"Papmochani Ekadashi 2027 पापमोचनी एकादशी: पूर्ण व्रत कथा, पूजा विधि, मुहूर्त और महत्व"

"पापमोचनी एकादशी के संबंध में जानिए व्रत कथा, पूजा विधि, खाने-पीने के नियम, शुभ मुहूर्त और इसका वैज्ञानिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक महत्व और एकादशी उपवास नियम"

Picture of Lord Vishnu on Papamochani Ekadashi 2027

"02 अप्रैल 2027 दिन शुक्रवार चैत्र मास, कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचनी एकादशी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु के सांवले रूप की पूजा की जाती है"।

"पापमोचनी एकादशी 2027 शुभ मुहूर्त", 

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🌅 2027 में पापमोचनी एकादशी के शुभ मुहूर्त 

एकादशी तिथि प्रारंभ: 01 अप्रैल 2027, गुरुवार – रात 12:45 बजे एकादशी और तिथि समाप्त: 02 अप्रैल 2027, दिन शुक्रवार को रात 02:51 बजे 

पारण 

(उपवास खोलने का समय): 03 अप्रैल 2027, शनिवार – सुबह 07:10 बजे से 08:45 बजे के बीच रहेगा।

चारों पहर पूजा करने का शुभ मुहूर्त 

पंचांग के अनुसार अभिजीत मुहूर्त दिन के 11:24 बजे से लेकर 12:14 बजे तक रहेगा। इस प्रकार विजय मुहूर्त 01:53 बजे से लेकर 02:43 बजे तक, गोधूलि मुहूर्त शाम 06:00 बजे से लेकर 06:23 बजे तक निशिता मुहूर्त रात 11:25 बजे से लेकर 12:12 बजे तक और ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:04 बजे से लेकर 04:51 बजे तक रहेगा। 


चौघड़िया मुहूर्त के अनुसार सुबह 05:37 बजे से लेकर 07:10 बजे तक, चर मुहूर्त, 07:10 बजे से लेकर 08:43 बजे तक, लाभ और 08:43 बजे से लेकर 10:16 बजे तक अमृत मुहूर्त रहेगा। उसी प्रकार दोपहर 11:49 बजे से लेकर 01:22 बजे तक शुभ मुहूर्त, संध्या मुहूर्त शाम 04:28 बजे से लेकर 06:01 बजे तक चर मुहूर्त मध्य रात्रि को 11:59 बजे से लेकर 10 1:16 बजे तक शुभ मुहूर्त रहेगा। उसी प्रकार 03 अप्रैल को पारण करने का शुभ मुहूर्त 07:00 बजे से लेकर 08:45 बजे तक रहेगा। 

अशुभ मुहूर्त 

राहु काल मुहूर्त सुबह 10:16 बजे तक से लेकर 11:49 बजे तक गुलिक काल सुबह 07:10 बजे से लेकर 08:43 बजे तक और यामगण्ड काल 02:55 बजे से लेकर 04:28 बजे तक रहेगा।

पापमोचनी एकादशी कि पूजा सामग्री की सूची

*01.भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र

*02.गंगाजल 

*03.तांबे का पात्र, 

*04.लोटा और जल कलश

*05.दूध, दही, घी, शहद (पंचामृत के लिए)

*06.पीले वस्त्र, 

*07.चावल, 

*08.जनेऊ

*09.फूल (खासकर पीले), 

*10.पुष्पमाला

*11.तुलसी दल

*12.सुपारी, 

*13.लौंग, 

*14.इलायची

*15.अक्षत (चावल)

*16.लाल चंदन, 

*17.अष्टगंध

*18.दीपक, 

*19.घी, 

*20.धूप

*21.तिल, 

*22.जौ

*23.नारियल

*24.मौसमी फल (खासकर केले)

*25.मिठाई (पीली मिठाई हो तो विशेष शुभ)

*26.गेहूं के आटे की पंजीरी 

*27.सूखे मेवा

*28.पान के पत्ते

*29.आम के पत्ते (कलश सजावट के लिए

*30.पूजा के लिए हवन सामग्री

*31.दक्षिणा (दान हेतु पैसों के रूप में)

*32.प्रसाद (फल और मखाने/चिरौंजी की खीर भी आराध्य)

*33.नए या साफ कपड़े (पूजा हेतु) एक

इन सभी सामग्रियों को ध्यानपूर्वक एकत्र कर के शुद्धता और श्रद्धा से भगवान विष्णु की पूजा करें, जिससे व्रत का संपूर्ण पुण्यफल प्राप्त हो सके��

"पौराणिक कथा विस्तार से" 

प्राचीन काल में देवर्षि नारद एक बार जगत पिता ब्रह्मा जी के पास गए और उन्होंने पूछा—“हे पिताश्री! चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का क्या नाम है, इसका महात्म्य क्या है और इसकी पूजा कैसे करनी चाहिए?”

