16 अप्रैल को नहाए खाए, 17 अप्रैल को खरना, 18 अप्रैल को संध्या का अर्ध्य और 19 अप्रैल को सुबह का अर्ध्य।
चार दिवसीय पवित्रता का महापर्व छठ इस बार 16 से शुरू होकर 19 अप्रैल तक चलेगा। 36 घंटे निर्जला व्रत रखकर सूर्य देव की आराधना करना तथा संतान के दीर्घायु और सुखी जीवन की कामना के लिए समर्पित छठ पूजा इस वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि अर्थात 18 अप्रैल से शुरू होगी।
षष्ठी तिथि 18 अप्रैल दिन सोमवार को है। छठ पूजा का प्रारंभ दो दिन पूर्व चतुर्थी तिथि को नहाय खाय से होता है, फिर पंचमी को खरना या रसियाव होता है। उसके बाद षष्ठी तिथि को छठ पूजा और सूर्य देव को शाम का अर्घ्य अर्पित किया जाता है।
इसके बाद अगले दिन सप्तमी को सूर्योदय के समय में उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का विधान हैं।अर्घ्य देने के उपरांत व्रतधारी 36 घंटे से निर्जला व्रत का पारण करके व्रत को पूरा करते हैं। छठ पर्व पवित्रता की महता को दर्शाता है।
नहाय-खाय से शुरू करें आस्था का महापर्व छठ
आस्था का महापर्व छठ पर्व का शुभारंभ चैत्र शुक्ल चतुर्थी तिथि से होती है। यह छठ पर्व का पहला दिन होता है, इस दिन को नहाय खाय कहते हैं। इस वर्ष नहाय-खाय 16 अप्रैल दिन शुक्रवार को है।
इस दिन सुबह उठकर नदी, तालाब, कुंआ या घर में स्थित नल से स्नान कर शरीर पर गंगाजल का छिड़काव करें। इसके बाद आस्था का महापर्व छठ व्रत करने का संकल्प लें। भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के बाद घर में बड़े बुजुर्गों का चरण स्पर्श करें। पूजा के उपरांत अरवा चावल का भात और लौकी से बने सब्जी का सेवन करें।
चंद्रमा के अस्त होते ही निर्जला व्रत शुरू
महाआस्था का पर्व छठ के दूसरे दिन खरना करने का विधान है। इस दिन छठ पूजा का दूसरा दिन होता है। यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को खरना पर्व मनाते हैं । इस वर्ष खरना 17 अप्रैल दिन शनिवार को है। खरना के दिन सुबह से ही व्रतधारी निर्जला रहकर छठी मैया का दिन भर श्रवन करती है।
शाम को स्नान कर नया वस्त्र पहन कर मिट्टी के बने चूल्हे से आम की लकड़ी जलाकर पीतल के बर्तन में गुड़ के खीर और रोटी बनाई जाती हैं। गोधूलि बेला में भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के बाद छठी मैया को पूजा अर्चना करने के उपरांत खीर और रोटी व्रतधारी खाती है।
व्रतधारियोंं को भोजन करने के उपरांत प्रसाद के रूप में खीर और रोटी लोगों के बीच वितरण किया जाता है। मान्यता है इस दिन खरना के प्रसाद मांग कर खाने से छठी मैया खुश होती है। आकाश में जब तक चंद्र उदय रहता है व्रत धारी पानी पी सकते हैं।
चंद्रमा अस्त हो जाने के बाद 24 घंटेे का निर्जला व्रत शुरू हो जाताा है।
तीसरा दिन सूर्य को सन्ध्या अर्घ्य देते हैं व्रतधारी
आस्था के महापर्व के तीसरे दिन रविवार को छठ पूजा का प्रमुख दिन होता है, जो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को पड़ता है। इस दिन ही छठ पूजा होती है। इस दिन शाम को सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
