"श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत के नियम, पूजा विधि और भारत व विदेश के प्रसिद्ध कृष्ण मंदिरों की पूरी जानकारी। जानें क्या करें और क्या न करें। साथ में 10 आसान उपाय जो आपके जीवन को बदल देगा">
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श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत नियम और विश्व प्रसिद्ध मंदिर
** जन्माष्टमी व्रत के नियम – क्या करें और क्या न करें
** भारत के प्रसिद्ध श्रीकृष्ण मंदिर
** विदेशों में स्थित श्रीकृष्ण मंदिर
** जन्माष्टमी व्रत की पूजा विधि
** इस्कॉन मंदिरों की विशेषता
जन्माष्टमी व्रत नियम"
द्वारकाधीश मंदिर"
बांके बिहारी मंदिर वृंदावन"
ISKCON मंदिर कहाँ है"
जन्माष्टमी पर क्या खाएं" `
जन्माष्टमी की कथा पढ़ें"
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**"जानिए श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत के नियम, पूजा विधि और भारत व विदेश के प्रसिद्ध कृष्ण मंदिरों के बारे में। इस्कॉन, द्वारकाधीश, बांके बिहारी और अन्य मंदिरों की विस्तृत जानकारी।"**
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भगवान श्रीकृष्ण जी का जन्म भाद्रपद (भादो) माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन निशा काल अर्थात मध्य रात्रि को रोहिणी नक्षत्र में हुई थी।
सनातनी और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के आठवें मुहूर्त में मध्य रात्रि के शून्यकाल में रोहणी नक्षत्र में वृषभ लग्न के समावेश में भगवान लड्डू गोपाल का जन्म हुआ था। अर्थात अष्टमी तिथि के आठवें मुहूर्त में रोहणी नक्षत्र में ही जन्माष्टमी मनाए जानें चाहिए।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म द्वापर युग के अष्टमी तिथि के दिन रोहिणी नक्षत्र में हुआ था।
और उसी दिन से प्रत्येक वर्ष भगवान श्रीकृष्ण की जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की तिथि
सनातनी पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का शुभारंभ 06 सितंबर 2023, दिन बुधवार को दोपहर 03 बजकर 37 मिनट से शुरू होगा और इस तिथि का समापन 07 सितंबर, दिन गुरुवार को शाम 04 बजकर 14 मिनट पर होगा।
06 सितंबर को सुबह 09:20 बजे तक कृतिका नक्षत्र रहेगा।
इसके बाद रोहिणी नक्षत्र का शुभारंभ हो जाएगा, जो दिन भर और रात भर रहते हुए दूसरे दिन अर्थात 07 सितंबर दिन गुरुवार को सुबह के 10:25 बजे समाप्त हो जायेगा। इसके बाद मृगशिरा नक्षत्र का आगमन होगा।
06 सितंबर को मध्य रात्रि रोहिणी नक्षत्र का समावेश हो रहा है और भगवान श्री कृष्ण का जन्म भी रोहिणी नक्षत्र में ही हुआ था।
इस तरह श्रीकृष्ण जन्मोत्सव 06 सितंबर को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान श्री कृष्ण का 5250 वां जन्मोत्सव मनेगा।
30 वर्षों के बाद श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर बन रहा सुखद और अद्भुत संयोग। अब हम आपको बताते हैं कि गृहस्थ आश्रम और वैष्णवी लोग कब मनाएंगे श्रीकृष्ण जन्मोत्सव।
