर, चंदन, अगरवत्ती, मिट्टी के बर्तन, लाल कपड़ा, केला पत्ता, नव ग्रह की लकड़ी पूजन के लिए, जल कलश, जनेऊ, पान पत्ता, इत्र, सुपारी, मिट्टी का दीपक, रूई, कपूर, घी, पांच तरह के अनाज और कलेवा।
देवी पूजन
देवी पूजन करने के लिए महिलाएं गाजे-बाजे के साथ देवी मंदिर जाती है। जहां माता कि सातों बहनों की पूजा होती है।
महिलाएं देवी मां से विवाह कुशलता पूर्वक संपन्न होने और वर-वधू के दीर्घायु की कामना करती है। पूजा सामग्री । मिट्टी के दीया, घी, दूध, दही, रूई, कपूर, माता की चुनरी, श्रृंगार के सामान, अक्षत, आम और पान के पत्ते, अगरबत्ती, फूल, फल मिठाइयां, दूल्हा दुल्हन के कपड़े, कपड़ा रखकर ले जाने के लिए टोकरी।
इमली घोटाने की विधि
इमली घटाने की विधि भाई और बहन की पवित्र रिश्ते को दर्शाता है। इसमें भाई अपने सामर्थ्य के अनुसार आभूषण, कपड़ा और पैसे बहन को देते हैं।
इस विधि को करने के लिए बड़ा सा दऊरा जिसमें बहन बैठती है। पीतल या तांबे के लोटे में जल, आम का पत्ता, अक्षत, हल्दी और सिंदूर की जरूरत पड़ती है।
लावा भुजने की विधि
लावा भुजने की विधि बहन और बहनोई करते हैं। इसमें एक मिट्टी के घड़े से बनी खपड़ी, बालु, धान, बहन और बहनोई को बैठने के लिए दो टोकरी और भुजने के सामान।
घी पूजन विधि
घी पूजन विधि को घीदाडी भी कहते हैं। अर्थात घी से भगवान की पूजन करना। इसमें बहन, भाई, भौजाई सहित वर वधु भी शामिल रहते हैं।
सभी मिलकर कुलदेवी, कोहबर में स्थापित भगवान गणेश, मड़वा में स्थापित भगवान गणेश की पूजा घी से करते हैं। घी रखने के लिए चांदी या पीतल की कटोरी, थाली, चम्मच, अक्षत, सिंदूर, कपूर, घी, जल रखने के लिए लोटा और आम का पल्लव की जरूरत पड़ती है।
बारात आगमन की बाद की विधि
नाऊ को पत्र लेकर जाना
बारात आगमन के समाचार मिलने के साथ ही नाऊ पत्र लेकर लड़की के पिता अर्थात समधी के पास जाता है। इस रस्म को पूरा करने के लिए कागज, कलम और तलवार की जरूरत पड़ती है।
द्वार पूजन
द्वार पूजन के लिए पीतल या कांस्य की थाली, अक्षत, रोली, फूल, चंदन, दीपक, कसैली, आम का पल्लव, जल भरा लोटा और कलेवा चाहिए।
धूआ पानी और अज्ञा (अंगिया) मांगना
बरात आगमन के उपरांत द्वार पूजा होने के बाद जब बाराती जलमासा में लौट जाते हैं। इसके बाद वधू पक्ष वाले ढोल नगाड़े के साथ बाराती जहां ठहरे हैं वहां जाते हैं और धुआ पानी और अंगिया का विधि संपन्न करते हैं। इसमें लगने वाले सामानों में दो मिट्टी के घड़े, अक्षत, दूभ, रोली, फूल, आम का पल्लव, बारातियों के बीच बांटने के लिए ड्राई फूड, पान, एक पीतल के लोटा और रूमाल।
गुरहथी की विधि
गुरहथी की विधि के लिए अक्षत, आम और पान के पत्ते, दही, चन्दन, रोली, पीसा हल्दी, कलेवा, वधु को अर्पित करने के लिए आभूषण, वस्त्र, श्रृंगार के समान, सिन्होरा, फल, मिठाइयां, पांच पौनिया के कपड़े, मां, बहन, भाभी, भाई, दादी मां, दादाजी, चाचा, चाची सहित परिवार के अन्य सदस्यों का कपड़ा।
विवाह में इस्तेमाल होने वाले सामानों की सूची
विवाह में इस्तेमाल होने वाले सामानों में :-
- अखरा सिंदूर,
- सिन्होराा,
- सन,
- गठबंधन के लिए लड़की को दुपट्टा,
- लड़के के लिए गमछा,
- चांदी का सिक्का,
- समधी के बैठने के लिए चौकी,
- लड़के के पैर धोने के लिए थाली,
- रोली, हल्दी,
- अक्षत,
- फूल, फल, मिठाई,
- दूभ, कुश,
- मधु, दूध,
- गया का गोबर,
- दही, गुड़,
- सात तरह के अनाज,
- वर माला,
- आरती का सामना,
- लावा, कलेवा,
- लाल कपड़ा, शंख,
- हवन सामग्री,
- पटमौरी,
- सूखा नारियल,
- लड़के का विवाह के वस्त्र .... आदि।
दही बड़ेडी
दही बड़ेडी का कार्य भैसुर द्वारा संपन्न किया जाता है। दुल्हन जब ससुराल पहुंचती है तब भैसुर दाल मथनी के ऊपर दही और पान का पत्ता रखकर उसे घर के छत से सटाता है।