ब्रह्माजी बोले—“हे पुत्र! यह एकादशी ‘पापमोचनी एकादशी’ कहलाती है। इस व्रत को करने से प्राणी के सब पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष प्राप्त होता है। इसकी कथा अत्यंत अद्भुत और पुण्य दायक है।

”चित्ररथ नामक एक सुंदर और पवित्र वन था, जहां देवगण, ऋषि, गंधर्व और अप्सराएं विहार किया करते थे। उस वन में च्यवन ऋषि के पुत्र मेधावी ऋषि तपस्या कर रहे थे। वे ब्रह्मचर्य और संयम से युक्त महान तपस्वी थे। 

एक दिन कामदेव ने अनंग दासी अप्सरा मंजू घोषा को आदेश दिया कि वह मेधावी ऋषि का तप भंग करे।मंजू घोषा अपनी मधुर वाणी, गान और नृत्य से मेधावी ऋषि को मोहित करने में सफल हुई। 

दोनों प्रेम में मग्न होकर 57 वर्षों तक रति क्रीड़ा में लीन रहे, परंतु उन्हें इसका ज्ञान भी न रहा। एक दिन ऋषि को ज्ञान प्राप्त हुआ और उन्होंने देखा कि उनका तप भंग हो गया है। क्रोध में उन्होंने मंजूघोषा को श्राप दिया कि “तू पिचाशनी हो जा!”भयभीत मंजूघोषा ने क्षमा याचना करते हुए मुक्ति का उपाय पूछा। 

ऋषि ने कहा—“चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की पापमोचनी एकादशी का व्रत कर, इससे तुझे अपने पापों से मुक्ति मिलेगी।”

मंजूघोषा ने एकादशी व्रत किया और उसके प्रभाव से वह पुनः स्वर्ग लोक चली गई।बाद में जब मेधावी मुनि अपने पिता च्यवन ऋषि के आश्रम पहुंचे, तो पिता ने कहा—“हे पुत्र! तूने श्राप देकर पाप किया है। इसलिए तुझे भी पापमोचनी एकादशी व्रत करके उस पाप से मुक्त होना होगा।”

"इस व्रत के प्रभाव से मेधावी मुनि भी निष्पाप हो गए"

ब्रह्माजी ने अंत में कहा—“हे नारद! इस पवित्र एकादशी का व्रत कोई भी करे या इसकी कथा सुन ले, तो वह पापों से मुक्त होकर विष्णु के परम लोक में जाता है।”

🪔 "पापमोचनी एकादशी की पूजा विधि" (Step by Step)

एक दिन पूर्व (दशमी तिथि) को केवल एक बार शुद्ध सात्त्विक भोजन करें।एकादशी की सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लें – "मैं विष्णु भगवान की कृपा से सभी पापों से मुक्ति पाने हेतु यह व्रत करूंगा।

"व्रत के दिन प्रातः जल, दूध एवं पंचामृत से भगवान विष्णु का अभिषेक करें।पीले वस्त्र, तुलसी दल, चावल, फूल, दीपक एवं धूप अर्पित करें।विष्णु सहस्त्रनाम या विष्णु चालीसा का पाठ करें।

पूरे दिन उपवास रखें, केवल फल और जल ग्रहण करें।रात्रि में जागरण करें और हरि नाम का कीर्तन करें।

द्वादशी के दिन भगवान विष्णु की पुनः पूजा करके ब्राह्मणों को दान देकर व्रत का पारण करें।

🍇 "क्या करें और क्या न करें और क्या न करें":