इस वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर काफी अच्छा संयोग बन रहा है। ऐसी स्थिति में भगवान लड्डू गोपाल की विधिवत पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति श्रद्धालुओं को होगी।
धर्म शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। इस साल अष्टमी तिथि दो दिन पड़ने के कारण लोगों को तिथि को लेकर काफी असमंजस है। सनातनी पंचांग के अनुसार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन अद्भुत योग लग रहा है।
कैसे करें जन्माष्टमी व्रत का शुभारंभ
व्रतधारी सुबह गंगा, नदी या तालाब मैं स्नान कर जन्माष्टमी व्रत रखने का प्रण करें। जिस जातक के नजदीक गंगा नदी या तालाब ना हो वह अपने घर में गंगाजल मिलाकर स्नान कर भगवान कृष्ण के बाल रूप का विधि विधान से पूजा अर्चना कर शाकाहारी भोजन ग्रहण करें।
दूसरे दिन निर्जला व्रत रखकर मध्य रात्रि को मंदिर या स्वयं अपने घर में श्रीकृष्ण की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना करें। पूजा स्थल को रंगीन बल्ब और फूलों से सजाये।
भगवान श्रीकृष्ण का सिहासन सुंदर ढंग से सजा, उन्हें सुंदर वस्त्र और आभूषण से सुसज्जित करें। इसके बाद विधि विधान से पूजा अर्चना कर हवन करें । 07 सितंबर को सूर्योदय के बाद व्रत का समापन सबसे पहले स्नान कर पूजा पाठ करें। इसके बाद भोजन कर लोगों के बीच प्रसाद का वितरण जरूर करने चाहिए।
श्रीकृष्णा जन्माष्टमी की पूजा सामग्री
श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं को पूजा सामग्री बाजार से खरीदारी कर लेनी चाहिए। पूजा सामग्री के रूप में अगरबत्ती, कपूर, केसर, चंदन, फूल, अरवा चावल, हल्दी, रूई, रोली, सिंदूर, सुपारी, पान के पत्तें, गाय का गोबर, माला, गोटा धनिया, कुश, दूर्वा, मेवा, दूध, मौसमी फल, गंगाजल, शहद, शुद्ध घी, दही, मिठाई, सिहासन, आम का पत्ता, श्री कृष्ण की प्रतिमा, वस्त्र, जल कलश तांबा या मिट्टी का, दीपक, माखन, नारियल, खीरा और मिश्री आदि वस्तुओं से भगवान श्री कृष्ण की विधि विधान से और वैदिक मंत्रों के बीच पूजा अर्चना करनी चाहिए।
जन्माष्टमी पर कैसे करें श्रीहरि श्रीकृष्ण की पूजा
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप की पूजा पूरे विधि विधान से दही, मधु, दूध, घी और गुड़ से स्नान कराएं। इसके बाद भगवान की प्रतिमा को शुद्ध गंगाजल से एक बार पुनः स्नान कराएं और उन्हें वस्त्र, आभूषण और सुगंधित पुष्प से बने माला धारण कराएं।
इसके बाद भगवान लड्डू गोपाल को चंदन का तिलक लगाने के बाद विभिन्न प्रकार के पुआ पकवान और मिष्ठान का भोग लगाएं। श्रीकृष्ण के भोग में तुलसी दल अवश्य चढ़ाने चाहिए। इसके बाद मंत्रों का जाप और श्रीमद्भागवत पुराण का पाठ करने चाहिए।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर की जानें वाली पूजा में भगवान लड्डू गोपाल को बांसुरी, मोर का पंख और वैजयंती फूल की माला जरूर अर्पण करना चाहिए। पूजा के अंत में पूरी आस्था, श्रद्धा और विश्वास के साथ भगवान लड्डू गोपाल की आरती करें।
