Saphala Ekadashi 2027: सफला एकादशी व्रत कथा, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और अचूक टोटके

"2027 में सफला एकादशी 23 दिसंबर, गुरुवार को है। जानिए सफला एकादशी व्रत की पौराणिक पौराणिक कथा, अच्युत स्वरूप की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, व्रत के नियम और जीवन में सफलता दिलाने वाले अचूक टोटके"

On Saphala Ekadashi, Lord Vishnu is worshipped in his Achyuta form.

"पौष मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली सफला एकादशी नाम के अनुरूप ही, सभी कार्यों में सफलता दिलाने वाली मानी जाती है। यह वर्ष की अंतिम एकादशी में से एक है और इसका व्रत हजारों अश्वमेध यज्ञों के फल के बराबर पुण्य प्रदान करता है। अगर आप जीवन में बार-बार असफलता का सामना कर रहे हैं, या किसी बड़े कार्य में सिद्धि चाहते हैं, तो भगवान अच्युत (श्री हरि विष्णु) को समर्पित यह व्रत आपके लिए वरदान सिद्ध हो सकता है"

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📊 *सफला एकादशी व्रत कब है 2027

*सफला एकादशी कथा और पूजा विधि

*सफला एकादशी के टोटके

*एकादशी व्रत में क्या खाएं क्या ना खाएं

*भगवान विष्णु के अच्युत रुप की होती है पूजा 📝 

*सफला एकादशी कि पौराणिक कथा

*23 दिसंबर 2027

🚩 "सफला एकादशी 2027": वह व्रत जो हर कार्य में दिलाएगा 'सफलता' (Saphala Ekadashi Vrat 2027)

*तिथि: 23 दिसंबर 2027, गुरुवार

📅 "सफला एकादशी 2027: शुभ मुहूर्त और पंचांग"

*वर्ष 2027 में सफला एकादशी का व्रत 23 दिसंबर, गुरुवार को रखा जाएगा।

*विवरण समय

*एकादशी तिथि प्रारम्भ 22 दिसंबर 2027 (बुधवार), रात्रि 10:48 बजे से

*एकादशी तिथि समाप्त 23 दिसंबर 2027 (गुरुवार), रात्रि 09:23 बजे तक

*पूजा का शुभ समय (अभिजित मुहूर्त) दिन में 12:00 बजे से 12:44 बजे तक

*पारणा (व्रत खोलने) का मुहूर्त 24 दिसंबर 2027 (शुक्रवार), सुबह 06:27:49 बजे से 10:24:41 बजे तक। (अवधि: 04 घंटे रहेगा) इस दौरान चर मुहूर्त, लाभ मुहूर्त और अमृत मुहूर्त का सुखद संयोग रहेगा।

*उस दिन कैसा रहेगा? (सटीक जानकारी) गुरुवार का दिन भगवान विष्णु का माना जाता है, इसलिए यह अत्यंत शुभ और पुण्य कारी है। गुरुवार के दिन एकादशी का पड़ना अत्यंत दुर्लभ और विशिष्ट योग बनाता है। इस दिन व्रत करने से भगवान विष्णु और बृहस्पति देव दोनों की कृपा प्राप्त होगी, जिससे ज्ञान, धन, विवाह और संतान संबंधी सभी इच्छाएं शीघ्र पूरी होती हैं।

📖 "सफला एकादशी की पौराणिक कथा" (विस्तृत)

*पौराणिक कथा के अनुसार, इस कथा का वर्णन भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को किया था, जिसका श्रवण मात्र ही राजसूय यज्ञ के फल के बराबर पुण्य देता है।

*प्राचीन काल में चम्पावती नामक एक बहुत ही सुंदर और समृद्ध नगरी थी, जहां राजा महिष्मत का निष्पक्ष और धर्मपरायण शासन चलता था। राजा के चार पुत्र थे। उन सबमें लुम्भक नामक सबसे बड़ा पुत्र अत्यंत दुष्ट, पापी और कुकर्मी था। वह हमेशा देवताओं और ब्राह्मणों की निंदा करता, पराई स्त्रियों पर बुरी दृष्टि डालता और पिता के धन को कुकर्मों में नष्ट करता था।