व्रत के दौरान सत्य वचन बोलें और किसी का अपमान न करें।

दिन भर मन, वचन और कर्म से विष्णु भगवान का स्मरण करें।

गरीबों और ब्राह्मणों को दान दें। तुलसी पत्र और गंगाजल का प्रयोग करें।

"न करें:"अनाज, चना, चावल, प्याज, लहसुन, मांसाहार, शराब का सेवन न करें। क्रोध, झूठ, चुगली और अपशब्दों से बचें।

विष्णु भगवान की मूर्ति को बिना स्नान किए स्पर्श न करें।🥗 

"क्या खाएं और क्या न खाएं"

खाएं:फल, मेवे, दूध, नारियल जल, साबूदाना खिचड़ी, सिंघाड़े का आटा, राजगिरा लड्डू।

खाएं:गेहूं, चावल, मांसाहार, लहसुन, प्याज, मसालेदार भोजन।

🌺 "पापमोचनी एकादशी का वैज्ञानिक, सामाजिक और आध्यात्मिक महत्व"

वैज्ञानिक दृष्टि से: उपवास पाचन तंत्र को विश्राम देता है, शरीर से विषैले तत्व निकालता है और मानसिक स्थिरता बढ़ाता है।

सामाजिक दृष्टि से: यह समाज में संयम, दान और करुणा की भावना सिखाता है।

आध्यात्मिक दृष्टि से: यह मनुष्य को पापों से दूर करके आत्मशुद्धि और मोक्ष की ओर ले जाता है।🧭 किस भगवान की पूजा करनी चाहिए। पापमोचनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के नीलमेघ श्याम रूप की पूजा करनी चाहिए। यह रूप क्षमा, करुणा और मोक्ष का प्रतीक है। उनके साथ माता लक्ष्मी की पूजा से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।

🌟 "पापमोचनी एकादशी से जुड़ी कुछ अद्भुत बातें"

इस दिन केवल कथा सुनने मात्र से भी पाप नष्ट हो जाते हैं। यह वर्ष की सबसे "मोक्षदायिनी एकादशी" मानी गई है।

इस एकादशी के प्रभाव से भूत-प्रेत बाधा भी दूर होती है।जो व्यक्ति इस दिन तुलसी का पौधा जल से सींचता है, उसे दस यज्ञों का फल प्राप्त होता है।

"पापमोचनी एकादशी से जुड़े सामान्य प्रश्न"

प्रश्न 1: पापमोचनी एकादशी 2027 में कब है?

उत्तर: शुक्रवार, 2 अप्रैल 2027 को।

प्रश्न 02: इस दिन किस भगवान की पूजा करनी चाहिए?

उत्तर: भगवान श्रीहरि विष्णु की।

प्रश्न 3: क्या फलाहार किया जा सकता है?

उत्तर: हां, फल, दूध, मेवे और साबूदाना जैसे सात्त्विक पदार्थ ले सकते हैं।

प्रश्न 04: क्या इस दिन रात्रि में सो सकते हैं?

उत्तर: पापमोचनी एकादशी की रात जागरण करना अत्यंत शुभ माना गया है।

प्रश्न 5: इस व्रत से क्या फल प्राप्त होता है?

उत्तर: सभी प्रकार के पापों से मुक्ति और विष्णु लोक की प्राप्ति।⚖️ 

"डिस्क्लेमर" 

पापमोचनी एकादशी से संबंधित यह लेख पूर्णत: सनातन धर्म की पौराणिक मान्यताओं, शास्त्रों और ज्योतिषीय गणना पर आधारित है। इस लेख का उद्देश्य भक्तों को इस पवित्र व्रत, पूजा विधि और धार्मिक परंपरा की सही जानकारी देना है।

कथा, तिथि और शुभ मुहूर्त का विवरण पंचांग, धर्मशास्त्रों, विद्वान ब्राह्मणों तथा जनमानस की मान्यता के अनुसार संकलित किया गया है।

यह लेख किसी अंधविश्वास को बढ़ावा देने के लिए नहीं, बल्कि आध्यात्मिक जागरूकता के विस्तार के लिए प्रस्तुत किया गया है।धर्म में आस्था रखना व्यक्तिगत विषय है; व्रत-पूजन करते समय सदैव अपने गुरू, परिवार के वरिष्ठजनों या किसी योग्य ब्राह्मण से परामर्श अवश्य लें।


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