सबसे अंत में भगवान लड्डू गोपाल की परिक्रमा करें और अगर संभव हो तो पूरी रात भगवान श्रीहरि का जागरण करें। धार्मिक और आध्यात्मिक मान्यता है कि जन्माष्टमी के अवसर पर गौ सेवा करने से भगवान श्रीहरि बहुत अधिक प्रसन्न होते हैं।
श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर करें ये 10 उपाय, चमक जाएगा आपका भाग्य
1.भगवान श्रीकृष्ण की लड्डू गोपाल प्रतिमा को स्वच्छ और सुंदर आसन पर स्थापित करनी चाहिए। लाल, पीले और केसरिया रंग का कपड़ों को रत्नों से सजाकर उस आसन पर बिछाना चाहिए।
2.पाघ अर्थात पैर या चरण गंगाजल को शुद्ध जल में मिलाकर धोना चाहिए। जल में फूलों की पंखुड़ियां सुगंधित करने के लिए डालनी चाहिए।
3.पंचामृत का निर्माण शहद, घी, दही, दूध, गुड़ और तुलसी पत्ता को मिलाकर तैयार करनी चाहिए। फिर शुद्ध बर्तन में पंचामृत को रखकर भगवान श्रीकृष्ण की बाल रूप को भोग लगाने चाहिए। इस विधि को अनुलेपन करना कहा जाता है।
4.पूजा में उपयोग होने वाले दूर्वा, कुमकुम, अरवा चावल, अबीर, अगरू, सुगंधित फूलों और गंगा जल को मिलाकर भगवान श्रीकृष्ण को पूजा करनी चाहिए। इस विधि को भी अनुलेपन करना कहते हैं।
5.भगवान श्री कृष्ण को आचमनीय अर्थात शुद्धिकरण करने के लिए शुद्ध जल जिसमें गंगाजल मिला होना चाहिए। साथ ही सुगंधित इत्र और फूलों की पंखुड़ियां डालकर करनी चाहिए।
6.भगवान कृष्ण के स्नान के लिए प्रयोग में आने वाले पदार्थों या द्रव्यों जैसे शुद्ध जल, दूध, इत्र या अन्य सुगंधित पदार्थों को मिलाकर करना चाहिए। इसे शास्त्रीय भाषा में इस तरह के स्नान को स्नानीर कहा जाता है।
7.भगवान श्रीकृष्ण की पूजा में सुगंधित और ताजे फूलों का विशेष महत्व होता है। इसलिए शुद्ध और ताजे फूलों का ही प्रयोग पूजा में करनी चाहिए।
8.जन्माष्टमी की पूजा के लिए बनाए जा रहे भोग में मिश्री, ताजी मिठाईयां, ताजे और मौसमी फल, लड्डू, खीर, तुलसी के पत्ते और धनिया से बने अंजीर को शामिल करना चाहिए।
9.जन्माष्टमी पूजा के दौरान धुप देने के लिए विभिन्न पेड़ों के अच्छे गोंद तथा अन्य सुगंधित पदार्थों से बनी अगरबत्ती का उपयोग करने चाहिए। साथ ही हवन के लिए चंदन की लकड़ी गुगुल और गाय के शुद्ध घी का प्रयोग करने चाहिए।
10.श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर दीपदान करने के लिए चांदी, तांबे, पीतल या मिट्टी के बने दीए में गाय के शुद्ध घी डालकर भगवान की आरती, हवन और विधि विधान से पूजा करनी चाहिए।
**श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रतधारियों के लिए क्या करें और क्या न करें**
श्री कृष्ण जन्माष्टमी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन व्रत रखने वाले भक्तों को कुछ नियमों का पालन करना चाहिए। आइए जानते हैं कि व्रतधारियों को **क्या करना चाहिए** और **क्या नहीं करना चाहिए**।
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### **क्या करें (व्रत के नियम)**
1. **सात्विक आहार ग्रहण करें:**
- व्रत के दिन केवल फल, दूध, मेवे, साबूदाना, सिंघाड़े का आटा, कुट्टू का आटा और सेंधा नमक का ही उपयोग करें।
- अनाज (गेहूं, चावल आदि) और प्याज-लहसुन का सेवन न करें।