*राजा महिष्मत ने उसे बहुत समझाया, लेकिन जब कोई सुधार नहीं हुआ, तो दुःखी होकर उन्होंने उसे अपने राज्य और नगर से निकाल दिया। देश निकाला मिलने के बाद भी लुम्भक की बुरी आदतें नहीं छूटीं। वह नगर के बाहर एक जंगल में रहने लगा और दिन-रात लूटपाट तथा चोरी करने लगा। नगरवासी और यहां तक कि उसके पिता भी उसके कृत्यों से बहुत दुःखी थे।

*एक दिन, पौष मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि की रात को लुम्भक ने भारी लूटपाट की। उसी रात वह ठंड और भूख से बेहाल होकर जंगल में भटकता रहा। संयोग से वह भटकता हुआ एक अति प्राचीन पीपल के वृक्ष के नीचे पहुंच गया। यह वृक्ष वनवासियों के लिए बहुत ही पूजनीय था और इसे महान देवता का स्वरूप माना जाता था। अत्यधिक ठंड के कारण पूरी रात उसे नींद नहीं आई और वह बार-बार कांपता रहा। इस प्रकार अनजाने में ही उसने दशमी की रात्रि में जागरण कर लिया।

*अगले दिन, यानी एकादशी तिथि को, अत्यधिक ठंड और भूख के कारण उसका शरीर इतना कमजोर हो गया था कि वह शिकार करने या लूटपाट करने में असमर्थ रहा। वह भोजन की तलाश में जंगल में फिरा, पर कुछ न मिला। अंत में, वह केवल पेड़ से गिरे हुए कुछ फल लेकर उसी पीपल के वृक्ष के नीचे लौट आया।

*संध्या होने पर, उसने फलों को वृक्ष की जड़ में रखा और दुख भरे मन से निवेदन किया, "हे लक्ष्मीपति भगवान विष्णु! मैं भूख और ठंड से पीड़ित हूँ। आप इन फलों से संतुष्ट हों।"

*यह कहते हुए उसने रातभर भगवान विष्णु के स्मरण में वहीं बैठकर बिता दी। इस प्रकार, अनजाने में ही लुम्भक ने श्रद्धा और भक्ति के बिना भी सफला एकादशी का व्रत पूरी तरह से कर लिया।

*प्रातःकाल होते ही, भगवान अच्युत (विष्णु) उसके अनायास किए गए व्रत से अत्यंत प्रसन्न हुए। अचानक आकाशवाणी हुई, "हे लुम्भक! तुम्हारे अनजाने में किए गए इस सफला एकादशी व्रत के प्रभाव से तुम्हारे सारे पाप नष्ट हो गए हैं। अब तुम अपने पिता के राज्य में वापस जाओ और धर्मपूर्वक राज करो।"

*लुम्भक तुरंत उठकर खड़ा हुआ। उसके शरीर में अद्भुत तेज आ गया था। उसने आकाशवाणी को प्रणाम किया और पिता के पास वापस चला गया। राजा महिष्मत ने जब अपने पुत्र के तेज और निर्मल मन को देखा, तो अत्यंत प्रसन्न हुए और सारा राज्य उसे सौंपकर स्वयं वन में जाकर भगवान श्री हरि की भक्ति में लीन हो गए।

*लुम्भक ने धर्म पूर्वक राज्य किया और अंत में देह त्याग कर भगवान विष्णु के परम धाम को प्राप्त हुआ।

*निष्कर्ष: भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा कि, "जो मनुष्य सफला एकादशी का व्रत करता है, उसे मृत्यु के बाद मोक्ष मिलता है और जो इसकी कथा सुनता या पढ़ता है, उसे राजसूय यज्ञ के बराबर पुण्य प्राप्त होता है।"

🍽️ "सफला एकादशी के दिन क्या खाएं और क्या ना खाएं" 

