विवाह के समय वर और वधू के लिए क्या जानना है जरूरी पढ़ें विस्तार से

"क्या आपके घर या किसी रिश्तेदार के यहां वैवाहिक कार्यक्रम होने जा रहा है, तो यह लेख आपके लिए है। विवाह के सबसे जरूरी होता है मुहूर्त, नक्षत्र, दिन, करण, नाडी दोष, मंगला-मंगली व योग, जानें विस्तार से"।

"सनातन धर्म में मुहूर्त के अनुसार विवाह करना काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। यह प्रथा सदियों से चली आ रही है, जिसे आज भी पूरे देश के हर राज्यों में सनातनियों के वैवाहिक रीति-रिवाजों के बीच आज भी निभाया जा रहा है"।

ऐसा माना जाता है कि जो भी मांगलिक कार्य शुभ मुहूर्त के अनुसार किया जाता है। वैसे कार्यों में सफलता आवश्य मिलते हैं। और उक्त कार्य में किसी भी प्रकार की बाधा नहीं आती है, इसीलिए विवाह जैसे मांगलिक कार्य को करने के लिए शुभ मुहूर्त का चयन करना बेहद आवश्यक होता है। ताकि विवाहित जोड़ों को आने वाले भविष्य में किसी भी प्रकार की परेशानी या कष्ट का सामना ना करना पड़े। विवाह करने वाले को शुभ मुहूर्त जानना बेहद जरूरी है।
What is important for the bride and groom to know at the time of marriage?

"सनातन धर्म में 16 संस्कार विवाह सबसे महत्व"

हिंदू और सनातन धर्म में 16 तरह के संस्कार होते हैं। इन सभी 16 संस्कारों में विवाह संस्कार सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।

पौराणिक मान्यता है कि विवाह करने से व्यक्ति का दूसरा जन्म होता है, जो कि वर और वधू सहित दोनों के परिवारों का जीवन पूरी तरह बदल देता  है। सनातन धर्म में वैवाहिक कार्य और शुभ मुहूर्त की गणना करने के लिये सर्वप्रथम पंचांग की शुद्धि होती है।

"क्या है पंचांग शुद्धि" 

पंचांग शुद्धि न केवल विवाह के शुभ दिन का अनुमान लगाती है बल्कि विवाह के संस्कारों के लिये शुभ मुहूर्त भी उपलब्ध करवाती है। सनातनी कैलेण्डर पर आधारित सौर माह और चन्द्र माह वैवाहिक लग्न के सभी दिनों के लिये, नक्षत्र, योग और करण की शुद्धि कर विवाह के शुभ दिन और मुहूर्त उपलब्ध करवाता है।

इसी के साथ विवाह एक ऐसा बंधन होता है, जो दो जातकों (लोगों) को आपस में जोड़ता है। इसी के साथ दो परिवार आपस में मिलते हैं। और कई तरह नए रिश्ते भी बनते हैं। इसीलिए विवाह एक शुभ कार्य माना जाता है, जिसे शुभ मुहूर्त में करना अति आवश्यक होता है ताकि परिवार और विवाहित जोड़े अपने जीवन में खुश रह सकें।

"विवाह की कर रहें तैयारी, तो नाडी दोष का रखें ध्यान"

विवाह करने से पहले वर और वधू का कुंडली मिलान करना बेहद ही जरूरी होता है ताकि दोनों लोगों की कुंडली में बनने वाले योगों की गणना की जा सकें। कुंडली मिलान को गुण मिलान भी कहा जाता है। यह विवाह की ओर पहला कदम होता है। जब माता-पिता लड़की या लड़के की कुंडली मिलान करने का निर्णय लेते हैं ताकि सुनिश्चित कर सकें कि वर और वधू का गणना मेल खा रहा है या नहीं।

आपको बताना चाहता हूं कि कुंडली मिलान हजारों वर्षों से हिन्दुस्तान की सनातनी संस्कृति कि अभिन्न हिस्सा रहा है और अब भी जारी है।

कुण्डली में कुल मिलाकर 36 गुण होते हैं, जिन वैवाहिक जोड़े के अधिक गुण मेल खाते हैं वह अपने जीवन-साथी के साथ उतने ही अनुकूल और सहज होते हैं। इसी के साथ यह माना जाता है कि विवाह के सफल होने के लिए कम से कम 8 गुणों का मेल खाना बेहद जरूरी होता है।

और जितने अधिक गुण मेल खाते हैं, युगल जोड़ी उतने ही ज्यादा सुखदाई जीवन बिताते हैं। 