2. **उपवास का समय:**
- जन्माष्टमी का व्रत निर्जला या फलाहारी रूप में रखा जा सकता है।
- अगर निर्जला व्रत संभव न हो, तो फल, दूध या सात्विक भोजन ले सकते हैं।
3. **पूजा-विधि:**
- घर में मंदिर को फूल, दीपक और धूप से सजाएं।
- भगवान कृष्ण की मूर्ति या चित्र को झूले में झुलाएं और "ओम नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करें।
- मध्यरात्रि (जन्म समय) में विशेष आरती व भोग लगाएं।
4. **भजन-कीर्तन व पाठ:**
- श्रीमद्भागवत गीता, विष्णु सहस्रनाम या "हरे कृष्ण" मंत्र का जाप करें।
- कृष्ण लीला से जुड़े भजन गाएं और कथा सुनें।
5. **दान-पुण्य:**
- गरीबों को अन्न, वस्त्र या दक्षिणा दान करें।
- गायों को हरा चारा या मीठा भोजन खिलाएं।
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### **क्या न करें (वर्जित कार्य)**
1. **तामसिक भोजन से बचें:**
- मांस, मछली, अंडा, शराब, प्याज, लहसुन आदि तामसिक पदार्थों का सेवन न करें।
2. **अनाज और नमक:**
- सामान्य नमक (सेंधा नमक छोड़कर) और अनाज (चावल, गेहूं) न खाएं।
3. **अनुचित व्यवहार:**
- झूठ, क्रोध, चोरी या किसी का अपमान न करें।
- व्रत के दिन बिना स्नान किए पूजा न करें।
4. **व्रत तोड़ने का समय:**
- व्रत अगले दिन पारण (समापन) करें। जन्माष्टमी के अगले दिन रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि समाप्त होने के बाद ही व्रत खोलें।
5. **अन्य सावधानियाँ:**
- दिन भर व्यर्थ की गपशप या निंदा से बचें।
- अधिक शारीरिक श्रम या उपवास में कमजोरी महसूस हो तो फलाहार लें।
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### **विशेष सुझाव:**
- जन्माष्टमी की रात्रि को **"निशिथ काल"** (मध्यरात्रि) में भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव मनाएं।
- व्रत के बाद **पारण** करते समय तुलसी दल या फलाहार से ही व्रत समाप्त करें।
इन नियमों का पालन करने से भक्तों को भगवान कृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त होती है। **"हरे कृष्ण, हरे राम"** का जाप करते हुए पावन पर्व को मनाएं। 🙏
भगवान श्री कृष्ण के मंदिर पूरे विश्व में विभिन्न देशों में स्थित हैं, जहाँ लाखों भक्त उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। यहाँ **भारत और विदेशों में प्रमुख श्रीकृष्ण मंदिरों** की सूची दी गई है:
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### **भारत में प्रसिद्ध श्रीकृष्ण मंदिर**
1. **श्री जगन्नाथ मंदिर, पुरी (ओडिशा)**
- भगवान कृष्ण, बलराम और सुभद्रा की विशाल मूर्तियाँ।
- रथयात्रा विश्वप्रसिद्ध है।
2. **द्वारकाधीश मंदिर, द्वारका (गुजरात)**
- कृष्ण का "द्वारकाधीश" रूप, चारधामों में से एक।
3. **श्रीकृष्ण जन्मभूमि, मथुरा (उत्तर प्रदेश)**
- कृष्ण का जन्मस्थान, कारागृह और केशव देव मंदिर।
4. **बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन (उत्तर प्रदेश)**
- कृष्ण का "बांके बिहारी" स्वरूप, होली और जन्माष्टमी पर विशेष आयोजन।
5. **इस्कॉन मंदिर (वृंदावन, दिल्ली, बेंगलुरु आदि)**
- अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भक्ति संघ (ISKCON) द्वारा संचालित, भव्य आरती और प्रसाद।
6. **गोविंद देव जी मंदिर, जयपुर (राजस्थान)**
- मूल रूप से वृंदावन से लाई गई कृष्ण की मूर्ति।
7. **उड़ुपी श्री कृष्ण मठ, कर्नाटक**
- दक्षिण भारत का प्रसिद्ध मंदिर, अन्नक्षत्र महोत्सव विख्यात।
8. **प्रेम मंदिर, वृंदावन**
- आधुनिक वास्तुकला, राधा-कृष्ण की मनमोहक मूर्तियाँ।
9. **निधिवन, वृंदावन**
- मान्यता है कि यहाँ रात को कृष्ण-राधा रासलीला करते हैं।
10. **श्रीनाथजी मंदिर, नाथद्वारा (राजस्थान)**
- कृष्ण का "श्रीनाथजी" (गोवर्धन धारी) रूप, पिछोला शैली की पेंटिंग्स।
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### **विदेशों में प्रमुख श्रीकृष्ण मंदिर**
1. **इस्कॉन मंदिर, मायापुर (बांग्लादेश)**
- चैतन्य महाप्रभु की जन्मस्थली, विशाल मंदिर परिसर।
2. **इस्कॉन मंदिर, न्यू यॉर्क (अमेरिका)**
- पश्चिम में कृष्ण भक्ति का केंद्र, भव्य रथयात्रा।
3. **श्री कृष्ण बालराम मंदिर, वृंदावन (फ्लोरिडा, अमेरिका)**
- इस्कॉन द्वारा संचालित, अमेरिका में हिंदू समुदाय का प्रमुख तीर्थ।
4. **भक्तिवेदांत मंनोर, लंदन (इंग्लैंड)**
- यूरोप का बड़ा कृष्ण मंदिर, गीता ज्ञान का केंद्र।
5. **श्री राधा कृष्ण मंदिर, सिडनी (ऑस्ट्रेलिया)**
- ऑस्ट्रेलिया में हिंदुओं की आस्था का प्रमुख स्थल।
6. **श्री कृष्ण मंदिर, काठमांडू (नेपाल)**
- नेपाल का प्राचीन कृष्ण मंदिर, पत्थर की नक्काशीदार मूर्तियाँ।
7. **श्री सुंदर हवेली, मॉरीशस**
- मॉरीशस में राधा-कृष्ण का खूबसूरत मंदिर।
8. **श्री कृष्ण मंदिर, बाली (इंडोनेशिया)**
- हिंदू बहुल क्षेत्र में कृष्ण की पूजा।
9. **इस्कॉन मंदिर, दुबई (यूएई)**
- मध्य पूर्व में हिंदुओं के लिए प्रमुख धार्मिक स्थल।
10. **श्री कृष्ण मंदिर, त्रिनिदाद और टोबैगो**
- कैरिबियन देशों में कृष्ण भक्ति का केंद्र।
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### **विशेष तथ्य:**
- **इस्कॉन मंदिर** (अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भक्ति संघ) विश्व के 100+ देशों में फैला है।
- **द्वारका और मथुरा** को कृष्ण की लीलास्थली माना जाता है।
- **नाथद्वारा (श्रीनाथजी)** में "हवेली संगीत" की अनूठी परंपरा है।
ये मंदिर न सिर्फ आस्था के केंद्र हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति और वास्तुकला के अद्भुत उदाहरण भी हैं। 🌍🙏
श्रीकृष्ण की जन्म की कहानी संक्षेप में
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भादो माह कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को मथुरा के कारागार में हुआ था। श्रीकृष्ण के माता का नाम देवकी और पिता का नाम वासुदेव था। मामा कंस के कारागार में उनके माता-पिता क़ैद थे।
श्रीमद् भागवत कथा के अनुसार जब देवकी की शादी बासुदेव के साथ हुई थी, उस समय देवकी के भाई कंस अपनी बहन की विदाई करने स्वयं रथ चलाकर नगर के बाहर ले जा रहा था। उसी वक्त आकाशवाणी हुई।
हे कंस तुम जिस बहन की विदाई कर रहे हो उसी का आठवां पुत्र तुम्हारे मृत्यु का कारण बनेगा।