*एकादशी का व्रत फलाहार व्रत माना जाता है, जिसमें अन्न का सेवन पूरी तरह वर्जित है। व्रत का पालन दशमी की संध्या से ही शुरू हो जाता है।

✅ "क्या खाएं" (अनुमत खाद्य पदार्थ)

*फल और मेवे: सभी प्रकार के मौसमी फल (केला, सेब, संतरा, अंगूर आदि), सूखे मेवे (बादाम, अखरोट, पिस्ता, मखाना)।

*अनाज के विकल्प: साबूदाना, कुट्टू का आटा (सिंघाड़े का आटा), आलू, शकरकंद, अरबी, राजगीरा (चौलाई) के आटे से बनी चीजें।

*डेयरी उत्पाद: दूध, दही, छाछ, पनीर (शुद्ध घर का बना), घी।

*अन्य: सेंधा नमक (व्रत वाला नमक), काली मिर्च, अदरक, टमाटर, लौकी, ककड़ी।

*पेय: पानी, जूस, चाय (दूध वाली भी), नींबू पानी।

🚫 "क्या ना खाएं" (वर्जित खाद्य पदार्थ)

*अन्न और दालें: चावल, गेहूं, मैदा, बेसन, सूजी, सभी प्रकार की दालें (मूंग, चना, मसूर, अरहर आदि)।

*तामसिक भोजन: लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा, अंडा।

*कुछ मसाले/सामग्री: हल्दी, हींग, राई (सरसों), मेथी, सामान्य नमक (सफेद नमक)।

*अन्य सब्जियां: बैंगन, पत्तागोभी, फूलगोभी, गाजर, पालक।

*अन्य: पान, तंबाकू, गुटखा।

*विशेष नोट: व्रत में भोजन सात्विक होना चाहिए और उसे तामसिक तरीके से पकाया या बनाया नहीं जाना चाहिए।

🙏 "सफला एकादशी: क्या करें और क्या ना करें" 

*एकादशी के दिन किए गए और टाले गए कार्य आपके व्रत के पुण्य फल को निर्धारित करते हैं।

✨ "क्या करें" (शुभ कार्य)

*व्रत संकल्प: प्रातःकाल स्नान के बाद भगवान विष्णु के सामने हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प लें।

*तुलसी पूजा: भगवान विष्णु को तुलसी दल अर्पित करें (द्वादशी के दिन भी अर्पित करने के लिए पहले ही तोड़ लें, एकादशी को नहीं तोड़ते)।

*पूजा: भगवान अच्युत (विष्णु) को धूप, दीप, फल, पंचामृत और विशेष रूप से नारियल, सुपारी, आंवला और लौंग अर्पित करें।

*जागरण और भजन: रात्रि में जागरण करके श्री हरि के नाम का संकीर्तन और भजन करें।

*दान: द्वादशी के दिन व्रत पारण से पहले किसी जरूरतमंद या ब्राह्मण को भोजन कराएं, दान-दक्षिणा दें।

*पाठ: विष्णु सहस्रनाम, नारायण कवच, या भगवद्गीता का पाठ करें।

*सोना: एकादशी की रात्रि में बिस्तर पर नहीं, बल्कि जमीन पर सोना चाहिए।

❌ "क्या ना करें" (वर्जित कार्य)

*अन्न का सेवन: किसी भी प्रकार के अनाज, दाल या चावल का सेवन न करें।

*अपशब्द: किसी को भी अपशब्द न कहें, क्रोध न करें और मन को शांत रखें।

*बाल/नाखून: इस दिन बाल, नाखून या दाढ़ी नहीं कटवानी चाहिए।

*वृक्ष छेदन: किसी भी पेड़ या पौधे की पत्ती, फूल, या फल तोड़ना अशुभ माना जाता है। तुलसी के पत्ते भी एकादशी के दिन नहीं तोड़ने चाहिए।

*मैथुन: ब्रह्मचर्य का पालन करें।

*झूठ बोलना: झूठ बोलने से बचें।

*पारणा में देरी: द्वादशी के दिन शुभ मुहूर्त में ही व्रत खोलें, अन्यथा व्रत का पुण्य नष्ट हो जाता है।