"विवाह के लिए शुभ नक्षत्र"

ज्योतिष शास्त्र में 27 तरह के नक्षत्रों होते है। नक्षत्रों की गणना करते समय अभिजीत नक्षत्र पर विचार नहीं किया जाता।

नीचे दिए गए 11 नक्षत्रों को विवाह के लिए काफी शुभ माना जाता है।

रोहिणी (चौथा नक्षत्र), मृगशीर्ष (पांचवां नक्षत्र), माघ (10 वां नक्षत्र), उत्तरा फाल्गुनी (12 वां नक्षत्र), हस्त (13वां नक्षत्र), स्वाति (15वां नक्षत्र), अनुराधा (17वां नक्षत्र), मूल (19वां नक्षत्र), उत्तरा आषाढ़ (21वां नक्षत्र), उत्तरा भाद्रपद (26वां नक्षत्र) और रेवती (27वां नक्षत्र) है।

"विवाह मुहुर्त के लिए शुभ तिथियां, नक्षत्र, योग, करण जानें विस्तार से"

आपको पता ही होगा कि विवाह काफी शुभ संस्कार माना जाता है, इसी लिए शुभ मुहूर्त के साथ-साथ शुभ तिथियां भी महत्वपूर्ण होती हैं। चलिए जानते है विवाह के लिए कौम-सा दिन, योग, तिथि, करण शुभ होते हैः

विवाह के समय करण का अपना अलग महत्व है। आपको बता दें कौलव करण, बव करण, तैतिला करण, गर, वणिज करण, बालव करण, कौलव करण, और  करण विवाह के लिए अति शुभ माने जाते हैं।

"शुभ और अशुभ मुहूर्त और तिथि पर पर रखें ध्यान"

वैवाहिक विधि-विधान के समय मुहूर्त का विशेष ध्यान दिया जाता है। आपको हम समझने के लिए बता दें शादी करने के लिए अभिजीत मुहूर्त और गोधूलि मुहुर्त सबसे शुभ माना जाता है।

तिथि के अनुसार द्वितीय, तृतीय, पंचमी, सप्तमी, एकादशी और त्रयोदशी तिथि विवाह के लिए काफी शुभ मानी जाती हैं। इन तिथियों में विवाह करना वर और वधू के लिए शुभ होता है।

"विवाह में नक्षत्र प्रमुख कारक"

नक्षत्र देखकर विवाह के दिनों का निर्धारण किया जाता है। रोहिणी नक्षत्र ( चौथा नक्षत्र), मृगशिरा नक्षत्र ( पांचवा नक्षत्र), उत्तराषाढ़ नक्षत्र (इक्कीसवां नक्षत्र), उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र (छब्बीसवां नक्षत्र) और रेवती नक्षत्र (सत्ताईसवाँ नक्षत्र), मघा नक्षत्र (दसवां नक्षत्र), उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र (बारहवां नक्षत्र), हस्त नक्षत्र (तेरहवां नक्षत्र), स्वाति नक्षत्र (पंद्रहवां नक्षत्र), अनुराधा नक्षत्र (सत्रहवां नक्षत्र), मूल नक्षत्र (उन्नीसवां नक्षत्र)।

"किस दिन करें वैवाहिक कार्य"

वैवाहिक कार्यक्रम शुभ मुहूर्त और दिन में करने चाहिए। सोमवार, बुधवार, गुरुवार, और शुक्रवार इन चार दिनों को विवाह के लिए काफी अनुकूल दिन माना जाता है। जबकि रविवार, शनिवार और मंगलवार के विवाह करना शुभ नही माना जाता है। यह दिन विवाह समारोह के लिए उत्तम नहीं होता है।

"विवाह किस योग में होगा, जानें संपूर्ण जानकारी"

वैवाहिक कार्यक्रम में योग का प्रमुख महत्व रहता है। इसलिए विवाह के लिए प्रीति योग, सौभाग्य योग, हर्षण योग अति उत्तम होते है। यह योग वर और वधू के लिए काफी लाभप्रद होते है।

"डिसक्लेमर"
इस लेख में लिखित किसी भी जानकारी, सामग्री, गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी धार्मिक परिवेश में किया जा सकता है। विभिन्न तरह के माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, मान्यताओं, धर्मग्रंथों से संग्रहित करके ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज धार्मिक सूचना पहुंचाना है। इसके उपयोगकर्ता इसे महज धार्मिक सूचना समझकर ही लेना चाहिए। इसके अलावा, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं पढ़ने वाले की ही रहेगी।

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