आकाशवाणी की बात सुनकर तत्काल कंस ने अपनी बहन और बहनोई को कारागार में डाल दिया।
कारावास के दौरान देवकी और वासुदेव का जो भी संतान हुए, उसे कंस ने हत्या कर डाली।
मां देवकी के गर्भ से आठवां पुत्र के रूप में श्रीकृष्ण का जन्म जब कारागार में हुआ उस समय पूरे कारागार में दिव्य प्रकाश फैल गया था।
स्वयं भगवान विष्णु अपने रूप में प्रकट हुए और बोले की मां मैं आपके घर बालक के रूप में आ रहा हूं। आप तत्काल मुझे नंद नगरी में यशोदा और नंद के यहां भेज दो, क्योंकि यशोदा जी को अभी-अभी पुत्री हुई है।
जिस समय भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ, उस समय भीषण बारिश हो रही थी। वासुदेव जी ने बालक श्रीकृष्ण को दउरा में लेटा कर अपने सर पर रखकर नंद गांव की ओर चल दिए।
उफनती यमुना को पार कर मध्य रात्रि में ही नंद के घर पहुंच कर श्रीकृष्ण को यशोदा के बगल में लेट दिए और उस समय जन्मी हुई पुत्री को लेकर कारागार लौट आए।
जन्माष्टमी करने से क्या मिलता है फल
भविष्य पुराण के अनुसार जन्माष्टमी व्रत के पुण्य से मनुष्य के सभी प्रकार की इच्छाएं पूर्ण होती है।
इसके अलावा माना जाता है कि जो एक बात भी इस व्रत को कर लेता है। वैसे प्राणी विष्णु लोक को प्राप्त करते हैं। अर्थात जीवन चक्र से मुक्ति पाकर मोक्ष की प्राप्ति करता है।
**✨ डिस्क्लेमर (Disclaimer) – पढ़ें, समझें, फिर आनंद लें! ✨**
नमस्ते, प्रिय पाठक! 🙏
यह ब्लॉग **श्री कृष्ण जन्माष्टमी और विश्वभर के मंदिरों** पर आधारित है, लेकिन कुछ बातें हमें आपके सामने स्पष्ट करनी हैं:
1. **"यहाँ कोई गारंटी नहीं!"**
- हमने सटीक जानकारी देने की पूरी कोशिश की है, लेकिन पूजा-विधियों या मंदिरों के नियम समय के साथ बदल सकते हैं। अधिकृत स्रोतों से पुष्टि ज़रूर करें।
2. **"हम न तो कोई पंडित हैं, न ही गूगल के अवतार!"**
- यह लेख सामान्य ज्ञान और शोध पर आधारित है, न कि किसी धार्मिक ग्रंथ का विकल्प। विशेषज्ञ से सलाह लेना हमेशा उत्तम रहता है।
3. **"व्रत रखें या न रखें, पर पेट भरके खाएँ!"**
- स्वास्थ्य संबंधी स्थितियों में व्रत न रखें। भगवान कृष्ण तो **"योगेश्वर"** हैं, वे आपके स्वास्थ्य को प्राथमिकता देंगे!
4. **"मंदिरों की फोटो देखकर मत उड़ जाना!"**
- कुछ मंदिरों के नाम/स्थानों में भिन्नता हो सकती है। यात्रा से पहले ऑफिशियल वेबसाइट चेक करें।
5. **"हमारा मकसद सिर्फ ज्ञान बाँटना है, बहस नहीं!"**
- धर्म और आस्था के विषय व्यक्तिगत होते हैं। अगर आपकी मान्यताएँ अलग हैं, तो हम उनका सम्मान करते हैं।
**🎯 हमारा संदेश:**
इस ब्लॉग का उद्देश्य आपको **जन्माष्टमी की शुभता और कृष्ण भक्ति से जुड़ी जानकारी** देना है। पढ़ते समय मन में **"हरे कृष्ण"** का जाप करते रहें, फिर चाहे आप व्रत रखें या मंदिर घूमने की योजना बना रहे हों!
📜 **"ज्ञान वही सार्थक, जो श्रद्धा और समझ के साथ लिया जाए।"**
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**🌺 धन्यवाद! आपका दिन कृष्णमय हो!
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