💫 "सफला एकादशी के अचूक टोटके"/उपाय 

*सफला एकादशी पर किए गए कुछ विशेष उपाय न केवल आपकी धन संबंधी समस्याओं को दूर करते हैं, बल्कि हर कार्य में सफलता भी दिलाते हैं।

*गन्ने के रस का अभिषेक: इस दिन भगवान विष्णु की मूर्ति पर गन्ने के रस से अभिषेक करें। यह उपाय आपकी कुंडली में बुध ग्रह को मजबूत करता है और आपको व्यापार व करियर में मनचाही सफलता दिलाता है।

*तुलसी का पौधा और दीपक: यदि संभव हो तो इस दिन तुलसी का पौधा लगाएं। शाम को तुलसी के सामने घी का दीपक जलाएं और 11 बार परिक्रमा करें। ऐसा करने से घर में धन-धान्य और सुख-समृद्धि बढ़ती है।

*दक्षिणावर्ती शंख का अभिषेक: दक्षिणावर्ती शंख को पीतल के पात्र में रखकर दूध से अभिषेक करें। यह टोटका माता लक्ष्मी को प्रसन्न करता है और आर्थिक तंगी से मुक्ति दिलाता है।

*एकाक्षी नारियल: पूजा के समय भगवान विष्णु को एकाक्षी नारियल (एक आंख वाला नारियल) अर्पित करें। अगले दिन इसे लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी में रखें। इससे धन-संपत्ति दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती है।

*पीली वस्तुओं का दान: गुरुवार का दिन होने के कारण इस दिन हल्दी, चने की दाल, गुड़ और पीले वस्त्र किसी गरीब या ब्राह्मण को दान करें। यह बृहस्पति ग्रह को मजबूत कर पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि करता है।

*नौ मुखी दीपक: भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के सामने नौ मुखी दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना गया है। इससे सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।)

👑 "सफला एकादशी में भगवान विष्णु के किस रूप की होती है पूजा"? 

*सफला एकादशी के दिन भगवान विष्णु के 'अच्युत' स्वरूप की पूजा की जाती है।

*अच्युत स्वरूप का महत्व

*अच्युत' शब्द का अर्थ है:

*च्युत न होने वाला (जो अपने स्वरूप से कभी न गिरे)।

*सनातन, अविनाशी और शाश्वत।

*यह नाम भगवान विष्णु के उस रूप को दर्शाता है जो स्थिर, अटल और अपरिवर्तनीय है।

*सफला एकादशी के दिन अच्युत रूप की पूजा करने का मुख्य कारण यह है कि मनुष्य अपने जीवन में कई बार असफल होता है और अपने मार्ग से भटक जाता है (च्युत हो जाता है)।

*अच्युत भगवान से प्रार्थना की जाती है कि वह भक्तों को स्थिर बुद्धि प्रदान करें, ताकि वे धर्म के मार्ग से कभी विचलित न हों और जीवन के हर प्रयास में 'सफलता' प्राप्त करें।

"पूजन विधि में स्वरूप का समावेश"

*पूजा में अच्युत भगवान को नारियल, सुपारी और आंवला अर्पित करने का विधान है।

*साथ ही, उनके अच्युत स्वरूप को स्मरण करते हुए 'ॐ अच्युताय नमः' मंत्र का जाप किया जाता है।

*कथा में दुष्ट राजकुमार लुम्भक को भी अच्युत भगवान की कृपा से ही अपने धर्म और सत्य के मार्ग पर स्थिरता (अच्युतत्व) प्राप्त हुई थी, जिसके कारण अंत में उसे मोक्ष की सफलता मिली।

*इस प्रकार, अच्युत स्वरूप की पूजा हमें यह सिखाती है कि जीवन में कितनी भी कठिनाइयां आएं, हमें अपने लक्ष्य और धर्म के प्रति अटल (अच्युत) रहना चाहिए।

🛏️ "सफला एकादशी के दिन किस पर सोना चाहिए"? 