छठ की पूजा सामग्री दउरा और सूप में सजा कर व्रतधारी छठी मईय की गीत गाते हुए घाट की ओर प्रस्थान करती है। इसके बाद घाट पर पहुंचकर छठी मैया और सूर्य देव का पिंड बनाकर पवित्र जल में स्नान कर, पूजा अर्चना करने के उपरांत भगवान भास्कर को अर्ध देती हैैं।
अर्घ्य देने के दौरान घरवाले जो घाट पर स्नान कर चुके हैं वह भी भगवान भास्कर को जल में दूध मिलाकर अर्घ्य देते हैं। अंत में घाट पर से छठ गीत गाते हुए व्रतधारी घर के लिए प्रस्थान कर जाते हैं।
चौथे दिन उगते सूरज को अर्घ्य देकर महापर्व समाप्त
आस्था का महापर्व छठ के चौथे दिन उगते हुए भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर व्रतधारी पारन करते हैं।
बहुत से समाज सेवी संस्थाएं घाट पर शिविर लगाकर व्रतधारियों के बीच दूध, चाय, बिस्कुट, आम के दातुन और लकड़ी सहित फलों का वितरण करते हैं। उसी दौरान व्रतधारी भी लोगों के बीच प्रसाद का वितरण करते हैं।
जाने अर्घ्य देने का समय
चार दिवसीय महापर्व छठ के दूसरे दिन खड़ना है। 17 अप्रैल, दिन शनिवार, चैत्र माह, शुक्ल पक्ष, पंचमी तिथि के दिन सूर्य वृश्चिक राशि में और चंद्रमा मकर राशि में रहते हुए नक्षत्र पूर्वाषाढ़ रहेगा। इस दिन चंद्र अस्त का विशेष महत्व होता है व्रत धारी चंद्र अस्त के पहले पानी पी लेते हैं। इसके बाद 24 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है।
छठ व्रत के तीसरे दिन अर्थात 18 अप्रैल दिन रविवार, चैत्र मास, शुक्ल पक्ष, षष्ठी तिथि को नक्षत्र उत्तराषाढ़ा रहेगा। इस दिन चंद्रमा मकर राशि में और सूर्य वृश्चिक राशि में रहेंगे। दक्षिणायन दिशा में सूर्य स्थित रहेंगे।
इस दिन सूर्यास्त का विशेष महत्व है। सूर्य अस्त के पूर्व छठ व्रतधारी अर्घ्य दे देते हैं। सूर्यास्त शाम 5:22 पर हो जाएगा। व्रतधारियों को गोदली मुहूर्त अर्थात शाम 5:11 से लेकर 5:00 बज के 35 मिनट तक या चल मुहूर्त शाम 4:19 से लेकर शाम 5:40 तक रहेगा। इस दौरान अर्घ्य देना शुभ रहेगा।
छठ महापर्व के अंतिम दिन अर्थात 19 अप्रैल दिन सोमवार को पड़ रहा है। कार्तिक मास, शुक्ल पक्ष, सप्तमी तिथि को सूर्य वृश्चिक राशि में और चंद्रमा मकर राशि में रहेंगे। नक्षत्र श्रावण रहेगा। इस दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य छठ व्रतधारी देते हैं। सूर्योदय सुबह 6:00 बज के 45 मिनट पर होगा इस दौरान शुभ मुहूर्त रहेगा।
छठ पर्व में लगने वाली पूजा सामग्री
आस्था के महापर्व छठ में अनेक तरह के पूजा सामग्री लगती है। कच्चे बांस की दो टोकरी, बांस या पीतल के सूप, जल अर्पण करने के लिए पीतल या तांबा का लोटा, पान पत्ता, गोटा सुपारी, अरवा चावल, सिंदूर,
मिट्टी का दीया, शहद, गुड, दूध, धूप अगरबत्ती, शकरकंद, सुथनी, पत्ते सहित पांच गन्ने के पौधे, मूली, अदरक और हल्दी का हरा पौधा, केला, सेवन, संतरा, नाशपाती, शरीफा, पानी फल, आवला, पानी वाला नारियल, ठेकुआ, नया वस्त्र, गाजर, बड़ा नींबू, कपूर, आम का सूखा लकड़ी और दातुन प्रमुख हैं।