*सफला एकादशी के व्रत का एक महत्वपूर्ण नियम यह है कि इस दिन व्रतधारी को बिस्तर (पलंग) पर नहीं सोना चाहिए।

*शास्त्रों के अनुसार, एकादशी के दिन भूमि या जमीन पर सोना चाहिए। यह नियम व्रत में तपस्या, त्याग और सादगी को दर्शाता है। जमीन पर सोने से व्यक्ति में सात्विक भाव बढ़ता है, अहंकार कम होता है और वह भगवान के प्रति अधिक समर्पित महसूस करता है। यदि जमीन पर सोना संभव न हो, तो कम से कम पतली चटाई या दरी बिछाकर सोना उचित होता है।

📿 "सफला एकादशी व्रत की पूजा विधि" (स्टेप बाय स्टेप)

*सफला एकादशी के व्रत में भगवान अच्युत (विष्णु) की पूजा का विधान है। यहां स्टेप-बाय-स्टेप पूजा विधि दी गई है:

*01. व्रत की तैयारी (दशमी की रात्रि)

*दशमी (22 दिसंबर) की संध्या से ही अन्न का सेवन बंद कर दें और सात्विक भोजन करें।

*व्रत वाले दिन के लिए फल, फूल, पंचामृत और पूजा सामग्री एकत्र कर लें।

*एकादशी के दिन इस्तेमाल के लिए तुलसी के पत्ते दशमी की शाम को ही तोड़ लें, एकादशी को तुलसी पत्र तोड़ना वर्जित है।

*02. प्रातःकाल स्नान और संकल्प (23 दिसंबर)

*प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर शौच आदि से निवृत्त हों।

*गंगाजल मिश्रित जल से स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र (हो सके तो पीले रंग के) धारण करें।

*पूजा स्थल को साफ करें।

*हाथ में जल, फूल और चावल लेकर व्रत का संकल्प लें:

"हे भगवान अच्युत! मैं आज आपके सफला एकादशी व्रत का संकल्प लेता हूं/लेती हूं। मैं इस व्रत को पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ पूरा करूंगा/करूंगी। आप मेरी इस पूजा को स्वीकार करें और मुझे सफलता प्रदान करें।"

*03. चौकी स्थापना

*पूजा स्थल पर एक चौकी (पटिया) स्थापित करें और उस पर पीला वस्त्र बिछाएं।

*भगवान विष्णु या अच्युत स्वरूप की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।

*मूर्ति के पास एक कलश में जल भरकर रखें।

*04. भगवान का अभिषेक और श्रृंगार

*भगवान विष्णु को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल) से अभिषेक कराएं।

*इसके बाद उन्हें शुद्ध जल से स्नान कराएं।

*भगवान को नए या साफ वस्त्र पहनाएं।

*पीले रंग के चंदन (केसर मिश्रित), अक्षत (खंडित न हों), पीले फूल और माला अर्पित करें।

*05. विशेष भोग और नैवेद्य

*भगवान को धूप और दीप दिखाएं।

*उन्हें विशेष रूप से नारियल, सुपारी, आंवला और लौंग अर्पित करें।

*तुलसी दल युक्त पंचामृत, मेवा और फलों का भोग लगाएं।

*06. मंत्र जाप और कथा श्रवण

*'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' या 'ॐ अच्युताय नमः' मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।

*सफला एकादशी की व्रत कथा (उपरोक्त कथा) को स्वयं पढ़ें या सुनें।

*विष्णु सहस्रनाम या भगवद्गीता का पाठ करें।

*07. आरती और क्षमा याचना

*पूजा के अंत में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें।

*हाथ जोड़कर पूजा में हुई किसी भी गलती के लिए क्षमा याचना करें।

*भोग लगाए गए प्रसाद को भक्तों में वितरित करें।

*08. रात्रि जागरण

*एकादशी की रात्रि में जागरण कर भगवान श्री हरि के भजन-कीर्तन करें।

*09. पारणा (द्वादशी 24 दिसंबर)

*अगले दिन (द्वादशी) शुभ मुहूर्त (सुबह 07:10:49 से 09:14:41) में किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें।

*इसके बाद स्वयं फलाहार तोड़कर व्रत का पारणा करें। पारणा करते समय पहले कोई अनाज या चावल का दाना ग्रहण करना उत्तम माना जाता है।

❓ "सफला एकादशी से संबंधित प्रश्न और उत्तर" 

*यहां कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर दिए गए हैं जो पाठकों के मन में उठ सकते हैं

प्रश्न (FAQ) उत्तर

*01. सफला एकादशी पर किस देवता की पूजा होती है? 

*सफला एकादशी पर मुख्य रूप से भगवान विष्णु के 'अच्युत' स्वरूप की पूजा की जाती है।

*02. सफला एकादशी व्रत का पारणा कब और कैसे करें? 

*पारणा (व्रत खोलने) का मुहूर्त 24 दिसंबर 2027 (शुक्रवार), सुबह 06:27:49 बजे से 10:24:41 बजे तक। (अवधि: 04 घंटे रहेगा) इस दौरान चर मुहूर्त, लाभ मुहूर्त और अमृत मुहूर्त का सुखद संयोग रहेगा। व्रत पारण के समय सबसे पहले अनाज (जैसे चावल का दाना) खाकर व्रत तोड़ना चाहिए।

*03. क्या एकादशी के दिन तुलसी तोड़ सकते हैं? 

*नहीं, एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते तोड़ना वर्जित माना गया है। तुलसी दल की आवश्यकता हो, तो दशमी की संध्या को ही तोड़ लेना चाहिए।

*04. क्या एकादशी व्रत में नींबू और टमाटर खा सकते हैं? 

*हां, एकादशी व्रत में नींबू और टमाटर को फलाहार के रूप में खाया जा सकता है।

*05. अगर एकादशी व्रत छूट जाए तो क्या करें? 

*यदि किसी कारणवश एकादशी का व्रत छूट जाए या टूट जाए, तो अगले दिन द्वादशी को विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें और ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान दें।

*06. सफला एकादशी का महत्व क्या है? 

*इसका महत्व हजारों अश्वमेध यज्ञों के बराबर है। यह व्रत सभी पापों को नष्ट कर जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्रदान करता है और मोक्ष दिलाता है।

⚖️ "अस्वीकरण" (Disclaimer)

*यह ब्लॉग पोस्ट सफला एकादशी व्रत से संबंधित धार्मिक और पौराणिक मान्यताओं, परंपराओं और उपायों पर आधारित है।

*मान्यताओं पर आधारित: यहां दी गई सभी जानकारी प्राचीन धर्म ग्रंथों, पंचांगों और धार्मिक विश्वासों पर आधारित है। इन उपायों, कथाओं और पूजा विधियों की वैज्ञानिक प्रमाणिकता का दावा नहीं किया जाता है।

*व्यक्तिगत विवेक: व्रत, पूजा विधि और टोटकों का पालन करना पूर्णतः आपकी व्यक्तिगत श्रद्धा और विवेक पर निर्भर करता है। किसी भी बड़े धार्मिक अनुष्ठान या स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेने से पहले आपको अपने स्थानीय पंडित/गुरु या चिकित्सक से परामर्श अवश्य लेना चाहिए।

*तिथि एवं मुहूर्त: एकादशी की तिथि और पारणा के मुहूर्त स्थान (शहर) के अनुसार थोड़े भिन्न हो सकते हैं। अतः अपने शहर के सटीक पंचांग की पुष्टि कर लेनी चाहिए। हमने यहाँ जो समय दिया है, वह एक सामान्य अनुमान पर आधारित है।

*उद्देश्य: इस लेख का एकमात्र उद्देश्य आपको सफला एकादशी के महत्व, नियमों और कथा से अवगत कराना और आपका आध्यात्मिक ज्ञानवर्धन करना है। हमारी कोई भी जानकारी आपको किसी विशेष कार्य या परिणाम के लिए बाध्य नहीं करती है।

*आप अपनी धार्मिक आस्था और परंपरा के अनुरूप ही इस जानकारी का उपयोग करें।

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